रायपुर। छत्तीसगढ़ के ज्यादातर हिस्सों में मानसूनी बारिश तेज हो गई है, लेकिन छह महीने बाद भी खरीदी केंद्रों से धान का उठाव नहीं हो पाया है। करीब 125 करोड़ रुपये के पांच लाख टन धान अब भी केंद्रों में पड़े हैं। कई खरीदी केंद्रों में धान भींग गए हैं तो बहुत से केंद्रों में नमी की वजह से धान अंकुरित होने लगा है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 28 में से 24 जिलों में अभी धान का पूरा उठाव नहीं हो पाया है।
कई जिलों के खाद्य विभाग के अधिकारियों ने ‘नईदुनिया’ संवाददाताओं से अनौपचारिक चर्चा में धान भींगने और खराब होने की बात स्वीकार की है। वहीं, कुछ अफसरों ने कहा कि धान को भींगने से बचा भी लिया जाए तो भी मौसम के कारण धान की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। इस बीच धान भींगने को लेकर प्रदेश की सियासत गरमाने लगी है। भाजपा ने नुकसान का आंकलन करने के लिए समिति बनाई है।
दो वर्ष में करीब 15 हजार कैप कवर की खरीदी
खरीदी केंद्रों में धान को सुरक्षित रखने के लिए दो वर्ष में करीब 15 हजार कैप कवर की खरीदी की गई है। इस पर करीब साढ़े 16 करोड़ स्र्पये से अधिक राशि खर्च की गई है। खरीदी केंद्रों में धान के सुरक्षित भंडारण के लिए कैप कवर के साथ, वहां ड्रेनेज सिस्टम बनाया जाता है। कीटनाशक आदि का भी प्रयोग किया जाता हैं।
मौसम के कारण गुणवत्ता पर भी पड़ेगा असर
बारिश की वजह से धान भींगने से बच भी जाए तो सबसे नीचे के बोरो में रखे धान की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। दुर्ग जिले के खाद्य नियंत्रक सीपी दीपांकर ने कहना है कि बारिश की वजह से कितना धान खराब हुआ है इसकी जानकारी उठाव पूरा होने के बाद ही मिल पाएगा। लेकिन खरीद केंद्रों में स्टेक लगाकर धान रखा गया है बारिश की वजह से नीचे रखे धान की गुणवत्ता पर असर जरूर पड़ सकता है।
धान पर सियासत, भाजपा ने बनाई जांच समिति
बारिश से संग्रहण केंद्रों में रखे धान भींगने की जांच के लिए भाजपा ने समिति बनाई है। जांच संग्रहण केंद्रों में जाकर नुकसान का आंकलन कर अपनी रिपोर्ट पार्टी को सौंपेगी। कार्यक्रम के प्रदेश संयोजक गौरीशंकर श्रीवास ने बताया है कि बारिश की वजह से संग्रहण केंद्रों में हुए नुकसान की जानकारी लेने के लिए हर जिले में समिति बना दी गई है। समिति में जिले के सांसद, पूर्व सांसद, विधायक, पूर्व विधायक, भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष और पदाधिकारी शामिल होंगे।
कलेक्टरों को धान का उठाव तेजी से करने के निर्देश दिए गए
खरीदी केंद्रों में धान का सुरक्षित भंडारण किया गया है। बहुत से खरीदी केंद्रों में शेड बनाए गए हैं। इसके साथ ही बारिश से सुरक्षा के लिए समितियों को पर्याप्त कैप कवर उपलब्ध कराए गए हैं। सभी कलेक्टरों को धान का उठाव तेजी से करने के निर्देश दिए गए हैं।
जिलों की स्थिति
दुर्ग: जिला में 89 खरीद केंद्रों में अभी भी करीब 22 हजार क्विंटल धान डंप पड़ा हुआ है।
बेमेतरा: तीन लाख 80 हजार क्विंटल धान समितियों में रखा है।
राजनांदगांव: जिले दस लाख 66 हजार क्विंटल धान उपार्जन केंद्रों में डंप है। करीब 96 हजार आठ सौ क्विंटल धान बारिश में भीगकर खराब हो गया है।
कांकेर: जिले के डीएमओ चंद्र प्रकाश सिंह ने बताया कि बारिश में धान खराब नही हुआ है। लगभग 45 हजार क्विंटल धान का समितियों में है, जिसमें सूखत धान भी है।
कवर्धा: दो लाख क्विंटल से अधिक के धान खराब होने का अनुमान है।
धमतरी: तेज धूप व अन्य कारण 25000 क्विंटल धान की सूखत आई है। 89 उपार्जन केंद्रों में 33624 क्विंटल धान का उठाव शेष।
महासमुंद: सात लाख क्विंटल धान का उठाव शेष है। डीएमओ सीआर जोशी ने कहा धान सुरक्षित, बारिश से खराब नहीं हुआ है।
जांजगीर: तीन लाख चार हजार क्विंटल धान खरीदी व संग्रहण केंद्रों में जाम है।
सरगुजा: करीब 12420.77क्विंटल संग्रहण केंद्र में है। कैप कवर से ढंका है।
बलरामपुर: 72055.88 क्विंटल संग्रहण केंद्र व छह समितियों में है।
सूरजपुर: 63992.77 क्विंटल संग्रहण केंद्र व नौ समितियों में है।
कोरिया: 60476.62 क्विंटल संग्रहण केंद्र व 11 सहकारी समितियों में है।