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इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय द्वारा फीस में वृद्धि और निरंतरता शुल्क वसूलना अमानवीय- सांसद पांडे

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*संगीत विश्वविद्यालय के निर्णय से आहतइंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय द्वारा फीस में वृद्धि और निरंतरता शुल्क वसूलना अमानवीय- सांसद पांडे है मान्यता प्राप्त संगीत महाविद्यालय

*जब विश्वविद्यालय, स्कूल ,कॉलेज बंद है तो फिर परीक्षा कैसी ?

संगीत की परीक्षा बिना प्रैक्टिकल के संभव नहीं

*कोरोना काल में महाविद्यालयों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल रहा है इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय

राजनांदगांव । सांसद संतोष पांडे ने कहा कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह एवं रानी पद्मावती देवी सिंह के उद्देश्यों को विश्वविद्यालय प्रशासन भुला चुका है और यहां संगीत नृत्य एवं अन्य कलाएं सीखने वाले विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है । इससे मान्यता प्राप्त संगीत महाविद्यालय वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण विगत नौ- दस माह से पूर्णतः बंद है और विद्यार्थी अभी संगीत नहीं सीख रहे हैं। ऐसे समय में विश्वविद्यालय प्रशासन इन महाविद्यालयों से निरंतरता शुल्क मांग कर रहा है। यही नहीं विद्यार्थियों से 10 फीसदी बढे़ हुए दर पर परीक्षा फॉर्म भरवा कर भिजवाने के निर्देश भी उसके द्वारा महाविद्यालयों को दिए हैं । जबकि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त संगीत महाविद्यालयों में डिप्लोमा स्तर का कोर्स चलता हैं जिसमें कक्षा चौथी से लेकर महाविद्यालय परीक्षार्थी तक शामिल होते हैं। छत्तीसगढ़ शासन ने अभी स्कूलों को बंद रखा है ऐसे समय में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा परीक्षा संचालित करना समझ से परे है।

सांसद श्री पांडे ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्कूलों को बंद रखा गया है और लोगों की माली हालत भी अभी ठीक नहीं है वे अपने बच्चों के लिए परीक्षा शुल्क वह भी 10 फ़ीसदी बड़े हुए दर पर नहीं दे सकते, । इसमें भी 10 फीसदी शुल्क बढ़ा दिया गया है। कुल मिलाकर कोरोना कॉल में विश्वविद्यालय प्रशासन मौके का फायदा उठाते हुए कमाई में लगा हुआ है। सांसद श्री पांडे ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन ने ही अभी 31 दिसंबर तक स्कूलों को बंद रखने का निर्णय लिया है और गत 28 नवंबर को हुई कैबिनेट स्तरीय बैठक में महाविद्यालयों को 15 दिसंबर 2020 तक खोलने की बात कही गई है, वह भी स्थिति के हिसाब से महाविद्यालय खोले जा सकते हैं । यदि कोरोना के केस बड़े तो महाविद्यालय के खोलने पर विचार किया जा सकता है । फिलहाल अभी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय बंद है । ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों से परीक्षा फॉर्म भरवाना और निरंतरता शुल्क लेना समझ के बाहर की बात है । छत्तीसगढ़ शासन ने शिक्षण संस्थाओं को मात्र ट्यूशन शुल्क लेने के लिए कहा है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन बिना विद्यार्थियों के ही परीक्षा फॉर्म भरवाने के लिए आदेश जारी कर रहा है और वह भी 10 फ़ीसदी बढे़ हुए शुल्क के साथ ! विश्वविद्यालय प्रशासन के तुगलकी निर्णय के कारण विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में पड़ गया है क्योंकि उनकी कक्षाएं अभी प्रारंभ नहीं हुई है और ऐसे समय में वे परीक्षा देते हैं तो अपने भविष्य के साथ ही खिलवाड़ करेंगे। केवल सर्टिफिकेट हासिल करना अलग बात है और किसी विद्या को सीखना अलग बात है। विश्वविद्यालय प्रशासन के इसी तुगलकी निर्णय की ओर संगीत महाविद्यालय संघ ध्यान आकृष्ट कराने में लगा हुआ है ।
सांसद श्री पांडे ने कहा कि वे कुलाधिपति एवं राज्यपाल महामहिम सुश्री अनुसुइया उइके से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हैं साथ ही यह भी अनुरोध करते हैं कि मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाते हुए महाविद्यालयों का निरंतरता शुल्क कोविड-19 काल में माफ किया जाए और परीक्षा शुल्क में भी वृद्धि न की जाए तथा महाविद्यालय खुल जाने के बाद विद्यार्थियों को उनका कोर्स पूरा कराने में कुछ समय दिया जाए इसके बाद परीक्षा संचालित की जाए।

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