Home लाइफस्टाइल हाथी क्यों है हिन्दू धर्म में पूज्यनीय पशु, जानिए 5 कारण

हाथी क्यों है हिन्दू धर्म में पूज्यनीय पशु, जानिए 5 कारण

53
0

भारतीय धर्म और संस्कृति में हाथी का बहुत ही महत्व है। हाथी को पूज्जनीय माना गया है। हाथी से जुड़े कई किस्से, कहानियां और पौराणिक कथाएं भारत में प्रचलित है। आओ जानते हैं कि हाथी क्यों है पूज्जनीय।

1. गाय की तरह हाथी भी प्राचीन भारत का पालतू पशु रहा है खासकर दक्षिण भारत में प्राचीनकाल में हाथियों की तादाद ज्यादा होती थी। यह उसी तरह है कि जिन देशों में घोड़े ज्यादा होते थे वहां उनके लिए घोड़े महत्वपूर्ण होते थे। हिंदुस्तान में प्राचीनकाल से ही राजा लोग अपनी सेना में हाथियों को शामिल करते आएं हैं। प्राचीन समय में राजाओं के पास हाथियों की भी बड़ी बड़ी सेनाएं रहती थीं जो शत्रु के दल में घुसकर भयंकर संहार करती थीं। इसलिए भी हाथी पूज्यनीय होता था।

2. भारत में अधिकतर मंदिरों के बाहर हाथी की प्रतीमा लगाई जाती है। वास्तु और ज्योतिष के अनुसार भारतीय घरों में भी चांदी, पीतल और लकड़ी का हाथी रखने का प्रचलन है। कहते हैं कि जिस घर में हाथी की प्रतीमा होती है वहां पर सुख, शांति और समृद्धि रहती है। हाथी घर, मंदिर और महल के वास्तुदोष को दूर करके यह उक्त स्थान की शोभा बढ़ाता है।

3. हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हाथियों का जन्म चार दांतों वाले ऐरावत नाम के सफेद हाथी से माना जाता है। मतलब यह कि जैसे मनुष्‍यों का पूर्वज बाबा आदम या स्वयंभुव मनु है उसी तरह हाथियों का पूर्वज ऐरावत है। ऐरावत की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी और इसे इंद्र ने अपने पास रख लिया था। ऐरावत सफेद हाथियों का राजा था। ‘इरा’ का अर्थ जल है, अत: ‘इरावत’ (समुद्र) से उत्पन्न हाथी को ‘ऐरावत’ नाम दिया गया है। इसीलिए इसका ‘इंद्रहस्ति’ अथवा ‘इंद्रकुंजर’ नाम भी पड़ा। गीता में श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन में हाथियों में ऐरावत हूं।

4. इस पशु का संबंध विघ्नहर्ता गणपति जी से है। गणेश जी का मुख हाथी का होने के कारण उनके गजतुंड, गजानन आदि नाम हैं। इसलिए भी हाथी हिन्दू धर्म में सबसे पूज्जनीय पशु माना जाता है। हिन्दू धर्म में अश्विन मास की पूर्णिमा के दिन गजपूजाविधि व्रत रखा जाता है। सुख-समृद्धि की इच्छा से हाथी की पूजा करते हैं। हाथी को पूजना अर्थात गणेशजी को पूजना माना जाता है। हाथी शुभ शकुन वाला और लक्ष्मी दाता माना गया है।

5. श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार हाथी द्वारा विष्णु स्तुति का वर्णन मिलता है। कहते हैं कि क्षीरसागर में त्रिकुट पर्वत के घने जंगल में बहुत से हाथियों के साथ ही हाथियों का मुखिया गजेंद्र नामक हाथी भी रहता था। गजेन्द्र मोक्ष कथा में इसका वर्ण मिलेगा। गजेन्द्र नामक हाथी को एक नदी के किनारे एक मगरमच्छ ने उसका पैर अपने जबड़ों में पकड़ लिया था जो उसके जबड़े से छूटने के लिए विष्णु की स्तुति की। श्री हरि विष्णु ने गजेन्द्र को मगर के ग्राह से छुड़ाया था। कहते हैं कि यह गजेंद्र अपने पूर्व जन्म में इंद्रद्युम्न नाम का राजा था जो द्रविड़ देश का पांड्यवंशी राजा था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here