जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का कारनामा
राजनांदगांव(दावा)। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा जिले के विभिन्न संकुलों से बिना जानकारी और बगैर मांग पत्र के फर्नीचर खरीदीकर उसकी सप्लाई करने और उसके एवज में लाखों रूपए का बिल थमाने का मामला प्रकाश में आया है। आलम यह है कि कई संकुलों में कम्प्यूटर ही नहीं है, बावजूद इसके कम्प्यूटर टेबलों की सप्लाई कर दी गई है। अब इसके भुगतान को लेकर संकुल समन्वयक असमंजस में हैं।
कोरोना काल में स्कूलों की पढ़ाई भले ही प्रभावित हो, लेकिन फंड का दुरुपयोग करने में अधिकारी पीछे नहीं। जिले के विभिन्न विकासखंडों में बिना डिमांड के भेजे गए फर्नीचर इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो फर्नीचर खरीदी से पहले संकुलों की जरूरत का ध्यान रखा जाता। उनसे मांग पत्र मांगे जाते, किंतु ऐसा नहीं हुआ, बल्कि डीईओ ने 26 मार्च 2020 को तीन फर्मों को आदेश जारी किया। इसमें मेसर्स संजय साइंटिफिक वक्र्स, मेसर्स सिद्धी इंटरप्राइजेस और मेसर्स गणपति इंटरप्राइजेस को 50-50 संकुलों में फर्नीचर सप्लाई के आदेश दिए। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मानपुर के भर्रीटोला संकुल में कुर्सी-टेबल की भरमार है। ऐसे ही 16 संकुलों में से आठ या नौ में फर्नीचर की जरूरत ही नहीं थी। इसके बावजूद फर्नीचर भेजे गए। खैरागढ़ और छुईखदान के ऐसे कई संकुलों में कम्प्यूटर टेबल भेजे गए, जहां अभी तक कंप्यूटर सिस्टम ही नहीं खरीदा गया है। जिले के 151 संकुलों में से ज्यादातर की स्थिति यही है। अब 33 लाख 69 हजार 407 रुपए के भुगतान को लेकर संकुल समन्वयक असमंजस में हैं। इधर डीईओ से लगातार रिमाइंडर लेटर जारी किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार मार्च 2020 में फर्नीचर ग्रांट मद से प्रत्येक संकुल स्रोत केंद्र के लिए 80 हजार रुपए स्वीकृत किए गए थे। संकुलों के खाते में राशि भी आ गई। जाहिर है कि अगर स्वीकृत राशि संकुलों के खाते में आई थी तो फर्नीचर भी उन्हीं को खरीदना था, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। डीईओ (जिला शिक्षा कार्यालय) ने सीएसआईडीसी दर पर फर्नीचर की खरीदी कर बिल संकुलों को भेज दिया। विभागीय सूत्रों के अनुसार मानपुर के कंदाड़ी, सीतागांव, कोसमी जैसे सात-आठ संकुलों में ही फर्नीचर की आवश्यकता थी। भर्रीटोला में तो 50 चेयर और दो बड़े-बड़े टेबल है। नए फर्नीचरों को मिडिल स्कूल में रखा गया है। मोहला संकुल में बड़ा टेबल, कंप्यूटर टेबल, नौ ऑफिस चेयर और एक राउंडिंग चेयर भेजा गया है, लेकिन संकुल में कंप्यूटर नहीं है। बताया गया है कि संकुलों में फर्नीचर भेजने से पहले समन्वयकों से किसी तरह का मांग पत्र नहीं मांगा गया। फर्नीचर भेजने के बाद बिल भेजा गया है, जिसका भुगतान बाकी है। खैरागढ़ संकुल में फर्नीचर पहुंच चुका है, लेकिन भुगतान अभी नहीं किया गया है।
बहरहाल संकुलों को 80 हजार रुपए फर्नीचर ग्रांट स्वीकृत होने पर भी डीईओ कार्यालय से खरीदी क्यों की गई, जब डीईओ से ही खरीदी होनी थी तो संकुलों के खाते में राशि क्यों भेजी गई ? संकुलों से किसी तरह का मांग पत्र क्यों नहीं मंगाया गया, इसलिए जहां जरूरत नहीं थी, वहां भी फर्नीचर क्यों भेजे गए? ऐसे कई संकुल हैं, जहां कम्प्यूटर नहीं, फिर भी कंप्यूटर टेबल क्यों भेजे गए, जैसे सवाल अभी अनुत्तरित हैं। देखने वाली बात होगी कि कलेक्टर इस मामले में क्या कदम उठाते हैं?