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नगर निगम में मास्क खरीदी में लाखों का घोटाला!

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कोरोना संक्रमण की आड़ में अधिकारियों ने खेला खेल
राजनांदगांव (दावा)।
आपदा को अवसर में बदलने का डायलाग काफी मशहूर हो चला है। आए दिन इस डायलाग का उपयोग कहीं न कहीं कांग्रेस और भाजपा के नेताओं द्वारा किया जाता रहा है, लेकिन इस डायलाग को सच साबित कर दिखाया है नगर निगम राजनांदगांव ने, जहां कोरोना वायरस के शुरूआती दौर में ही आनन-फानन में सामान्य से अधिक दरों पर लाखों रूपयों के मास्क की खरीदी की आड़ में भ्रष्टाचार का खेल खेला गया।

सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तवोजों का अवलोकन करने से साफ पता चलता है कि नगर निगम राजनांदगांव में अपनों को फायदा पहुंचाने की आड़ में अपनी जेबें भरने के लिए अफसरों द्वारा भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है। देश में पहली बार जब पिछले साल मार्च महीने में कोरोना संक्रमण शुरू हुआ और 25 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन किया गया, उसके पहले ही नगर निगम ने मास्क खरीदी में बड़ा खेल कर दिया। प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार कोरोना संक्रमण को देखते हुए नगर निगम के समस्त अधिकारी-कर्मचारी और शहर के वार्डों में आमजन को वितरण किए जाने हेतु प्रथम चरण में छह हजार मास्क क्रय करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए ९५ हजार रूपए का अनुमानित खर्च बताया गया। फिर नगर निगम में २० मार्च २०२० को इसके लिए नोटशीट चली और इसके लिए भावपत्र आमंत्रण की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई।

तत्कालीन निगम आयुक्त के निर्देश पर मास्क क्रय हेतु भावपत्र आमंत्रित किया गया। मास्क सप्लाई को लेकर तीन फर्मों ने रूचि दिखाई। दसवें दिन ३० मार्च को प्राप्त तीन भावपत्रों को खोले जाने का आदेश जारी हुआ। इसके तहत फर्म- स्वच्छ समृद्धि महिला स्वसहायता समूह द्वारा प्रति मास्क की दर १६ रूपए, एक कदम समाजसेवी संस्था द्वारा प्रति मास्क की दर १५ रूपए और वैभव लक्ष्मी महिला स्वसहायता समूह द्वारा प्रति मास्क १८ रूपए का भावपत्र प्रस्तुत किया गया। प्राप्त तीनों भावपत्रों को आठ अप्रैल २०२० की शाम को खोला गया। फिर इन तीनों में सबसे कम दर १५ रूपए प्रति मास्क की आपूर्ति करने हेतु एक कदम समाजसेवी संस्था को कार्यादेश जारी हुआ। उसके बाद १५ अप्रैल २०२० को एक कदम समाजसेवी संस्था द्वारा छह हजार नग मास्क प्रदान कर बिल राशि ९० हजार रूपए प्रस्तुत किया गया। २१ अप्रैल २०२० को पुन: उक्त संस्था को पांच हजार नग अतिरिक्त मास्क (७५००० रूपए) की सप्लाई का आदेश जारी किया गया। उक्त संस्था द्वारा प्रदत्त मास्क की गुणवत्ता का प्रमाणीकरण, भौतिक सत्यापन उपरांत बिल भुगतान की स्वीकृति प्रदान कर दी गई। इसके उपरांत उक्त संस्था को चेक क्रमांक १७९७४४१ दिनांक १२.६.२०२० को ७५०००+९९०००= २,६४००० (दो लाख ६४ हजार रूपए) का भुगतान नगर निगम द्वारा किया गया।

