0 डोंगरगांव-जेवरतला रोड निर्माण में चल रही ठेकेदार की मनमानी
0 ग्राम पंचायत बड़भूम को गुमराह कर खेला जा रहा खेल
राजनांदगांव(दावा)। डोंगरगांव से व्हाया खुज्जी होकर जेवरतला तक करोड़ों की लागत से किए जा रहे सडक़ चौड़ीकरण में चोरी की मुरूम का खुलेआम उपयोग किया जा रहा है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की साठगांठ के कारण निर्माण एजेंसी (ठेकेदार) के हौसले बुलंद हैं। आलम यह है कि ग्राम पंचायत पदाधिकारियों को अंधेरे में रखकर खनिज और राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा मुरूम उत्खनन की अनुमति देकर जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि सडक़ निर्माण के नाम पर मुरूम निकालने के लिए दो माह की अवधि के लिए लीज कराकर मुरूम को बाहर जगहों पर अधिक दाम पर बेचा जा रहा है। उच्चाधिकारियों के संरक्षण में चल रहे मुरूम चोरी के खेल को पंचायत के लोग भी रोजाना देख रहे हैं, किंतु उनके समक्ष समस्या यही है कि आखिर वे इस मामले की शिकायत करें भी तो किससे करें? क्योंकि सब कुछ सेटिंग में चल रहा है।
सूत्रों के अनुसार डोंगरगांव मुख्यालय से व्हाया खुज्जी होकर जेवरतला (बालोद मेन रोड) तक करीब 25 किमी. लंबी सडक़ का चौड़ीकरण और डामरीकरण के लिए करोड़ों रूपए की मंजूरी शासन द्वारा करीब ढाई साल पहले दी गई थी। शुरूआत में इस काम को ठेका लैंडमार्क कंपनी को मिला था, किंतु नक्सल मामले में उस कंपनी के प्रमुख वरूण जैन की गिरफ्तारी के बाद से सडक़ निर्माण का काम ठप्प पड़ा था। उसके बाद इस काम का जिम्मा मेसर्स एन.एस.पी.आर. एबीपीएलजेव्ही, प्वाइंट वेंचर्स आफिस कादंबरी नगर दुर्ग को दिया गया। इस रोड का काम जेवरतला से खुज्जी की ओर लगभग पूर्णता की ओर है। बेस और पेंचवर्क लगभग पूरा होने को है, ऐसे में अब इस सडक़ के निर्माण में मुरूम की ज्यादा आवश्यकता नहीं रह गई है। इन दिनों खुज्जी में नहर नाली के पास पुल निर्माण का काम काम जारी है।
३० हजार घनमीटर के परिवहन की अनुमति
सूत्रों के अनुसार मई माह में उक्त ठेकेदार की कंपनी द्वारा इस रोड के निर्माण में मुरूम की जरूरत की पूर्ति करने हेतु खुज्जी के समीपस्थ ग्राम बड़भूम में ग्राम जोंधरा रोड स्थित बड़े तालाब से मुरूम खुदाई की अनुमति सिंचाई विभाग से मांगी गई थी। उसके बाद सिंचाई विभाग के पत्र के अनुसार खनिज विभाग द्वारा आवश्यक नियमों का हवाला देकर शर्तों का पालन करते हुए डोंगरगांव तहसील अंतर्गत ग्राम बड़भूम स्थित खसरा नंबर ६५४ रकबा २८२९ हेक्टेयर में से एक लाख वर्गफुट/ ९२९० वर्गमीटर एवं खसरा नंबर ७४५/१ रकबा १.५९५ हेक्टेयर क्षेत्र से निकलने वाले खनिज मुरूम की मात्रा ३० हजार घनमीटर के परिवहन की अनुमति दो माह की अवधि के लिए १९ मई २०२० को प्रदान की गई है।
सडक़ के नाम पर लीज कराकर बाहर बेच रहे मुरूम
