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डीएमएफ मद में जनप्रतिनिधियों को शामिल करने से सिफारिशों के बोझ से लदा प्रशासन

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जिला खनिज मद में बचे हैं सिर्फ आठ करोड़ रूपए, जनप्रनिधियों की मांग लगातार बढ़ रही

राजनांदगांव (दावा)। हर साल राजनंादगांव जिले को गौण खनिजों से करीब 22 से 25 करोड़ की आय होती है। भाजपा सरकार में अध्यक्ष के तौर पर कलेक्टर राशि को खर्च करते थे। कांग्रेस सरकार ने प्रभारी मंत्री को अध्यक्ष और कलेक्टरों को सचिव बनाकर एक नई व्यवस्था लागू कर दी।
बताया जाता है कि सरकार ने समिति में विधायकों और खनिज क्षेत्रों के जिला पंचायत सदस्यों के साथ अधिकारियों को भी सदस्य नामित किया है। राजनेताओं को सदस्य नियुक्त किए जाने के बाद से फंड हासिल करने की सिफारिशों से प्रशासन की मुश्किलें बढ़ी है। डीएमएफ की कोषीय क्षमता के अनुरूप प्रशासन को सवा गुना कार्यो को स्वीकृत करने का अधिकार है। इससे परे समिति के पास 5-6 गुना सिफारिशें पत्र पहुंच रही है।

जनप्रतिनिधियों की सिफारिशें देखकर प्रशासन हैरान
प्रभारी मंत्री और कलेक्टर की निगरानी वाले जिला खनिज न्यास मद (डीएमएफ)से सिफारिशों के आधार पर राशि जारी करने से घटते कोष के बावजूद सत्तारूढ़ विधायकों और जनप्रतिनिधियों की सिफारिशें देखकर प्रशासन हैरत में पड़ गया है। प्रशासन ने पूर्व में विधायकों को इस मद से 50-50 लाख रूपए स्वीकृत किया था। वही इसी मद की राशि को प्रशासन ने कोरोना के खिलाफ जंग में खर्च किया है। अब सत्तारूढ़ दल के विधायक 30-30 लाख रूपए की मांग कर रहे है।

डीएमएफ फंड में 8 करोड़ ही शेष
मिली जानकारी के अनुसार डीएमएफ फंड में मात्र 8 करोड़ रूपए ही शेष है। बीते सप्ताह प्रभारी मंत्री मो. अकबर के सामने विधायकों के अलावा कांग्रेस-भाजपा के जिला पंचायत सदस्यों की ओर से डीएमएफ फंड के लिए आवेदनों का ढेर लगा दिया गया। बताया जाता है कि प्रभारी मंत्री ने मद में सीमित राशि होने की वजह से नए प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया।

नेताओं के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा से अफसर परेशानी में
बताया जाता है कि प्रशासन रोटेशन के आधार पर विधायकों और जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों को महत्व देने भी तैयार है, लेकिन नेताओं के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा से अफसर परेशानी में पड़ गए है। इधर राज्य सरकार की कुछ नई योजनाओं के लिए इसी मद से राशि दी जा रही है। सरकार द्वारा संचालित अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की स्थापना का खर्च का भार भी इसी मद पर डाल दिया गया है। जबकि प्रशासन की कुछ सुझावों पर सरकार ने गौर फरमाना जरूरी नहीं समझा। बताया जा रहा है कि जिले में कुछ महिला स्व-सहायता समूहों को डेयरी और मछली पालन के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए अफसरों ने उन्नयन करने का प्रस्ताव भेजा। प्रशासन की अनुशंसा पर अब तक विचार नहीं किया गया। बहरहाल डीएमएफ में राशि नहीं होने के बाद भी सिफारिशों का सिलसिला थम नहीं रहा है।

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