राजनांदगांव(दावा)। प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा सहकारिता का पूरी तरह सरकारीकरण किया जा रहा है। उक्तशय के आरोप लगाते हुए भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रांतीय संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने कहा है कि सहकारिता मे मूल उद्देश्य से ही वर्तमान सरकार भटक गयी है। कांग्रेस सरकार जब से सत्ता में आयी है, तब से ऐनकेन प्रकारेण सोसाइटियों के संचालक मंडल को भंग करने का कुत्सितप्रयास चल रहा है। प्रथमत: 1333 लैम्पस औरपैक्स को पुनर्गठन के नाम पर अधिनियम के विपरित भंग करदिया गया। किन्तु उच्च न्यायालय द्वारा शासन के उक्त आदेश को नियम विरूध्द करार देते हुय बहाल किया गया। पुनर्गठन पश्चात कई सोसाईटियों के बोर्डको पुन: भंग कर दिया गया। जिस पर भी हाई कोर्ट से रोक लग गई है। इस प्रकार निर्वाचित बोर्ड लगातार अपने अस्तिव की लडाई लड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में प्रदेश के सभी 2311 धान उपार्जन केन्द्रो को अघोषित रूप से संग्रहण केन्द्र बना दिया गया है। उपार्जन केन्द्रो से संग्रहण केन्द्रो में धान परिवहन पर पूरी तरह से रोक लगा दिया गया है। ऐसी स्थिति में उपार्जन केन्द्रो में लगभग 32लाख मीट्रीक टन धान अभी भी शेषपड़ा हुआ है। जिस पर किसी भी प्रकार का न रख रखाव के लिए कोई अतिरिक्त राशि दी जा रही है। और न ही महीनों से पडे धान में किसी भी प्रकार के सूखत /शार्टेज दिये जाने का प्रावधान अभी तक कियागया है। विपणन संघ के सभी 87 संग्रहण केन्द्रो में वर्तमान समय में लगभग 16 लाख मी.टन धान ही भण्डारित है जबकि क्षमता लगभग 36 लाख मी.टन हैं। इस प्रकार उपार्जन केन्द्रों में शेष सभी धान को परिवहन किया जाकर संगहण केन्द्रो में आसानी से रखा जा सकता है। धान खरीदी के समय एफ.ए.क्यू.हेतु निर्धारित मापदण्ड अधिकतम 17 प्रतिशत माश्चर रहने पर धान खरीदी किये जाने का प्रावधान है किंतु वर्तमान समय में धान डिलवरी के समय9 से 10 प्रतिशतही माश्चरदेखा जा रहा है। ऐसी स्थितिमें धान की डिलवरी यदि आज की जाती है तो भी 6 से 7 प्रतिशत सूखत आ रहा है। किंतु अभी भी यह तय नही है कि कब तक धान का उठाव किया जायेगा। जबकि खरीदी नीति में 31 मार्च तक अनिवार्य रूपसे धान उठाव किये जाने का उल्लेख है। इस प्रकार धान की सूखत में बेतहासा वृध्दि हो रही है, उसके बाद भी उपार्जन केन्द्रो को भगवान भरोसे छोडकर सहकारी सोसाइटियों को घाटे में डालनेका भारी षडयंत्र चल रहा है। सूखत के कारण आयी कमी की वसूली जहॉ एक ओर सोसाइटियों को दिये जाने वाले कमीशन से काट कर की जाती है वही धान निराकरण के समय जीरों प्रतिशत शॉर्टेज नही आने पर वर्षो से सोयाईटियों को दिये जा रहे प्रोत्साहन राशि से भी सोसाईटियों और कर्मचारियों को वंचित होना पड रहा है।
द्विवेदी ने प्रदेश कांग्रेस सरकार से मांग की है कि उपार्जन केन्द्रो में पडे धान को तत्काल संग्रहण केन्द्रो में पारिवहन कराया जावें साथ ही सोसाइटियों में भी धान में आये सूखत का प्रावधान किया जावे। क्योकि धान खरीदी नीति में इसका स्पष्ट उल्लेख है कि बफर लिमीट से ज्यादा भण्डारित धान को 72 घण्टे में पारिवहन कराये जाने की अनिवार्यता है। आज महीनों से पडे धान को नही उठाया जा रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री द्वारा रिकार्ड धान खरीदी का ढिंढोरा पीट कर वाहवाही ली जा रही है। दूसरी तरफ उपार्जन केन्द्रो में भण्डारित धान को भगवान भरोसे छोड दिया गया है, जिससे बोर्ड के सदस्यों तथा कर्मचारियों में आक्रोश उत्पन्न हो रहा है। यदि धान के रख रखाव के नाम पर एवं सूखत के कारण आयी कमी के लिए प्रावधान नही किया जाता है तो घाटे के कारण सोसाइटियों का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा, जिसका कंाग्रेस सरकार को विरोध का सामना करना पड़ेगा।