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अस्पताल के आईसीयू में गैस रिसाव से दो मरीजों की मौत

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आधी रात को हुआ हादसा, मृतकों के शवों को बिना पीएम के परिजनों को सौंपा गया

राजनांदगांव(दावा)। शहर के बसंतपुर स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बड़ा हादसा हो गया। आधी रात आईसीयू में गैस के रिसाव और फिर पाइप फट जाने से आईसीयू में भर्ती दो मरीजों की मौत हो गई है। वहीं कुछ मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है।

बताया जा रहा है कि इस दौरान आईसीयू में भर्ती एक मरीज मोहन सिंह पिता राम रतन चंद्रवंंशी (62) निवासी ग्राम कांदूल थाना अर्जुंदा जिला बालोद की मौत हो गई। इसके अलावा एक महिला की भी मौत होने की जानकारी सामने आई है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा महिला की मौत की जानकारी नहीं दी गई है। वहीं इन लोगों के मौत के ठोस कारण का तो पता नहीं चल पाया, कहा जा रहा है कि दम घुटने से मरीजों की मृत्यु हुई होगी। बताया जा रहा है कि मंगलवार-बुधवार दरम्यानी रात लगभग 1.30 बजे मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आईसीयू वार्ड में अचानक ऑक्सीजन गैस के रिसाव शुरु हो गया। गैस रिसाव होने से वार्ड में भर्ती मरीजों में अफरा-तफरी मच गई। मौके पर मौजूद कर्मचारियों द्वारा वार्ड में भर्ती 9 अति गम्भीर मरीजों को तत्काल वार्ड से बाहर निकाला गया। मिली जानकारी के अनुसार दोनो मृतकों के शव को बिना पोस्ट मार्टम के ही साधारण मौत बता कर उनके परिजनों को सौंप दिया गया है।

आरक्षक ने बचाई अन्य मरीजों की जान
हॉस्पिटल पुलिस चौकी में तैनात जवान अमित समुन्द्रे ने गैस पाइप लाइन फटने की घटना के बीच सूझबूझ का परिचय देते हुए वार्ड में भर्ती कई मरीजों की जान बचाई। आरक्षक ने वार्ड में रखे फायर सिलेंडर से वार्ड में लगने वाली आग पर काबू पाया, इस प्रकार एक बड़ी दुर्घटना को टाला गया। लेकिन इस बीच 2 मरीज की मौत हो गई। इस हादसे के बाद वार्ड में अफरा-तफरी मच गई। अस्पताल में भर्ती मरीजों को परिजनो ने वार्ड से हटाया। बता दें अभी भी मरीज वहाँ दहशत मे है। वहीं घटना के बाद जिला प्रशासन के एडिशनल कलेक्टर पहुंचे और इस लापरवाही पर अस्पताल प्रांधक समेत डॉक्टर और नर्स को फटकार लगते हुए सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।

सात से ज्यादा सिलेंडर रखे थे आईसीयू में
जानकारी के अनुसार जिस वक्त धमाका हुआ उस वक्त आईसीयू में ऑक्सीजन के एक नहीं, बल्कि सात से अधिक बड़े सिलेंडर थे, वक्त रहते बचाव कार्य नहीं किया जाता तो बड़ा हादसा हो सकता था। आग पर काबू पाने के 12 से ज्यादा फायर सेफ्टी स्प्रे खर्च किया गया, तब जाकर स्थिति संभल पाई। इस संवेदनशील मामले में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। इस संबंध में जानकारी लेने अधीक्षक डॉ प्रदीप बेक और सीएमएचओ डॉ मिथलेश चौधरी से उनके मोबाइल पर संपर्क किया गया, लेकिन दोनो अधिकारियों ने फोन रिसीव नहीं किया।

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