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दो करोड़ की लागत से बन रहा सीवरेज वाटर, बूढ़ा सागर और रानी सागर को मिलेगी गंदे पानी से मुक्ति

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राजनांदगांव(दावा)। शहर के रियासत कालीन तालाब बूढ़ासागर में आसपास के वार्डों व गंदे नालो का पानी अब समाहित नहीं हो पाएगा। जमात पारा, लालबाग, सिंधी कालोनी, बीएनसी मिल आदि क्षेत्रों की ओर से आने वाले गंदे नाले-नालियों का पानी को अब रोक कर सिवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से साफ किया जाएगा और उस साफ पानी को तालाब के मिलने दिया जाएगा। इसी तरह रानी सागर में भी गंदा पानी नहीं पहुंच पाएगा।

इस बारे में नगर निगम ने शहर के ऐतिहासिक तालाब बूढ़ा सागर व रानी सागर में गंदे पानी की निकासी रोकने लगभग दो करोड़ रूपये की लागत वाली सिवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की योजना तैयार की है जिसका काम भी चालू हो चुका है। इस योजना को जल्द पूरा करने के लिए निगम द्वारा चालू की गई जमीनी स्तर पर कार्य प्रगति की ओर है। इस हेतु बूढ़ा सागर के उतरी छोर पर सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का कार्य प्रगति पर है का बोर्ड चस्पा देखा जा सकता है।

एसटीपी में होगी पानी की सफाई
ज्ञात हो कि बूढ़ा सागर में आसपास के वार्डों का गंदा पानी समाहित न होने के लिए पूर्व महापौर नरेश डाकलिया तथा मधुसूदन यादव के कार्यकाल मेें दो-दो बार सम्पवेल लगाने का कार्य किया गया था। सम्पवेल के माध्यम से गंदा पानी को बाहर करने वाइडनर स्कूल की ओर पाइप लाइन बिछायी गयी है। सम्पवेल के बार-बार बिगडऩे की भी शिकायत रहती थी। इससे बूढ़ासागर में गंदा पानी की निकासी बादस्तुर जारी था। अब उक्त गंदा पानी को सीवरेज वाटर ट्रीटमेन्ट प्लांट के माध्यम से सफाई कर बूढा सागर में समाहित होने दिया जाएगा। इससे न केवल बूढ़ा सागर अपितु रानी सागर में प्रदूषण रूक जाएगा व शहर वासियों को दोनों रियासत कालीन तालाब में साफ-सुथरा पानी मिल सकेगी।

16 करोड़ से हो रहा सौन्दर्यीकरण
नगर-निगम द्वारा 16 करोड़ की लागत से बूढ़ासागर व रानी सागर का सौदर्यीकरण किया जा रहा है। इसमें लगभग 7 करोड़ रूपये का निर्माण कार्य सौंदर्यीकरण के लिये किया जा चुका है।
इसी क्रम में बूढ़ासागर में गंदा पानी निकासी रोकने सम्पवेल के समीप सिवरेज वाटर ट्रीटमेन्ट प्लांट लगाया जा रहा है।

बूढ़ा सागर में आसपास के गंदे नालों का पानी समाहित होने से रोकने सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है। इससे जल्द ही शहरवासियों को बूढ़ा सागर व रानी सागर का पानी साफ-सुथरा मिल सकेगा।

चन्द्रकांत कौशिक, निगम आयुक्त

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