खनिज विभाग द्वारा निर्माण एजेंसी को दी गई अनुमति के अनुसार कंपनी को अग्रिम रायल्टभ् जमा करना अनिवार्य होगा। अग्रिम रायल्टी का ३० प्रतिशत डीएमएफ राशि जमा करना अनिवार्य होगा। निकासी का विधिवत हिसाब रखना होगा एवं जांच के दौरान मांग किए जाने पर अभिलेख प्रस्तुत करना होगा। प्रत्येक खनिज का परिवहन करने वाले वाहन के साथ अभिप्रमाणित पास जारी किया हुआ होना चाहिए। अनुमति पत्र की अवधि समाप्ति उपरांत स्थल पर पाए जाने वाला खनिज शासन की संपत्ति होगी। किंतु नियम शर्तों में उल्लेखित बातों का कहीं कोई पालन नहीं किया जा रहा है। सच तो यह है कि कंपनी को जितने एरिया में मुरूम निकालने की अनुमति दी गई है, उससे अधिक एरिया में मुरूम का उत्खनन किया जा चुका है। चूंकि सडक़ का बेस वर्क पूरा हो चुका है, इसलिए मुरूम की उतनी जरूरत भी नहीं है, जितना कि उत्खनन किया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर बड़भूम से निकाली जा रही मुरूम को आखिर कहां खपाया जा रहा है? इस बारे में बड़भूम के ही कुछ ग्रामीणों से चर्चा में पता चला कि ठेकेदार द्वारा मुरूम को निकाल कर आसपास के उन लोगों के पास अधिक दाम पर बेचा जा रहा है, जिन्हें मुरूम की जरूरत है। ग्रामीणों ने बताया कि मेटाडोर में एक ट्रिप मुरूम को तीन से साढ़े तीन हजार रूपए और हाइवा में एक ट्रिप को चार से साढ़े हजार रूपए तक बेचा जा रहा है।
रायल्टी पर्ची और ट्रिप का हिसाब रखने वाला कोई नहीं
बड़भूम के ग्रामीणों ने बताया कि जिस जगह पर मुरूम निकाला जा रहा है, वह गांव का एकमात्र पुराना और बड़ा तालाब है, जहां से बारहों महीने उनका निस्तार होता है। गर्मी के दिनों में तालाब में पर्याप्त पानी नहीं रहता, इसलिए गहरीकरण की जरूरत महसूस की जा रही थी। इस बीच सडक़ बनाने वाले ठेकेदार द्वारा मुरूम निकालने के लिए पंचायत के पदाधिकारियों से चर्चा उपरांत बड़े तालाब से मुरूम निकालने की अनुमति पंचायत द्वारा दी गई है। ग्रामीणों ने कहा कि मुरूम खुदाई से पंचायत को क्या आर्थिक लाभ होगा, इसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। इस बारे में बड़भूम के पंचायत सचिव महेश सोनटेके से पूछने पर उन्होंने बताया कि मुरूम खुदाई के लिए ठेकेदार द्वारा ऊपर में साहब लोगों से बात कर अनुमति ली गई है। खनिज विभाग से ग्राम पंचायत को पत्र मिला है, जिसके अनुसार मुरूम खुदाई का काम चल रहा है। इसके लिए आगामी १९ जुलाई की तारीख तय है, उसके बाद ठेकेदार को मुरूम निकालने के लिए मना कर दिया जाएगा। ठेकेदार को मुरूम खुदाई के लिए गांव के तालाब को ठेके पर देने के लिए क्या पंचायत प्रस्ताव पारित किया गया है, इसके जवाब में उन्होंने हामी तो भरी, किंतु पंचायत प्रस्ताव की कापी मांगने पर उन्होंने चुप्पी साध ली। इससे पंचायत के पदाधिकारियों, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और खनिज तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों की साठगांठ को बल मिल रहा है। कहा जा रहा है कि पंचायत बाडी को सेट कर बिना प्रस्ताव के ही लेन-देन के चलते ठेकेदार को तालाब से मुरूम निकालने की अनुमति दी गई है। पंचायत सचिव इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए कि मुरूम खुदाई के एवज में पंचायत के खाते में कितनी राशि रायल्टी के रूप में जमा कराई गई है? रोजाना मुरूम निकासी का हिसाब कौन रखता है?
