Home छत्तीसगढ़ रेलवे के तैयार कोरोना मरीजों के डिब्बे, झेल रहे ‘आइसोलेशन’ की पीड़ा

रेलवे के तैयार कोरोना मरीजों के डिब्बे, झेल रहे ‘आइसोलेशन’ की पीड़ा

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रायपुर। Railway Isolation Coach: पिछले वर्ष कोरोना महामारी के दौरान रायपुर, बिलासपुर, नागपुर रेल मंडल के अंतर्गत लगभग 111 रेल डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया था। वहीं, रायपुर और बिलासपुर डिवीजन के अंतर्गत 105 डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया था, लगभग एक से दो लाख रुपये खर्च किए गए। लेकिन अब तक इनमें कोई भी कोरोना मरीज भर्ती नहीं किया गया।https://imasdk.googleapis.com/js/core/bridge3.450.0_en.html#goog_2145150339Ads by Jagran.TV

वहीं, मरोदा रेलवे स्टेशन के यार्ड में खड़े ये डिब्बे अब खुद ही आइसोलेशन की पीड़ा झेल रहे हैं, क्योकि लगभग दस महीने से बंद पड़े इन डब्बो को जहां कभी खोला नहीं गया। वहीं, डिब्बों के खिड़कियों में लगे प्लास्टिक फटने लगी है। कोच के आसपास काफी झाड़‍िया उग आयी है। महीनों से खड़े इन डिब्‍बें को देखने से यही लग रहा है कि आइसोलेशन डिब्बे तैयार कर उनकी देखभाल करना रेलवे भूल गया है।

बंद पड़े इन डिब्‍बों की सफाई जरूरी

कई महीनों से यार्ड में खड़े आइसोलेशन कोच अंदर से बंद है, जिससे अंदर की क्या स्थिति इसकी जानकारी तो नहीं मिल मिली, लेकिन जिस प्रकार से राजधानी में कोरोना के आंकड़े बढ़ रहे है। ऐसे में यदि यहा मरीजों को भर्ती किया गया तो उसके पहले सभी डिब्बे की पूरी सफाई करनी होगी। क्योकि बंद पड़े इन डब्बों में काफी गंदगी होगी। सभी डिब्बों में सैनिटाइजर करना होगा। इसके अलावा मरीज के लिए जरूरी सामग्रियों की जांच करनी होगी। वहीं, पड़ताल में यह भी देखा गया कि कुछ डिब्बे की खिड़की खुली थी।

डिब्बों की देखभाल नहीं

रेलवे ने इन आइसोलेशन वार्डों की देखभाल के लिए मुलाजिम तैनात किए हैं, लेकिन डिब्बे की वर्तमान हालत देखने पर यही लग रह है है की साफ-सफाई व अन्य वस्तुओं के देखभाल रामभरोसे है। एक कोच में आठ मरीज रखने की सुविधा है। आठ केबिन कोरोना मरीजों के लिए और नौवां मेडिकल स्टाफ के लिए बनाया गया है। ऊपर की बर्थ मरीजों के सामान रखने के लिए तैयार की गई है। सभी कोचों में बिजली, पानी, सैनिटाइजर, ऑक्सीजन सिलिंडर और दवाइयों की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा मरीजों के लिए दो चादरें, एक तौलियां और तकिया का बंदोबस्त किया गया।

रेलवे का पक्ष

आइसोलेशन के लिए तैयार इन कोच को एक प्रक्रिया के तहत देखभाल की जाती है। साथ ही स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और रेल मंत्रालय के तहत एक प्रोटोकाल बना है। उसके अंतर्गत इनका उपयोग किया जाएगा।

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