गठुला गांव का मामला, अधिकारियों के आश्वासन बाद शांत हुए ग्रामीण
राजनांदगांव (दावा)। जिला प्रशासन द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों के मौते बाद उनका अंतिम संस्कार करने गठुला गांव का चयन किया गया है। गठुला के ग्रामीण इसके विरोध में उतर आए और रविवार को श्मशान घाट में ही धरने पर बैठ गए। ग्रामीणों के विरोध बाद पुलिस व जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और जगह बदलने का आश्वासन दिए जब जाकर ग्रामीण शांंत हुए।
चिखली थाना क्षेत्र के ग्राम गठुला में कोरोना मरीज के शव को जलाने को लेकर जमकर हंगामा हो गया। रविवार को सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण शव जलाने के विरोध में श्मशान घाट में ही धरने पर बैठ गए हैं। ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए जिला प्रशासन से गांव के श्मशान घाट में कोविड मृतकों का शव नहीं जलाने की मांग की है। ग्रामीण लिखित आश्वासन की मांग पर धरने पर बैठे रहे। धरना में बैठे ग्रामीण लंबे समय तक मौके पर डटे रहे। इस दौरान अधिकारियों से चर्चा का दौर जारी रहा। मिली जानकारी के अनुसार अधिकारियों द्वारा अंतिम संस्कार का जगह बदलने का आश्वासन दिया गया। तब जाकर ग्रामीण शांत हुए बताया जा रहा है कि नए जगह को लेकर जिला प्रशासन द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
राजनांदगांव सरपंच संघ के अध्यक्ष नोमेश वर्मा ने बताया कि सरपंच को ग्रामीणों की उपस्थिति में धमकाना और जेल भेजने की बात आयुक्त ने कहा है जो एक जनप्रतिनिधि का अपमान है। अधिकारी के आश्वासन के बाद ही हमने धरना प्रदर्शन को समाप्त किया है। आयुक्त को अपनी अमर्यादित भाषा व जनप्रतिनिधि के अपमान के लिए माफी मांगना होगा अन्यथा सरपंच संघ द्वारा पुन: उग्र विरोध प्रदर्शन होगा।
– नोमेश वर्मा (अध्यक्ष सरपंच संघ)
ग्रामीणों ने कहा गांव में संक्रमण फैलने का खतरा
जानकारी के बाद मौके पर एसडीएम, तहसीलदार, सीएसपी सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने की कोशिश करत रहे, लेकिन ग्रामीण गांव में कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार नहीं करने की मांग पर अड़े रहे। ग्रामीणों का कहना था कि कोरोना से मौत के बाद गांव में संक्रमण फैलने का डर है। मृतकों का अंतिम संस्कार एहतिहात के साथ करना है। गांव के श्मशान घाट में खुलेआम शव जलाया जा रहा है। जिससे उनके गांव में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। जिले में कोरोना की रफ्तार बेकाबू होते जा रही है। ऐसे में लोग डरे हुए है।