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उत्तराखंड में वनाग्नि : सरकार बुलाई वन , आपदा और डीएम की आपातकालीन मीटिंग

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उत्तराखंड में बेकाबू होती आग आबादी के पास तक पहुंच रही है। वनाग्नि की घटनाओं की गम्भीरता को देखते हुए तत्काल प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों, वन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग और सभी ज़िलाधिकारियों की आपातकालीन मीटिंग बुलाई है। उत्तराखंड की वन सम्पदा सिर्फ़ राज्य ही नहीं पूरे देश की धरोहर है।

आग की घटनाओं का आलम यह है कि आग से कोई जिला अब अछूता नहीं रह गया है। नैनीताल, पिथौरागढ़ के साथ ही गढ़वाल के कई जिलों के जंगलों में आग धधक रही है। पिथौरागढ़ जिले में पाताल भुवनेश्वर के पास जंगल की आग से दो मकान राख हो गए, जबकि तीन मकान को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा।

आमतौर पर फायर सीजन 15 फरवरी से 15 जून तक रहता है। लेकिन इस बार हिमपात कम होने और बारिश न होने से पूरे जाड़ों में ड्राई स्पेल लम्बा रहा जिससे आग अक्टूबर से ही लगती चली आ रही है। अब गर्मी शुरू होते ही हवाएं बढने से आग की परिस्थितियाँ बेकाबू होने की ओर बढ़ रही हैं।

बीते छह माह में प्रदेश में आग की 983 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। इनमें सर्वाधिक 584 गढ़वाल और 378 कुमाऊं मंडल में हुईं। इसके अलावा 21 घटनाएं संरक्षित वन क्षेत्रों में हुई हैं। इससे कुल 1291.13 हेक्टेयर जंगल को क्षति पहुंची है, जबकि पांच लोग जान गंवा चुके हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह से मदद की गुहार लगाई। उन्होंने ट्वीट किया कि प्रदेश में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह से बात कर उनसे आग बुझाने के लिए हेलिकॉप्टर और एनडीआरएफ के सहयोग के लिए अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा कि वनों की आग से न सिर्फ वन सम्पदा की हानि हो रही है, बल्कि जन हानि और वन्य जीवों को भी नुकसान हो रहा है।पौड़ी गढ़वाल के सतपुली क्षेत्र की नयार घाटी के गाँव ओडल में दावानल कि चपेट में आए पक्षियों के घोंसलों के भस्मीभूत होने से इन घोंसलों में पक्षियों के पल रहे बच्चे भी खाक हो गए।स्वयं बन विभाग के आंकड़ों के अनुसार कई पशु इस आग से हताहत हुए हैं।


पिथौरागढ़ में कस्तूरी मृग विहार क्षेत्र के घनधूरा रेंज में कई दिनों से लगी भीषण आग के कारण जंगली जानवरों पर खतरा मंडरा गया है। डीडीहाट वन रेंज के पमस्यारी, लालघाटी, थल डीडीहाट वन क्षेत्र, नारायणनगर वन क्षेत्र में कई दिनों से आग लगी है। मूनाकोट, कनालीछीना विकासखंड के पनखोली, पलेटा, लछैर, मड़मानले, ध्वज, बड़ालू आदि स्थानों पर जंगल धधक रहे हैं।

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