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गर्मी में पानी की समस्या से निपटने प्रशासन के पास ठोस प्लान नहीं

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शिवनाथ में बनाए एनीकटों में भी गर्मी के दिनों के लिए नहीं ठहर रहा पानी, तालाब भी सूख रहे
राजनांदगांव (दावा)।
शिवनाथ सहित अन्य नदियों में जल संरक्षण करने के लिए शासन द्वारा जगह-जगह बनाए गए एनीकट, तालाब व कुआं निर्माण भी कारगर साबित नहीं हो रहा है। शिवनाथ पर एनीकटों में भ्रष्टाचार के छेद और समय रहते गेट को बंद नहीं करने के कारण गर्मी के दिनों तक पानी ही नहीं बचता।

गर्मी में जब लोगों को पानी की नितांत आवश्यकता है, तब शिवनाथ नदी में कहीं-कहीं ही पानी मिल रहा। जबकि जिले की अन्य नदियां तो पूरी तरह सूख चुकी है। ऐसे में नदी किनारे बसे गांवों को भी निस्तारी के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है।

जल संरक्षण के लिए होता है हर साल करोड़ों का काम
मिली जानकारी के अनुसार पिछले तीन सालों में जिले में मनरेगा के तहत पानी के संचय व संरक्षण के लिए विभिन्न कार्य कराए गए। इसके तहत तालाब निर्माण व गहरीकरण, कुएं निर्माण, नहरनाली निर्माण, बांध गहरीकरण आदि कार्य शामिल है। तकरीबन तीन सालों में 900 तालाबों का गहरीकरण किया गया। वहीं 3700 डबरी का भी निर्माण किया गया। इन सब कार्यों में करीब 350 करोड़ राशि भी खर्च हो चुकी, लेकिन वर्तमान में गांवों में सैंकड़ों तालाब सूखने के कगार में है। तालाबों में गर्मी के दिनों तक पानी ही नहीं बच रहा। यही कारण है कि गर्मी के दिन आते ही पानी की समस्या गहराने लगती है। गांवों से पानी की मांग को लेकर ग्रामीण जिला कार्यालय तक चक्कर लगाते हैं। कुछ गांवों में पानी खरीदकर पीने की नौबत आ जाती है, ऐसे में शासन-प्रशासन सहित जनता को आने वाले समय में इसके लिए ठोस व कारगर कार्ययोजना बनाकर काम करने की जरूरत है।

पानी बचाने प्रयास पर्याप्त साबित नहीं हो रहा है
नदी, नाले, कुएं व तालाबों के संवर्धन व संरक्षण के नाम पर करोड़ों फूंकने के बाद शासन-प्रशासन द्वारा पानी बचाने किए जा रहे प्रयास पर्याप्त साबित नहीं हो रहे। साल दर साल भू-जल स्तर नीचे जाते जा रहा है। नदी-तालाब भी सूख जाते हैं। सभी कह रहे जल है तो कल है, लेकिन बारिश आते ही इन सब बातों को भुला दिया जाता है, पानी बचाने भू-जल को बढ़ाने ध्यान नहीं दिया जाता। पौधरोपण अभियान भी जोर-शोर से चलता है, लेकिन उन पौधों को पेड़ बनाने ध्यान नहीं दिया जाता।

वाटर हार्वेस्टिंग की सिर्फ बात होती है
शासकीय कार्यालयों सहित स्कूलों में अनिवार्य रूप से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए प्रशासन द्वारा अभियान चलाया गया, लेकिन यह भी धरा की धरा रह गया। चार महीने में छतों के पानी को सिस्टम बनाकर जमीन तक पहुंचाने की पहल टूट-फूटकर कबाड़ में तब्दील हो गई। सरकार द्वारा जल संरक्षण के लिए कई उपाय किए जाते हैं, लेकिन सरकारी तंत्र इस पर अमल करने गंभीरता नही दिखाते इसकी वजह से योजनाएं फेल हो जाती है।

पानी नहीं मिल रहा है
चूंकि शिवनाथ नदी मोहारा घाट से राजनांदगांव शहर के लिए पानी पहुंचता है, इस वजह से यहां पानी की कमी होने पर ऊपरी क्षेत्र मटियामोती जलाशय व अंबागढ़ चौकी स्थित मोंगरा बैराज से पानी छोड़ा जाता है, लेकिन जितना पानी छोड़ा जाता है उसका आधा तक मोहारा तक नहीं पहुंच पाता, क्योंकि रास्ते में ही खप जाता है। मोहारा नदी में अब अमृत मिशन योजना के तहत खरखरा जलाशय से पानी लाया जा रहा है।

पीएचई व एरीगेशन विभाग के साथ मिलकर इसके लिए प्लान किया जाएगा। फिलहाल पीएचई विभाग के अफसरों के साथ बैठक कर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पेयजल की समस्या से निपटने चर्चा की गई है। जहां-जहां पानी की समस्या है, उसे दूर किया जाएगा।
– टीके वर्मा कलेक्टर

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