शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी काम पर बुरा असर, कोरोना का बहाना बनाकर अधिकारी काम पर नहीं दे रहे ध्यान
राजनांदगांव (दावा)। कोरोना संक्रमण के आड़ में अधिकारी कर्मचारी दफ्तरों में ही कैद है। अधिकारियों की बेपरवाही के चलते शहर सहित जिले भर में विकास कार्यों पर ब्रेक लग गया है। राशि स्वीकृत होने से बाद भी अधिकारियों की बेपरवाही से काम शुरु नहीं हो पा रहा है। कई जगहों पर सडक़, नाली, बिल्डिग सहित अन्य काम शुरु ही नहीं हुए है।
मिली जानकारी के अनुसार जिले भर में करोड़ों रुपए के काम स्वीकृत हुए है और इसकी राशि भी जारी हो चुके है, लेकिन संबंधित अधिकारियों द्वारा कोरोना संक्रणम का हवाला देकर फाइल को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। अधिकारियों की अनदेखी से विकास कार्यों पर बुरा असर पड़ रहा है।
रोका-छेका अभियान के काम भी अधूरे
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गांवों में नरवा-घुरवा बाड़ी व रोका-छेका अभियान योजना शुरु की गई है। योजना के तहत गांवों में मवेशियों रोका-छेका के लिए बाऊंड्रीवाल, शेड व चारा पानी रखने की व्यवस्था करना है। मिली जानकारी के अनुसार अधिकारियों की अनदेखी की वजह से कई गांवों में काम शुरु ही नहीं हुआ है। इसकी वजह से मवेशी खुले में घूम रहे है और किसानों के फसलों को नुकसान पहुंचा रहे है। बताया जा रहा है कि सरपंचों द्वारा इय योजना के तहत स्वीकृत राशि के लिए अधिकारियों का चक्कर लगाया जा रहा है, लेकिन अधिकारी कोरोना का हवाला देकर काम को आगे नहीं बढ़ा रहे है।
पीएम आवास का मूल्यांकन नहीं
वही शहर व गांवों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब परिवारों के लिए आवास की स्वीकृति हुई है। इसमें कई लोग अपना रुपए लगाकर काम शुरु कर दिए है, लेकिन अधिकारी मौके पर कार्यों का मूल्यांकन करने भी नहीं पहुंच रहे है। बिना मुल्याकन के लोगों का राशि आहरण नहीं हो रहा है। इसके अलावा कई गांवों में धान खरीदी के लिए शेड़ निर्माण का काम चल रहा है। इन कार्यों का भी मूल्याकन नहीं हुआ है। इसकी वजह से काम अधूरे है। जबकि राज्य सरकार द्वारा इन योजनाओं को गंभीरता के साथ समय पर पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है।