बिलासपुर। शहर के रेलवे क्षेत्र में शौकिया तौर पर सहजन (मुनगा) लगाने का दौर करीब 20 साल पहले शुरू हुआ तो इसके व्यावसायिक लाभ और औषधि को लेकर किसी को भी अंदाजा नहीं था। अब इसी मुनगा की मांग शहर से निकलकर पश्चिम बंगाल समेत बिहार और दक्षिणी राज्यों तक पहुंच गई है।
इसे यहां से ले जाकर विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है। कंबोडिया, फिलीपींस, श्रीलंका व अफ्रीकी देशों में इसे खूब पसंद किया जाता है। इसे देखते हुए अब शहर के बाकी इलाके में भी मुनगा लगाया जा रहा है। खास बात यह है कि कोरोना ने मांग और बढ़ा दी है।
सहजन को सामान्य मुनगा से अधिक लाभप्रद बताया जाता है। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग में इस पर रिसर्च भी चल रहा है। एक औषधि के रूप में इम्युनिटी बढ़ाने के साथ हड्डियों को मजबूत करने शुगर, लीवर और यूरीनल समस्याओं के लिए रामबाण इलाज माना जाता है।
बंगाल में काफी समय से इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जा रहा है। वहां इसे पाउडर व टानिक तैयार कर विदेशों में भेजा जाता है। वर्ष 2019-20 में 6980 टन सहजन निर्यात किया गया था। इस साल 8000 टन निर्यात का अनुमान है। बीते वर्ष बुधवारी बाजार व तिफरा मंडी में 70 रुपये प्रति किलो भाव था।
इस वर्ष बढ़कर 95 रुपये पहुंच गया है। सिर्फ रेलवे परिक्षेत्र से प्रतिदिन 20 से 30 टन मुनगा बंगाल को भेजा जा रहा है। बुधवारी थोक मंडी के व्यापारी अजय पटेल के मुताबिक यह आम मुनगा से एकदम अलग है। व्यापारी बरसात के शुरुआती दिनों में घरों में लगे पेड़ों को बुक कर लेते हैं। फली आने से पहले ही कटाई शुरू हो जाती है।
पोषक तत्वों से भरपूर है सहजन
सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रिसर्च अभी जारी है। प्रारंभिक परीक्षण से पता चला है कि सहजन में सभी तरह के पोषक तत्व हैं। वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। इसमें मल्टीविटामिन, एंटी आक्सीडेंट, दर्द निवारण गुण और एमिनो एसिड पाए जाते हैं।
डा.अश्विनी दीक्षित
विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग