नई दिल्ली । राज्यसभा मेंप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन जारी है। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा के जवाब में प्रधानमंत्री अपनी बात रख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत वैश्विक चुनौतियों से की। उन्होंने कहा कि हाल ही में विश्व ने कई चुनौतियों का सामना किया है। पूरा विश्व अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच। राज्य सभा में करीब 13-14 घंटे तक 50 से अधिक माननीय सदस्यों ने अपने बहुमूल्य विचार रखे। इसलिए मैं सभी आदरणीय सदस्यों का हृदय पूर्वक आभार व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोरोना महामारी फैली तो भारत के बारे में विश्व समुदाय और वैज्ञानिकों ने कई आशंकाएं जताई थी, लेकिन भारत ने इस महामारी से डटकर मुकाबला किया। इसका श्रेय किसी सरकार, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है, बल्कि भारत की जनता को जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे समय में भी किसी झोपड़ी में बैठकर दीपक जलाने वाली बूढ़ी महिला द्वारा दीपक जलाने का कुछ लोगों ने मजाक उड़ाया था। कोरोना काल में लोगों को एकजुट करने का प्रयास करना था, ऐसे समय में कुछ लोग राजनीति कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों की सोच में छोटा किसान था क्या? जब हम चुनाव आते ही एक कार्यक्रम करते हैं कर्जमाफी, ये वोट का कार्यक्रम है या कर्जमाफी का ये हिन्दुस्तान का नागरिक भली भांति जानता है। लेकिन जब कर्जमाफी करते हैं तो छोटा किसान उससे वंचित रहता है, उसके नसीब में कुछ नहीं आता है। पहले की फसल बीमा योजना भी छोटे किसानों को नसीब ही नहीं होती थी। यूरिया के लिए भी छोटे किसानों को रात-रात भर लाइन में खड़े रहना पड़ता था, उस पर डंडे चलते थे। पीएम किसान सम्मान निधि योजना से सीधे किसान के खाते में मदद पहुंच रही है। 10 करोड़ ऐसे किसान परिवार हैं जिनको इसका लाभ मिल गया। अब तक 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपये उनके खाते में भेजे गये हैं। इसमें अधिकतर छोटे किसान हैं। अगर बंगाल में राजनीति आड़े नहीं आती, तो ये आंकड़ा उससे भी ज्यादा होता
प्रधानमंत्री ने कहा कि2014 के बाद हमने कुछ परिवर्तन किया, हमने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान, छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके। पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये के क्लेम किसानों को दिए गए है। पहली बार हमने किसान रेल की कल्पना की। छोटा किसान जिसका सामान बिकता नहीं था, आज गांव का छोटा किसान किसान रेल के माध्यम से मुंबई के बाजार में अपना सामान बेचने लगा, इससे छोटे किसान को फायदा हो रहा है। पहली बार हमने किसान रेल की कल्पना की।