पुल निर्माण में गुणवत्ताहीन मटेरियल का इस्तेमाल
ग्राम खुज्जी में मेन रोड से एक नहर नाली गुजरी है, जहां पर पुल का निर्माण कार्य जारी है। यही वह मुख्य सडक़ है जो डोंगरगांव से बालोद जिले को जोड़ती है। इस मार्ग से दिनरात छोटे-बड़े तमाम तरह के वाहनों का आवागमन रहता है। यात्री बसों के साथ ही मालवाहकों की भी आवाजाही बनी रहती है। किंतु निर्माण एजेंसी द्वारा निर्माणाधीन पुल के पास ऐसा कोई संकेतक नहीं लगाया गया है, जिससे तेज गति से आ रहे वाहन चालकों को पता चल सके कि आगे का रोड डायवर्टेड है। दरअसल उसी पुल के पास सडक़ घुमावदार है। मोड़ होने के कारण तेज गति से आने वाले वाहन चालकों को पता ही नहीं चल पाता कि आगे मोड़ पर पुल है। दिन में तो लोगों को कोई दिक्कत नहीं होती, किंतु रात के अंधेरे में हमेशा हादसे का खतरा बना हुआ है। आसपास के लोगों ने बताया कि कई लोग पुल के पास मोड़ पर संकेतक नहीं होने के कारण अपने हाथ-पांव तुड़वा चुके हैं। इतना ही नहीं पुल के निर्माण में इस्टीमेट के अनुसार निर्धारित एमएम की छड़ सहित सीमेंट का भी उपयोग नहीं किया जा रहा है। इससे पुल निर्माण की गुणवत्ता को लेकर अभी से सवाल उठने लगे हैं।
क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की खामोशी का राज क्या है?
एक समय वह भी था, जब क्षेत्र में जहां-कहीं रेत, मुरूम, गिट्टी सहित तमाम तरह के अवैध उत्खनन को लेकर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि सजग रहकर ऐसे कार्यों पर नजर रखते थे, किंतु आज वहीं जनप्रतिनिधि खामोश हैं। ज्ञात हो कि एक बार शिवनाथ नदी से जेसीबी-पोकलेन मशीन लगाकर रेत चोरी करने वालों को एक नेता ने नदी के अंदर घुसकर यह कहकर खदेड़ दिया था कि मेरे क्षेत्र में कोई भी अवैध काम नहीं चलने दूंगा। वही नेता आज भी है, सिर्फ सत्ता बदली है। लेकिन सत्ता परिवर्तन के साथ नेताजी के तौर-तरीके भी बदल गए, जिससे लोगों को हैरानी हो रही है कि नेताजी तो ऐसे नहीं थे? यह सर्वविदित है कि डोंगरगांव क्षेत्र रेत, मुरूम, गिट्टी, पत्थर की चोरी और अवैध ईंट भट्ठों के संचालन के लिए मशहूर है। यूं कहें कि क्षेत्र में शिवनाथ नदी के कारण नदी से लगे गांवों में बाढ़ की स्थिति को छोडक़र बारहों महीने रेत और मुरूम चोरी का खेल जारी रहता है। हाल ही में जामसरार गांव रेत चोरी के मामले में सुर्खियों में रहा, जहां मारपीट के घटना के मामले में पुलिस द्वारा काऊंटर केस के बाद जमानत पर छूटे लोगों के द्वारा रेत चोरी को पुन: अंजाम देने की खबर है, किंतु मजाल है कि क्षेत्र के सत्ता और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों सहित स्थानीय जिम्मेदार अफसर उस ओर देखने की हिम्मत करें ?
हजारों पेड़ों की कटाई, लकडिय़ां भी गायब
बताया जाता है कि इस रोड का चौड़ीकरण और डामरीकरण किया जा रहा है। चौड़ीकरण के लिए रोड के दोनों ओर की चौड़ाई को बढ़ाने के लिए जद में आने वाले पेड़ों की भी कटाई भी की जा चुकी है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि निर्माण एजेंसी द्वारा किसकी अनुमति से पेड़ों की कटाई की गई है अथवा अनुमति ही नहीं ली गई है। सडक़ के दोनों ओर का जायजा लेने पर पता चला कि ग्राम मटिया से लेकर जेवरतला के बीच में रोड के दोनों किनारे लगे हजारों पेड़ों को कटवाया गया है। काटे गए पेड़ों की लकडिय़ां कहां गई और कहां रखी गई है? इसका जवाब भी किसी के पास नहीं है।
बड़भूम के तालाब से मुरूम के अवैध उत्खनन की जानकारी नहीं है। आप बोल रहे हैं तो टीम को भेजकर दिखवाता हूं।
- हितेश पिस्दा, एसडीएम डोंगरगांव