Home छत्तीसगढ़ राज्योत्सव पर जिले के कृषक एनेश्वर वर्मा को डॉ. खूबचंद बघेल सम्मान

राज्योत्सव पर जिले के कृषक एनेश्वर वर्मा को डॉ. खूबचंद बघेल सम्मान

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कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए किया गया सम्मानित

राजनांदगांव(दावा)। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर राजधानी रायपुर में आयोजित राज्योत्सव के अवसर पर राज्य अलंकरण समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज राजनांदगांव के कृषक एनेश्वर वर्मा को कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर डॉ. खूबचंद बघेल सम्मान से सम्मानित किया। कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने कृषक एनेश्वर वर्मा को यह सम्मान मिलने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि कृषक एनेश्वर वर्मा की यह उपलब्धि अन्य किसानों के लिए प्रेरक है। समारोह में उप संचालक कृषि जीएस धु्रर्वे भी उपस्थित थे।


डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम पारागांव के किसान एनेश्वर वर्मा ने बताया कि वे शासन की महत्वपूर्ण योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना का अपने क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। अपने घर में भी घुरूवा संवर्धन, गरूवा संरक्षण एवं उन्नत बाड़ी तैयार कर अन्य किसानों को जीवंत प्रदर्शन के माध्यम से जानकारी दे रहे हंै। ग्राम के तथा आसपास के ग्रामों के लगभग 150-200 किसानों को कृषि की उन्नत तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं एवं शासकीय योजना का प्रचार-प्रसार भी कर रहे हंै। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग से स्प्रिंकलर सिंचाई तथा उद्यानिकी विभाग की ओर से संचालित माइक्रो सिंचाई योजना के तहत टपक सिंचाई पद्धति को अपनाकर जल का सही उपयोग किया तथा खेती एवं साग-सब्जी, फल-बागवानी फसलों का विस्तार किया। उन्होंने खरीफ सीजन धान फसल में नवीन तकनीक राज्य पोषित योजनांतर्गत श्री विधि को अपनाते हुए प्रति हेक्टेयर 70 क्विंटल धान उपज प्राप्त की, जो कम लागत में अधिक उत्पादन था।


उन्होंने पशुपालन से प्राप्त गोबर एवं गोमूत्र के उपयोग को बढ़ाने के लिए गोबर गैस संयंत्र का उपयोग ज्यादा किया तथा बायो गैस सलेरी को कंपोस्ट के रूप में जैविक खाद का निर्माण किया। उन्होंने गोमूत्र, नीम, करंज, धतूरा आदि को मिलाकर कीटनाशक बनाने का कार्य आरंभ किया। जिससे कृषि लागत 15 प्रतिशत कम कर अतिरिक्त आय अर्जित किया। खरीफ सीजन में सोयाबीन तिलहनी फसल को भर्री खेत में उपयोग किया और आधार बीज सहकारी समिति से प्राप्त कर बोआई किया, तिलहन फसल सोयाबीन का अधिक उत्पादन मिला। रबि सीजन में अलसी तथा सरसों फसल का उत्पादन किया। उनके प्रयास और लगन को देखकर उन्हेंं वर्ष 2018-19 में राज्य स्तरीय उन्नत कृषक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कृषक एनेश्वर वर्मा ने बताया कि उनका राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय कृषि मेला एवं प्रदर्शनी में भ्रमण कर कृषि तथा उद्यानिकी से संबंधित नवीन तकनीक के प्रति रूझान बढऩे लगा और उन्होंने नवीनतम तकनीक का प्रयोग करते हुए खेतों के नलकूप में मोबाईल स्टार्टर का उपयोग किया। जिससे फसलों को जितने पानी की जरूरत उतना ही बंद एवं चालू कर सेटिंग कर सिंचाई किया जा सकता है, जिससे जल संरक्षण हुआ। उन्होंने बताया कि वे कहीं से भी अपने मोबाईल स्टार्टर के माध्यम से नलकूप को ऑपरेट कर सकते हैं। उन्होंने वर्ष 2028-19 में पीवीसी पाईप एवं गैस लाइटर के द्वारा एक मॉडल तैयार किया है, जिससे खेत का नुकसान करने वाले पक्षियों एवं बंदरों को भगाने में मदद मिलती है।

मेढ़ों में अरहर, अरबी एवं फलदार फसल एक साथ सीजन में मिल जाता है तथा उन्होंने मेढ़ों पर ही इमारती लकड़ी का पौधरोपण भी किया है। माली प्रशिक्षण प्राप्त कर उद्यानिकी एवं पौध प्रबंधन में कार्य कर पौधा बनाना, ग्राफ्टिंग तथा ग्राम के बेर के पेड़ को बडिंग कर उन्नत किस्म में परिवर्तन करने का प्रयास सफल रहा। खाली पड़े एक हेक्टेयर जमीन को पानी एकत्र कर खेती करने के लिए स्वयं का बांध उन्होंने तैयार किया है, जिसमें बारिश के पानी को नाले की सहायता से एकत्र कर जल संरक्षण किया जाता है। सिंचाई में होने वाला खर्च इससे नहीं होता तथा आसानी से खेतों में नाले के माध्यम से सिंचाई हो जाती है। जल संरक्षण को अपनाते हुए उन्होंने नलकूपों के केसिंग में छिद्र कर भू-जल संवर्धन रिचार्ज बनवाया है। कृषि विभाग से भू-जल संवर्धन का लाभ एक नलकूप के लिए मिला। साथ ही सभी नलकूप निर्माण करने पर जल स्तर बढ़ा है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत तालाब डबरी का निर्माण कर मत्स्य पालन का कार्य भी किया। जिससे मछली पालन से अतिरिक्त आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनीक का उपयोग करने की वजह से अभी उनके पास दो ट्रेक्टर, एक कार है और वे अपने परिवार के बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रहे हैं।

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