बगैर जीएसटी बिल पर लाखों का भुगतान ?
दिलचस्प बात यह है कि देश में २०२० में मार्च महीने में जब कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हुआ, तब किसी को ठीक तरीके से मास्क, सेनेटाइजर और डबल लेयर फेस मास्क के बारे में जानकारी भी नहीं थी, किंतु एक कदम एक सामाजिक संस्था द्वारा नगर निगम राजनांदगांव को प्रस्तुत भाव पत्र में डबल लेयर फेस मास्क १५ रूपए प्रति नग का उल्लेख किया गया है, जबकि डबल लेयर मास्क का चलन कोरोना वायरस संक्रमण के ३-४ माह बाद शुरू हुआ।

महत्वपूर्ण बात यह भी है कि एक कदम समाजसेवी संस्था द्वारा मास्क सप्लाई के नाम पर नगर निगम को जो बिल प्रस्तुत किया गया है, वह नान जीएसटी बिल है। बिल को कम्प्यूटराईज्ड कर पेश किया गया है, जबकि सरकारी लेन-देन मेें जीएसटी बिल ही मान्य होता है। सवाल यह भी है कि ऐसे अनरजिस्टर्ड फर्म को मास्क सप्लाई का आदेश और बिल का भुगतान आखिर किस आधार पर किया गया? जबकि सरकारी सप्लाई वाले मामले में उस संस्था अथवा फर्म का जीएसटी रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य कर दिया गया है।

एक एन-९५ मास्क की कीमत ३८० रूपए !
देश में कोरोना वायरस संक्रमण के शुरूआती दौर में लोगों को संक्रमण से बचने के लिए मास्क लगाना अनिवार्य किया गया। उसके बाद तमाम तरह की कंपनियों ने मास्क बनाकर बेचना शुरू किया। शुरूआत में दस रूपए से लेकर 150 रूपए तक के मास्क मेडिकल स्टोर्स में बिकना शुरू हुआ। फिर यह बात भी सामने आई कि कपड़े से बनाए गए मास्क भी संक्रमण रोकने में कारगर हो सकते हैं, तब कपड़ों से बने मास्क का चलन भी शुरू हुआ। उस दौरान शहर में कई समाजसेवी संस्थाओं और लोगों ने फ्री में मास्क का वितरण भी शुरू किया। इतना सब होने के दौरान किसी को यह नहीं पता था कि एन-९५ मास्क क्या होता है? एन-९५ मास्क का चलन मई-जून २०२० के बाद शुरू हुआ और उस दौरान भी अलग-अलग कंपनियों के एन-९५ मास्क १०० रूपए से लेकर २५० रूपए तक बिक रहे थे, लेकिन तत्कालीन आयुक्त द्वारा मई माह में मौखिक आदेश के तहत १०० नग एन-९५ मास्क क्रय करने हेतु अनुमानित ४० हजार रूपए खर्च करने कहा गया।

दूसरे चरण में नगर निगम द्वारा पुन: भाव पत्र आमंत्रित किए गए और एन-९५ मास्क की सप्लाई हेतु तीन फर्मों के द्वारा भाव पत्र प्रस्तुत किया गया। उनमें रविराज बिल्डकान द्वारा प्रति नग ३८० रूपए, श्री साई श्रद्धा कंस्ट्रक्शन द्वारा प्रति नग ४२० रूपए और में. वीरा ग्रुप द्वारा प्रति नग ४५० रूपए का भाव प्रस्तुत किया गया। इसके बाद सबसे कम दर वाले रविराज बिल्डकान फर्म को ३८० रूपए प्रति नग के हिसाब से १०० नग एन-९५ मास्क सप्लाई का कार्यादेश जारी किया गया। और नान जीएसटी बिल का ३८ हजार रूपए का भुगतान चेक क्र. ८२६०६० दिनांक २८.०५.२०२० को किया गया।

इस तरह कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में ही नगर निगम के अफसरों द्वारा साठगांठ कर भ्रष्टाचार का खेल खेला गया। यह तो सिर्फ एक उदाहरण मात्र है, जब देश में कोरोना वायरस की दस्तक के शुरूआती दौर में ही मास्क क्रय के नाम पर गड़बड़ी की गई। यदि वर्ष २०२० और २०२१ में मास्क क्रय, सेनेटाइजर खरीदी, जरूरतमंदों को राशन वितरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। जिला प्रशासन को चाहिए कि पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे।

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