राजनांदगांव। शहर कांग्रेस सचिव एवं अधिवक्ता शरद खण्डेलवाल ने केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का विरोध करते हुए कहा है कि सडक़ से संसद तक जिस बिल का विरोध हो रहा है। उसे पारित करने में जहां एक ओर सरकार ने बहुत हड़बड़ी की है वही दूसरी ओर बिल पास होने से किसानों में डर है की यह पूरी कोशिश न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने के लिए है।
खेती किसानी सब्सिडी का कारोबार है जिससे लोगों को सस्ता मिले और किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिले। खुले बाजार में किसानां को सब्सिडी कौन देगा। बिल पास होने से पूरे देश में असंतोष फैल चुका है। हमारे यहा 80 फीसदी छोटे किसान है वह बड़े और निजी घराने से कैसे मोल भाव करेंगे, वह कैसे उनसे अपनी कीमत के लिए दबाव बनाएंगे। इस व्यवस्था के लिए देश अभी तैयार नहीं हुआ है। अगर सरकार को इसे लागू ही करना था तो किसी एक भाजपा शासित राज्य से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करते और
इसके परिणामों का आंकलन करने के बाद पूरे देश में लागू करते। इस कानून से कृषि क्षेत्र में कम्पनी राज को सरकार स्थापित कर रही है। बिल में एम.एस.पी. की गारंटी क्यों नहीं दी। कानूनी रूप से एम.एस.पी. सभी के लिए लागू करे। अंत में अधिवक्ताओं से भी अपील की है कि वह बिल का विरोध करे। उक्त बिलो में सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकारों को बार किया गया है। जो किसानों और वकीलों के कानूनी अधिकारों का उलघंन करते है। न्यायालय के हस्ताक्षेप का अधिकार न होना कभी भी किसी सामान्य नागरिक के हित में नहीं हो सकता है।