मार्कफेड के कम्प्यूटर में दिख रहा स्टाक, मौके पर स्टाक के अनुसार धान ही नहीं
राजनांदगांव(दावा)। मार्कफेड द्वारा जिले के धान खरीदी केन्द्रों में रखे धान का उठाव करने व्यापारियों को डीओ जारी किया गया है। धान का उठाव करने सोसायटी पहुंच रहे व्यापारियों को स्टॉक ही नहीं मिल रहा है। बताया जा रहा है कि मार्कफेड के कम्प्यूटर में सोसायटियों में जितनी मात्रा में धान का स्टॉक दिखाया जा रहा है। वास्तव में धान की उतनी मात्रा सोसायटी में नहीं है और बारिश में सड़ चुके स्तरहीन कम मात्रा में ही खरीदी केन्द्रों में पड़ा है। ऐसे में धान का उठाव करने पहुंच रहे व्यापारियों में असमंंजस की स्थिति है। कुछ व्यापारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मार्कफेड द्वारा सोसायटियों में रखे धान का उठाव करने डीओ जारी किया है, लेकिन जितनी मात्रा में डीओ काटा गया है। सोसायटी में उससे कहीं कम धान रखा है। ऐसे मेंं डीओ के अनुसार कहां से धान का उठाव करेंगे।
रिकार्ड में कुछ और मौके पर कुछ और स्थिति
एक व्यापारी ने बताया कि उसे एक सोसायटी से 3500 क्विंटल धान उठाव करने डीओ जारी किया गया है। व्यापारी धान का उठाव करने मौके पर पहुंचा तो वहां उसे मात्र एक हजार क्विंटल ही धान मौके पर मिला। व्यापारी ने बताया कि इस एक हजार क्विंटल की क्वालिटी इतनी खराब हो चुकी है कि मवेशी भी उसे खाने से परहेज कर रहे हैं। ऐसे मार्कफेड में दिखा रहे धान का रिकार्ड और सोसायटी में रखे रिकार्ड में इतना बड़ा अंतर कैसे आ रहा है। आखिर धान कहां गायब हो गया। यह जांच का विषय है।
इन सोसायटियों से धान हो गया है गायब
मार्कफेड द्वारा करीब दो दर्जन सोसायटियों से धान का उठाव करने व्यापारियों को डीओ जारी किया गया है। जानकारी के अनुसार खैरागढ़ ब्लाक के अधिकांश सोसाटियों में जारी डीओ के मात्रा का धान ही नहीं है। बताया जा रहा है कि क्षेत्र के बाजार अतरिया, घुमका, पटेवा सहित अन्य सोसायटियों में मार्कफेड द्वारा 3500 से 4000 हजार क्विंटल धान का उठाव करने व्यापारियों को डीओ जारी किया गया है। इन सोसाटियों में जारी डीओ की मात्रा का आधा धान भी मौके पर नहीं है। वहीं बचे हुए कम मात्रा की धान बारिश में सड़ चुकी है और इसका चावल भी सही मात्रा में उपलब्ध नहीं होगा। ऐसे में स्तरहीन धान का उठाव व्यापारियों द्वारा नहीं किया जा रहा है।
जांच में आएगा करोड़ों का घोटाला सामने
बताया जा रहा है कि मार्कफेड द्वारा व्यापारियों पर धान का उटाव नहीं करने पर पेनाल्टी के लिए दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में मौके पर मात्रा के अनुसार धान नहीं होने व बचे हुए धान के स्तरहीन होने से व्यापारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब इसमें देखने वाली बात यह है कि आखिर मार्कफेड के रिकार्ड में जब सोसायटियों में धान की उपलब्धता दिखाई जा रही है तो मौके पर उतनी मात्रा में धान क्यों नहीं है। आखिर धान कहां गायब हो गया। सूखत की समस्या भी होती तो एक हजार से 1500 क्विंटल धान सूखत में नहीं आती। ऐसे में यह मामला गंभीर है। मामले की जांच होने पर धान घपले की खुलासा होने की संभावना है।
इस संबंध में जानकारी लेने डीएमओ सौरभ भारद्वाज के मोबाईल पर चार से पांच बार फोन लगाया गया, लेकिन अधिकारी ने फोने रिसिव करना भी मुनासिफ नहीं समझा।