नई दिल्ली। इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा है कि चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण अब 2022 में होने की संभावना है, जो पहले 2020 के अंत में प्रक्षेपित किया जाना था। कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से चंद्रयान-3 और देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ सहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कई परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं। चंद्रयान-3 में अपने पूर्ववर्ती यानों की तरह ‘ऑर्बिटर’ नहीं होगा।
सिवन ने कहा, हम इस पर काम कर रहे हैं। यह चंद्रयान-2 की तरह ही है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा। चंद्रयान-2 के साथ भेजे गए ऑर्बिटर को ही चंद्रयान-3 के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसी के साथ हम एक प्रणाली पर काम कर रहे हैं और अधिकतर संभावना है कि प्रक्षेपण अगले साल 2022 में होगा।
चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 22 जुलाई 2019 को हुआ था और इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘रोवर’ उतारने के लिए भेजा गया था। हालांकि चंद्रयान-2 का लैंडर ‘विक्रम’ सात सितंबर 2019 को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं रहा और पहले ही प्रयास में यह सफलता अर्जित करने का भारत का सपना अधूरा रह गया।
इसरो के लिए चंद्रयान-3 भी एक महत्वपूर्ण मिशन है, जो अंतरग्रहीय ‘लैंडिंग’ में भारत के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा। सिवन ने कहा कि गगनयान परियोजना के तहत इस साल दिसंबर में इसरो के प्रथम मानवरहित मिशन को अंजाम देने की योजना है, जिसे पिछले साल दिसंबर में ही अंजाम दिया जाना था।
उन्होंने कहा कि इसके बाद एक और मानवरहित मिशन को अंजाम दिया जाएगा तथा फिर तीसरी बार में मानवयुक्त मिशन को अंजाम दिया जाएगा। गगनयान परियोजना के तहत 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है। इस मिशन के लिए चार ‘टेस्ट पायलट’ चुने गए हैं, जो इस समय रूस में प्रशिक्षण ले रहे हैं।
इस परियोजना के तहत तीसरे मॉड्यूल-मानव मिशन के प्रक्षेपण के बारे में पूछे जाने पर सिवन ने कहा, काफी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन की आवश्यकता है। यह परखने के बाद कि सभी प्रौद्योगिकी एकदम सही है, हम मानव मिशन के प्रक्षेपण समय के बारे में निर्णय करेंगे।