ब्लेक लिस्टेड ठेकेदार से कराया जा रहा निर्माण कार्य
राजनांदगांव(दावा)। रानीसागर के किनारे बन रही सडक निर्माण मे घोर अनियमितता देखने को मिल रही है, वहीं मार्ग निर्माण को लेकर आवश्यक सूचना फलक भी नहीं लगाया जाना स्पष्ट रुप से कार्य मे पारदर्शिता नही होने का सबूत है।
ठेकेदार द्वारा जीएसबी के नाम से घटिया क्वालिटी की गिट्टी और बजरी बिछा कर छोड दिया गया है। दो माह हो गए हैं और खतरनाक बन चुके इस रास्ते मे रोज 2-4 लोग गिरकर घायल हो रहे हैं, वही लोगों के वाहन भी पंचर हो रहे हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्माणाधीन इस सड़क को देखने कोई भी विभागीय अधिकारी नहीं आता है। आज इस मार्ग की अनुमानित लागत या कार्यपूर्ण अवधि, ठेकेदार का नाम आदि जरुरी जानकारी किसी को नहीं है। आम नागरिक का यह अधिकार है कि जनता के पैसे से बनने वाली इस सड़क की लागत के बारे में जान सके। इस मार्ग पर सर्किट हाउस तक चकाचक सड़क बनी हुई है और इसके आगे से ठेकेदार द्वारा मार्ग निर्माण किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में इस सड़क निर्माण को लेकर विरोध में जन आंदोलन भी हुआ था और बाद में मार्ग के बीच के वृक्षों के नहीं काटे जाने के निर्णय के बाद इसकी स्वीकृति फिर से हुई और दोबारा टेंडर किए जाने की बजाय पुराने ठेकेदार को ही यह काम सौंप दिया गया। पूर्व में इसकी लागत लगभग चार करोड थी, जबकि जानकारों की मानें तो यह कार्य 50 लाख से उपर का नहीं है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस मार्ग की स्वीकृति मे अहम भूमिका निभाने वाले जन प्रतिनिधि भी मौन हंै। महापौर को भी चाहिये कि शहर के बीच चल रहे इस कार्य मे पूरी निगरानी रखें।
इसे लेकर महापौर एवं राजगामी संपदा के चेयरमेन विवेक वासनिक एवं वार्ड पार्षद रिषि शास्त्री का मौन रहना भी आश्चर्यजनक है और इसे लेकर इनकी बदनामी भी हो रही है। आम जनता इनसे अपेक्षा करती है कि इस मार्ग के निर्माण की निगरानी करे और इसे भ्रष्टाचार की भेंट चढऩे से बचाएं। शहर के मध्य चल रहे इस कार्य पर आम लोगों की स्वाभाविक नजर है, इसलिए इस कार्य की स्वीकृति में भूमिका निभाने वाले जनप्रतिनिधियों को सावधान हो जाना चाहिए और अपने तु’छ स्वार्थों का परित्याग करते हुए अपनी वर्तमान छबि को बरकरार रखना चाहिये। इन्हे चाहिये कि सबसे पहले कार्य स्थल पर सूचना फलक लगवाएं ताकि जागरुक जनता भी समझ सकें कि उनके पैसे का कितना दुरुपयोग या उपयोग हो रहा है?
उल्लेखनीय है कि इस कार्य की स्वीकृति प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री को धोखे में रखकर कराई गई है और उन्हें विभागीय अधिकारियों द्वारा यह बताया गया कि इस सड़क का बेहतरीन तरीके से निर्माण किया जाएगा और इसकी गुणवत्ता और सुंदरता प्रदेश में एक उदाहरण बनेगी। लोक निर्माण मंत्री को भी चाहिये कि वे अपने गोपनीय सूत्रों से इस कार्य की पूरी जानकारी लें ताकि वे भी हकीकत से वाकिफ हो सकें। बताया जाता है कि जिस इेकेदार को इस सड़क के निर्माण का जिम्मा दिया गया है, वह पहले से ही ब्लेक लिस्टेड है और दूसरे फर्म के नाम पर टेंडर पास कराकर काम करा रहा है। ऐसे में विभाग को काम देने के पहले यह जरुर देखना चाहिए कि कहीं ठेकेदार ब्लैक लिस्टेड तो नहीं है।