रायपुर, असम विधानसभा चुनाव में टीम छत्तीसगढ़ का जादू नहीं चला। कमजोर संगठन और असम कांग्रेस के निराश नेताओं में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भले ही जोश भरने में कामयाब रहे हो, लेकिन जीत का जादुई आंकड़ों तक नहीं पहुंचा पाए। वहां सत्ताधारी भाजपा गठबंधन बहुमत का आंकड़ा पार कर गया है।
भाजपा के इस नए गढ़ को भेदने के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने अपनी रणनीति का इस्तेमाल किया, लेकिन कांग्रेस गठबंधन को बहुमत के करीब भी नहीं पहुंचा पाए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने असम में जिन 36 विधानसभा सीटों पर अपना चुनाव प्रचार फोकस किया था, उनमें से केवल 11 सीटें कांग्रेस के पक्ष में आई हैं।
असम में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ माडल के आधार पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को वरिष्ठ पर्यवेक्षक और राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय को प्रभारी सचिव बनाया था। कांग्रेस ने पांच गारंटी दी थी और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर पूरा करने का वादा किया था, लेकिन यह गारंटी वोटरों को नहीं भाई।
प्रदेश के करीब एक हजार नेताओं और कार्यकर्ताओं ने असम में दो महीने तक प्रचार किया। टीम भूपेश ने बूथ स्तर पर मैनेजमेंट किया, लेकिन परिणाम बेहतर नहीं आए। छत्तीसगढ़ कांग्रेस की टीम ने बूथ स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के साथ ही गली-मोहल्लों में पैम्फलेट बांटने तक का काम किया।
इनका फोकस अपर और मिडिल असम पर था। जहां चाय बागानों के आसपास छत्तीसगढ़िया मूल के लाखों लोग रहते हैं। चाय मजदूरों, सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन, स्थानीयतावाद और क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन के साथ कांग्रेस को सत्ता में वापसी की उम्मीद थी।