Home समाचार अब जिला कृषि विभाग में मशीन घोटाला?

अब जिला कृषि विभाग में मशीन घोटाला?

60
0

फर्नीचर बनाने व बेचने वाले फर्म को दे दिया मशीन सप्लाई का ठेका
राजनांदगांव(दावा)।
जिले के शासकीय विभागों में इन दिनों घोटालों का सिलसिला चल पड़ा है। जिला शिक्षा विभाग में फर्नीचर और बर्तन घोटाला उजागर होने के बाद अब कृषि विभाग में आयल एक्सपेलर मशीन की खरीदी में लाखों रूपयों का घोटाला सामने आया है। दिलचस्प बात यह है कि जो फर्म सिर्फ फर्नीचर संबंधी सामग्रियों का निर्माण और सप्लाई करती है और मशीन निर्माण का कोई अनुभव नहीं है, उसे आयल एक्सपेलर मशीन एवं काऊ डंग लॉग मशीन की सप्लाई का ठेका दे दिया गया है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष जनवरी माह में जिले के डोंगरगढ़, छुईखदान, अंबागढ़ चौकी, मोहला, मानपुर आदि विकासखंडों के चयनित गांवों के गोठानों में गोबर से लकड़ी बनाने वाली काऊ डंग लॉग मशीन और गोठानों से प्राप्त होने वाले विभिन्न उत्पादों से तेल निकालने के लिए आयल एक्सपेलर मशीन की खरीदी की जानी थी। इसके लिए उप संचालक कृषि विभाग राजनांदगांव द्वारा जनवरी माह में दो अलग-अलग टेंडर जारी किया गया था। मशीनों की सप्लाई हेतु संबंधित फर्म को 15 दिनों के भीतर का समय दिया गया था, किंतु टेंडर की शर्तों के अनुसार समय-सीमा में सप्लाई नहीं होने और इस मामले को लेकर शिकायतें होने के बाद आखिरकार क्रय आदेश को रद्द कर दिया गया।

कमीशन के चलते क्लर्क ने दिलाया ठेका
सूत्रों के अनुसार पांच नग आयल एक्सपेलर मशीन की खरीदी की जानी थी। एक मशीन की कीमत लगभग पांच लाख आठ हजार रूपए है, किंतु इस मशीन की सप्लाई का ठेका ऐसे फर्म को दे दिया गया, जिसे मशीन के निर्माण की कोई जानकारी और अनुभव ही नहीं है। सूत्रों का दावा है कि जिस फर्म की निविदा स्वीकृत की गई है, उसके पास कृषि उपकरण निर्माण व उत्पादन से संबंधित कोई अनुभव ही नहीं है और न ही कोई कारखाना संचालित है। जबकि नियमत: मेन्युफ्रेक्चर कंपनी का प्राथमिकता दिया जाना था। बताया जाता है कि देश में इस तरह की मशीनें बनाने का काम सिर्फ दो-तीन कंपनियां ही करती हैं, किंतु दुर्ग की किसी पारख कंपनी को ठेका दे दिया गया। बताया जाता है कि ठेका देने के एवज में कृषि उप संचालक कार्यालय में लंबे समय से पदस्थ एक क्लर्क की अहम भूमिका रही और लंबे कमीशन में लेनदेन का सौदा कर काम का ठेका दे दिया गया। बताया जाता है कि इस क्लर्क का प्रमोशन बेमेतरा हो चुका था, किंतु यहां से नहीं हटा। बताया जाता है कि वह क्लर्क राजनांदगांव में 70 एकड़ जमीन और एक डेयरी फार्म का मालिक भी है।

टेंडर शर्तों के विपरीत मशीनों की सप्लाई
इसी तरह गोठानों में गोबर से लकड़ी बनाने वाली काऊ डंग लॉग मशीन के लिए बुलाए गए टेंडर में भी आदेश के बावजूद फर्म द्वारा सप्लाई नहीं की गई। सूत्रों के मुताबिक ऐसे फर्म का टेंडर स्वीकृत कर लिया गया, जिसके द्वारा फर्नीचर जैसे सामानों का निर्माण व सप्लाई का काम किया जाता है। इस काम का ठेका अंजोरा दुर्ग की कंपनी मेसर्स संध्या काटेज को दिया गया था। टेंडर के मुताबिक जिले के विभिन्न विकासखंडों में 10 नग काऊ डंग मशीन 15 दिनों के भीतर उपलब्ध कराया जाना था। बताया जाता है कि एक नग काऊ डंग मशीन की कीमत करीब 70 हजार रूपए है। सूत्रों का दावा है कि इस फर्म को मशीन निर्माण का कोई अनुभव नहीं है, जबकि निविदा शर्त में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि जो कंपनी निर्माण कार्य का अनुभव रखती है, उसे ही इसकी सप्लाई का ठेका दिया जाना था। शिकायतकर्ता का कहना है कि विकासखंड छुईखदान में निर्धारित समयावधि के बाद दो काऊ डंग लॉग मशीन उपलब्ध कराई गई है, जो टेंडर शर्तों के विपरीत है।
बताया जाता है कि उक्त दोनों अलग-अलग मशीनों की सप्लाई के लिए उक्त दोनों कंपनियों को जो टेंडर जारी हुआ है, दरअसल वह एक ही कंपनी है। हालांकि कंपनियों के पते अंजोरा और दुर्ग बताए गए हैं।

इस मामले में कृषि विभाग के संजय सिंह का कहना है कि उक्त दोनों मशीनों की सप्लाई के लिए विभाग द्वारा टेंडर बुलाई गई थी। जिस फर्म को ठेका मिला था, उसके द्वारा निर्धारित समय पर मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गई, इस कारण क्रय आदेश को रद्द किया गया है। अब दूसरे नंबर के फर्म को मशीनों की सप्लाई का आदेश दिया जाएगा। अभी फाईल कलेक्टर साहब के पास है, इसलिए इस बारे में फैसला वे ही करेंगे। इस बारे में उप संचालक कृषि जी.एस. ध्रुवे से उनका पक्ष लेने उनके दोनों मोबाइल नंबर पर काल किया गया, किंतु बात नहीं हो पाई। बहरहाल देखने वाली बात होगी कि इस घोटाले में जिला एवं राज्य शासन क्या रूख अख्तियार करता है?

विधानसभा में उठेगा मुद्दा?
सूत्रों की मानें तो उप संचालक कृषि राजनांदगांव द्वारा उक्त दोनों मशीनों की टेंडर और नियमों के उल्लंघन का मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी आ चुका है। कुछ लोगों के द्वारा इस पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लिखित शिकायत भी की गई है। ऐसे में दोषी अधिकारियों पर कभी भी बड़ी कार्रवाई की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। वहीं विपक्षी दल के विधायक इस मामले को लेकर आगामी विधानसभा सत्र में सरकार को घेरने की तैयारी में है। बताया जाता है कि यह मामला हाल ही में चले विधानसभा सत्र में उठा होता, किंतु सत्र के दौरान कुछ विधायकों के कोरोना ग्रस्त होने के कारण सत्रावसान हो गया। इस तरह यह मामला लंबित रह गया। वहीं इस पूरे मामले को लेकर शिकायतकर्ता द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की बात कही गई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here