इस साल कुंभ मेला 11 मार्च से शुरू होगा। कुंभ मेले के समय गंगा स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। शाही स्नान के साथ कई और महत्वपूर्ण तिथियां होती हैं। जिनमें स्नान करना फायदेमंद होता है। इस वर्ष का पूर्ण कुंभ का स्नान हरिद्वार में होगा। जिसका पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि के दिन है। देश के कोने-कोने से लाखों तीर्थ यात्री कुंभ का स्नान करने आते हैं। आइए जानते हैं क्यों लगता है कुंभ मेला और इसके फायदे।
कुंभ मेला लगने का क्या है कारण?
हिंदी धर्म की मान्यता के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण इंद्र देव की शक्तियां खत्म हो गई थी। हर जगह राक्षसों का वर्चस्व बढ़ गया और स्वर्ग पर भी अधिकार कर लिया। फिर परेशान इंद्र देव ब्रह्मा के पास मदद मांगने पहुंचे। तब ब्रह्म देव ने उन्हें भगवान विष्णु के पास भेज दिया तब उन्होंने समुद्र मंथन का सुझाव दिया। फिर देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ। जिलमें कई रत्नों के साथ अमृत कलश भी निकला। हर कोई अमृत को पीकर अमर होने चाहता था। इस वजय से देवताओं और राक्षसों में युद्ध हुआ। यह युद्ध 12 दिनों तक चला जो धरती पर 12 सालों के बराबर होते हैं। इस कारण कुंभ हर 12 साल में एक बार आता है। वहीं अमृत की कुछ बूंदे छीना-झपटी के दौरान प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन की पवित्र नदियों में गिर गई। ऐसे में अमृत प्रभाव और पुण्य प्राप्ति हेतु चारों स्थानों पर हर 12 साल में एक बार कुंभ मेला लगता है। इस स्थानों पर हर तीन वर्ष के अंतरात पर एक बार कुंभ मेला लगता है।
क्या है कुंभ में गंगा स्नान के ये हैं फायदे
– हिंदू धर्म में नदियों को पूजा जाता है। सभी तीर्थ कहीं न कहीं उनमें बसे हैं। गंगा जी को हिंदू धर्म में मां का दर्जा दिया गया है। ऐसे में गांगा स्नान का महत्व काफी महत्वपूर्ण है।
– गंगा के बिना हिंदू संस्कार अधूरा माना जाता है। गंगाजल अमृत के समान है। ऐसे में गंगा स्नान का महत्व बढ़ जाता है।
– मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, पूर्णिया, अमावस्या और महाशिवरात्रि के वक्त गंगा स्नान काफी फायदेमंद माना गया है।
गंगा स्नान और पूजा से यश और सम्मान की प्राप्ति होती है। वहीं सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
– गंगा पूजन के मांगलिक दोष वाले व्यक्ति को लाभ होता है।
– गंगा स्नान से अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी कम होता है।