दुनिया में पिछले 72 घंटे में तीन बड़े भूकंप (Earthquake) आए हैं। जिससे किसी अनहोनी की आशंका पैदा हो गई है। शुक्रवार को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों पर झटके महसूस किए गए। वहीं ताजिकिस्तान (Tajikistan) में 6.3 तीव्रता भूकंप आया है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science) ने कहा कि पिछले साल 964 हल्के भूकंप दर्ज किए गए थे, उनमें 13 दिल्ली-एनसीआर में आए थे। भू वैज्ञानिकों ने जोर दिया कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एक उचित आपदा प्रबंधन योजना होनी जरूरी है, लेकिन पहले से इसकी भविष्यवाणी करना संभव नहीं है।
न्यूजीलैंड में 7.7 तीव्रता का भूकंप: 11 फरवरी को न्यूजीलैंड (New Zealand) के उत्तर में बड़े पैमाने पर भूकंप आया है। जिसकी तीव्रता 7.7 नापी गई है। जिसके बाद क्षेत्र में सुनामी की चेतावनी भी जारी कर दी गई है। यूएस जियोलॉजिकल एजेंसी ने बताया कि भूकंप लॉयल्टी द्वीप समूह के दक्षिण-पूर्व में 10 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था।
जापान के फुकुशिमा में धरती कांपी: जापान (Japan) के उत्तरपूर्वी फुकुशिमा (Fukushima) प्रांत में 13 फरवरी को 7.1 तीव्रता का भूकंप आया। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक भूकंप समुद्र तल से लगभग 60 किलोमीटर नीचे आया था। भूकंप को राजधानी टोक्यो में भी महसूस किया गया। जापान सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय में एक टास्क फोर्स का गठन भी किया है।
क्या चिंता करने की जरूरत है: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भूविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. सौमित्र मुखर्जी (Dr. Soumitra Mukherjee) का कहना है कि भूकंप आने से पहला पृथ्वी में परिवर्तन होते हैं। जिसका आकलन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भूकंप आने से पहले वनस्पति या तो सूख जाती है या बहुत हरि हो जाती है। यह उपग्रहों के माध्यम से पता लगाया जा सकता है। मुखर्जी ने कहा, रिमोट सेंसिंग से पता लगाया जा सकता है कि पृथ्वी पर किसी भी स्थान पर ऊंचाई में परिवर्तन हुआ है। अगर ऐसा है तो इसका मूल्यांकन अत्याधुनिक रिमोट सेंसिंग विधि से किया जा सकता है। डॉ. सौमित्र के विपरीत भारत मौसम विभाग के सेंटर फॉर सेमियोलॉजी एंड अर्थक्वेक रिस्त इवैल्यूएशन सेंटर के पूर्व प्रमुख एके शुक्ला का कहना है कि भूकंप की भविष्यवाणी करने के लिए कोई तकनीक नहीं है। हाल में आए भूकंप एक चेतावनी है।