जबलपुर। किसान परेशान है। उसकी हालत खराब है। लेकिन सरकार सो रही है। यह आरोप लगाया है राज्यसभा सदस्य विवेक कृष्ण तन्खा ने लगाया। उन्होंने किसानों को लेकर केंद्र व राज्य शासन की बेरुखी को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि उर्वरकों की बढ़ी हुई कीमत पर पुनर्विचार किया जाए। कोविड संकट में किसानों पर हर थाली में अन्न पहुंचाने की अहम जिम्मेदारी है। ऐसे में उनको हो रही परेशानी भी दूर करना सरकार की जिम्मेदारी है। खाद की कीमत में इजाफे से किसान हलकान है।
अनाज व सब्जी के दाम आसमान पर: खेती में लागत बढ़ने से अनाज व सब्जी के दाम आसमान पर पहुंच जाएंगे। आम इंसान की दैनिक जरूरत की चीजें भी महंगी होंगी। कोरोना महामारी हमारा इतिहास व भूगोल बदलने पर आमादा है। यह कहना मुश्किल हो रहा है कि नया सवेरा कब होगा? ऐसे में केंद्र व राज्य शासन को चाहिए कि मानवता का परिचय दें। यदि किसानों की पीड़ा न हरी गई तो यह बड़ा अन्याय होगा। उर्वरकों की बढ़ी कीमत हर हाल में कम होनी चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि किसान समुचित लागत में फसल उगा सके। किसान पहले ही तीन कानूनों के खिलाफ आंदोलित हैं। अब केंद्र नई समस्या खड़ी कर चुका है। यदि किसानों ने विरोध किया तो अन्न की उपलब्धता प्रभावित होगी। इसलिए समय रहते उर्वरक सस्ते किये जायें।
यह समय की आवश्यकता है: राज्य सभा सदस्य तन्खा ने कहा कि यह समय की आवश्यकता है। पूर्व में भी सरकार इस तरह की मांगों को गम्भीरता से लेती आई है। अतः समझदारी का परिचय दिया जाए। किसान असन्तुष्ट रहा तो भारत की दुर्दशा तय है। हालात बिगड़ रहे हैं। ऐसे में किसानों का अहित न होने दिया जाए। इस दिशा में आंदोलन की आवश्यकता न पड़े। सरकार समय रहते चेत जाए। इसी में देशहित छिपा है। लिहाजा, सरकार अविलंब कारवाई करे।