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बिना एक्सपर्ट अधिकारी के चल रहा लाल आतंक के खिलाफ अभियान

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नक्सलगढ़ मानपुर में अब तक खाली है एएसपी व एसडीओपी का पद
राजनांदगांव (दावा)।
जिले के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र मानपुर डिवीजन में पुलिस प्रशासन बिना कोई एक्सपर्ट अधिकारी के ही लाल आतंक के खिलाफ अभियान में जुटी है। मानपुर डिवीजन में लंबे समय से एएसपी व एसडीओपी का पद खाली है। इस डिवीजन में थाना प्रभारियों के भरोसे ही नक्सलियों के खिलाफ जंग लड़ी जा रही है। इसके कारण रणनीति बनाने में पुलिस प्रशासन को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि जिले के दक्षिण इलाके मानपुर पुलिस डिवीजन में शीर्ष पदों पर लंबे समय से नई नियुक्ति नहीं होने से पुलिस के नक्सल अभियान पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इसकी वजह से नक्सल अभियान पर पुलिस की सटीक रणनीति बेअसर साबित हो रही है। करीब दो साल से अधिक समय से मानपुर एएसपी पद खाली पड़ा हुआ है। वहीं 5 माह से एसडीओपी पद पर भी नई नियुक्ति नहीं हुई है। दोनों ही शीर्ष पद के खाली होने से नक्सल अभियान में फोर्स पर दबाव बढ़ा है।

विधानसभा चुनाव के बाद से एएसपी का पद खाली
मिली जानकारी के अनुसार 2018 के आखिरी में विधानसभा चुनाव के बाद मानपुर एएसपी पद पर रहे तारकेश्वर पटेल को रायपुर स्थानांतरित कर दिया गया। इसके बाद से इस पद पर नई नियुक्ति नहीं हुई है। यही हाल एसडीओपी को लेकर भी है। पुलिस अनुभाग होने के कारण एसडीओपी की गैर मौजूदगी से जवानों पर दोहरा भार पड़ा है। पूर्व में नियमित एसडीओपी के रूप में संदीप मित्तल की तैनाती हुई थी। उनकी सहायता के लिए आरआई कैडर से पदोन्नत हुए रमेश येरेवार को भी पदस्थ किया गया। थोड़े दिनों बाद संदीप मित्तल का भी दूसरी जगह तबादला हो गया। इसके बाद नक्सल आपरेशन डीएसपी रहे रमेश येरेवार ने करीब 4 साल के लंबे कार्यकाल में मुस्तैदी से कार्य किया। करीब 3 माह पहले राज्य सरकार ने उन्हें मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात कर दिया। उनके तबादले के बाद से मानपुर एसडीओपी पद पर नई नियुक्ति नहीं हुई है।

भाजपा सरकार ने की थी तैनाती
बताया जा रहा है कि नक्सलियों से निपटने के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने मानपुर में शीर्ष अफसरों की तैनाती की थी। जिसका पुलिस को काफी हद तक फायदा भी हुआ। दोनों पद रिक्त होने के बाद महकमा दबाव का सामना कर रहा है। जनवरी और फरवरी के महीने में मानपुर अनुभाग में 4 ग्रामीणों को नक्सलियों ने अलग-अलग इलाकों में मौत के घाट उतार चुकी है।

डिवीजन में आधा दर्जन थाना नक्सल प्रभावित
गौरतलब है कि मानपुर अनुभाग में करीब आधा दर्जन धूर नक्सल प्रभावित थाने है। जिसमें नक्सलियों की मौजूदगी बनी हुई है। खासतौर पर मदनवाड़ा, मानपुर, सीतागांव, औंधी, कोहका और मोहला थाना के अलावा बेस कैम्पों की सीमा पर भी नक्सलियों की आमदरफ्त रहती है। सिलसिलेवार हत्या की वारदात होने के बावजूद अफसरों की तैनाती पर सरकार और महकमा गंभीर नहीं दिख रहा है। बताया जा रहा है कि पुलिस प्रशासन द्वारा राज्य सरकार को नए अफसरों की पोस्टिंग के लिए कई बार पत्र व्यवहार भी किया है। बावजूद इसके अब तक अधिकारियों की पोस्टिंग नहीं हुई है।

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