राजनांदगांव (दावा)। अध्यक्ष, अंत्यावसायी वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष धनेश पटिला ने केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा कृषि बिल किसान विरोधी बताया है। जिसके कारण देश के किसानों में आक्रोश व्याप्त है, नए बिल से कॉर्पोरेट घराना जितनी मर्जी चाहे जरुरी वस्तुओ की जमा खोरी कर सकता है इससे काला बाजारी बढ़ेगी। मंडी का ढांचा खत्म हो जायेगा, मंडी शुल्क के रूप में राज्य को मिलने वाला राजस्व बन्द हो जाएगा।
नए एक्ट से किसान बड़े व्यपारियों व कारपोरेट घराने के चंगुल में फंस जायेंगे और दूर-दूर तक फसल के उपज बेचने के कारण किसानों के खर्च बढ़ जायेंगे और किसान व्यापारिक घराने की लूट का शिकार होगा। एक्ट में ठेका खेती नीति के तहत कारपोरेट सेक्टर किसानों के साथ धान की जगह अन्य फसल बोने का समझौता करेगा, परन्तु बाद में फसलों के दाम कम होने पर कम्पनियां कॉन्ट्रैक्ट कर भाग सकती हैं। कारपोरेट सेक्टर किसानों कि जमीन ठेके पर लेकर लंबे समय का कांट्रेक्ट कर बड़े-बड़े खेती सेक्टर बना देगा, परन्तु बाद में धीरे धीरे किसानों की उन जमीन पर बड़ी बड़ी कम्पनिया कब्जा कर लेगा जिससे छोटे किसान खत्म हो जाएंगे।
पटिला ने कहा कि किसानों के हित में कानून की बात कहकर पूंजीपतियों के लिए कानून लाया जा रहा है। नये कानून में अनाज भंडारण की सीमा हटा ली गई है और जमाखोरी को कानून बना दिया गया है. सरकार इस बात पर नजर रखना बंद कर देगी कि कौन व्यापारी कितना अनाज जमा करके रखे हुए है. जमाखोरी कौन करेगा? रिटेल में उतर रहीं कॉरपोरेट कंपनियां, जिनकी नजर अब खुदरा बाजार पर है। सरकार कह रही है कि किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकेगा. भारत में 86 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर या इससे कम खेती है. क्या ये किसी दूसरी जगह या दूसरे राज्य में जाकर अपनी फसल बेच सकते हैं, तो फिर ये कानून किसके लिए है? सरकार के नये कानून से देश की मंडियां खत्म हो जाएंगी। मंडियां खत्म होने से न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाएगा.
पटिला ने कहा कि जमाखोरी को लीगल कर देने से महंगाई बढ़ेगी. सरकार एक तरफ कह रही है कि मंडी में अलग कानून होगा और मंडी से बाहर मार्केट का अलग कानून होगा. उधर सरकार ये भी कह रही है कि हम ‘एक देश एक बाजार’ बना रहे हैं द्य जब कानून दो होगा तो ‘एक देश एक बाजार’ कैसे हुआ? जब राज्य की कृषि की प्रकृति अलग है, पैदावार अलग है, फसलें अलग हैं तो एक देश एक बाजार का क्या मतलब हुआ? केंद्र सरकार को यदि किसानों के हित में फैसला लेना ही था तो एम.एस.पी. का कानूनी अधिकार प्रदान करना था और केंद्र सरकार ने जो वादा किया था किसानों के फसल का दाम दुगना करने का उसे पूरा करें।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल की सरकार द्वारा राज्य के 22 लाख कृषकों को उनके उत्पादन धान, गेहू, चना, गन्ना तथा वनोपज तेंदुपत्ता आदि उत्पादों पर अब तक का सर्वाधिक मूल्य का भुगतान सुनिश्चित किया गया है द्य देश में छत्तीसगढ़ राज्य एक मात्र ऐसा राज्य है जहाँ पर धान 2500 रूपये प्रति क्विंटल की खरीदी सुनिश्चित कर कृषकों का हित संरक्षण किया गया है, जो कि राज्य के लिए गर्व की बात है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा केंद्र द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से अधिक दरों पर धान खरीदी सुनिश्चित की गई है। अत: केंद्र सरकार को चाहिए कि छग सरकार की तर्ज पर देश के समस्त कृषक परिवारों का हित संरक्षण करें,वर्ग संघर्ष नीति को छोडक़र देश व राज्य के समग्र विकास के लिए कार्य करना सुनिश्चित करें।