बच्चों के सेहत से खिलवाड़
राजनांदगांव (दावा)। पोषण आहार देने के नाम पर आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलना मुख्यमंत्री की जिद और गलत तर्कों का एक जीता जागता उदाहरण है जिससे बच्चों की जान को खतरा हो सकता है, किन्तु मुख्यमंत्री जी को यह गुमान हो गया है कि ईश्वर ने केवल उन्हें ही अक्ल दिया है अथवा अक्ल बांटते वक्त लाइन में वही खड़े थे बाकी सब गाय चरा रहे थे।
आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने के सरकार की नीति को सरकार का दोहरा चरित्र मानते हुए जिला भाजपा अध्यक्ष मधुसूदन यादव का कहना है कि नीट और जेईई की परीक्षा जो मात्र 3 घण्टे की होनी थी उसका तो छत्तीसगढ़ सरकार ने भरपूर विरोध किया बल्कि न्यायालय तक गए, हालांकि न्यायालय से मुंह की ही खानी पड़ी, और जिन छोटे-छोटे बच्चों को जो बहुत ज्यादा नहीं समझते है औऱ जो मात्र 3 से 06 साल के होंगे उन्हें खाना देने के लिए आमंत्रित कर रहे है,
जो छात्र कॉलेज में पहुंच रहे है, जो सोशल डिस्टेंसिंग को समझते है उनके लिए परीक्षा का आयोजन करने में आपत्ति थी और आपने कहा था कि विद्यार्थियों के सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और जो बच्चे दूसरों पर आश्रित है उन्हें लाइन में लग कर गरम भोजन देना कंहा की बुद्धिमता है, एक तरफ आप नीट और जेईई के पारिक्षर्थियों की सेहत की चिंता करते है और दूसरी तरफ छोटे छोटे बच्चों को आंगनबाड़ी बुला रहे है, आपकी दृष्टिकोण में छोटे बच्चे ज्यादा अक्लवान और जेईई और नीट के विद्यार्थी लापरवाह है तो आपकी सरकार की दृष्टि क्या है,
वह स्पस्ट दिख रहा है। आपको केंद्र सरकार का विरोध और अपनी जिद पूरी करनी है, इसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं, व्यवस्था करना होता तो आपके द्वारा बच्चों को पोषण किट उनके घर में भी पहुंचा कर दिया जा सकता है,आंगनबाड़ी में बुलाने की आवश्यकता ही नही है, किन्तु जिद तो जिद है, जिसे मुख्यमंत्री जी पूरा कर रहे है।
श्री यादव ने कहा कि आंगनबाड़ी खोलते वक्त जो निर्देश राज्य सरकार ने दिए है वह अत्यंत हास्यास्पद है निर्देश में कहा गया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों को सेनेटाईज़्ड किया जाए, हितग्राहियों को साबुन से हाथ धुलाया जाए एवं उनकी स्क्रीनिंग की जाए किन्तु स्क्रीनिंग उपकरण नहीं खरीदे जाए, जब स्क्रीनिंग उपकरण नहीं खरीदेंगे तो स्क्रीनिंग होगी कैसे और किससे करेंगे, मुख्यमंत्री जी यही बता दीजिए और जब आप भवन को सेनेटाइज़्ड करने के लिए राशि ही नहीं दे रहे है तो विभाग क्या कॉन्टेनजेन्सी फण्ड का प्रयोग करेंगे, विभाग के पास वेतन देने के लिए फण्ड नहीं है, कोविड के मरीजों के लिए व्यवस्था करने के लिए फण्ड नहीं है तो कैसे आंगनबाड़ी
को सेनीटाइज़्ड करेंगे बता दीजिए। श्री यादव ने कहा कि बच्चों को पोषक आहार अवश्य प्रदाय करना चाहिए किन्तु उनके स्वास्थ्य को खतरे में डालकर नहीं, बल्कि उनके घरों को चिन्हाकित कर पोषक कीटों की व्यवस्था करके उनके घर तक पहुंचा कर देना चाहिए अन्यथा यह पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा जिसमें आपकी सहमति ही मानी जाएगी। बेहतर है आंगनबाड़ी को खोलने के बजाए उनके घरों में पोषण किट पहुंचाने की व्यवस्था की जाए।