पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा गया है। पुष्य नक्षत्र के नाम पर एक माह पौष है। 24 घंटे के अंतर्गत आने वाले तीन मुहूर्तों में से एक 20वां मुहूर्त पुष्य भी है। पुष्य नक्षत्र का संयोग जिस भी वार के साथ होता है उसे उस वार से कहा जाता है। जैसे- गुरुवार को आने पर गुरु-पुष्य, रविवार को रवि-पुष्य, शनिवार के दिन शनि-पुष्य और बुधवार के दिन आने पर बुध-पुष्य नक्षत्र कहा जाता है। सभी दिनों का अलग-अलग महत्व होता है। गुरु-पुष्य और रवि-पुष्य योग सबसे शुभ माने जाते हैं।
इस बार पुष्य नक्षत्र अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास में पड़ रहा है। इस बार 10 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र रात 8.54 से 11 अक्टूबर रात 8.58 तक रहेगा इसलिए 10 को रवि पुष्य और 11 अक्टूबर को
सोम पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह ऐसा दिन हैं जबकि कोई भी आवश्यक शुभ कार्य किया जा सकता है। इस दिन सोना खरीदने की सलाह दी जाती है।
तीन सावधानियां :
1. मुहूर्त चिंतामणि नक्षत्र प्रकरण ग्रंथ के श्लोक 10 के अनुसार, पुष्य, पुनर्वसु और रोहिणी इन तीन नक्षत्रों में सधवा स्त्री नए स्वर्ण आभूषण और नए वस्त्र धारण नहीं करें, ऐसा लिखा है। मतलब यह कि इस दिन संभवत: स्वर्ण तो खरीदा जा सकता है लेकिन पहना नहीं जा सकता?
2. विदवानों का मानना है कि इस दिन विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि पुष्य नक्षत्र को ब्रह्माजी का श्राप मिला हुआ है, इसलिए यह नक्षत्र विवाह हेतु वर्जित माना गया है।
3. बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए हैं। अत: इस दिन कोई भी शुभ या मंगल कार्य ना करें और ना ही कोई वस्तु या वाहन खरीदें।