डेढ़ साल बाद खुले स्कूल, थर्मल स्कैनिंग, सैनिटाइजेशन के बाद मिली एंट्री
राजनांदगांव(दावा)। करीब डेढ़ साल के लंबे इंतजार के बाद सोमवार को फिर स्कूलों में घंटी की आवाज सुनाई दी। मन में उत्साह और कंधे पर बैग टांग कर बच्चे सुबह से ही पहुंचने लगे थे। इस दौरान कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जारी गाइडलाइन का भी खास ध्यान रखा गया। बच्चों से लेकर शिक्षक तक मास्क लगाए हुए थे। थर्मल स्कैनिंग और सैनिटाइजेशन के बाद ही बच्चों को प्रवेश दिया गया। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से 2 अगस्त से स्कूल खोलने की घोषणा की गई थी। इसके तहत सरकारी और निजी स्कूलों में 10वीं-12वीं की कक्षाएं शुरू हो गई हैं। जो कक्षाएं शुरू हुई हैं, उनमें भी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है।
बच्चों का तिलक लगाकर किया गया स्वागत
एक से 5वीं तक के लिए पंचायत और पार्षदों की अनुमति से स्कूल खोले गए हैं। हालांकि 6वीं, 7वीं, 9वीं और 11वीं की कक्षाएं संचालित नहीं की जा रही हैं। स्कूलों में प्रार्थना सभा का आयोजन नहीं किया जा रहा है, लेकिन मन में श्रद्धा का भाव लिए छात्र-छात्राएं जरूर विद्या की देवी सरस्वती को प्रणाम और पुष्प अर्पित करते रहे। स्कूल प्रबंधन की ओर से इसकी व्यवस्था की गई थी। कई स्कूलों में बच्चों को माला पहनाकर और तिलक लगाकर स्वागत किया। वहीं क्लास के ब्लैकबोर्ड पर भी बच्चों के लिए वेलकम स्टूडेंट्स लिखा गया था।
गुब्बारों से बनाए गए थे स्वागत द्वार
लंबे समय बाद खुले स्कूल को लेकर छात्रों के अलावा शिक्षकों में भी उत्साह का माहौल देखा गया। शहर के म्यूनिस्पल स्कूल और स्टेट हाई स्कूल में बच्चों के स्वागत के लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा गुब्बारा से सजावट कर गेट बनाया गया था। गेट में स्कूल के स्टाफ द्वारा बच्चों का वेलकम किया गया। शहर के लखोली वार्ड में स्थित प्राइमरी व मिडिल स्कूल खुल गए हैं। हाथों को सैनिटाइज कराने के बाद ही बच्चे को अंदर आने दिया गया । बताया जा रहा है कि कई स्कूल शासन से निर्धारित क्षमता के अनुरूप कक्षाएं संचालित करने के लिए राजी नहीं है। वहीं पालकों में बच्चों की सेहत को लेकर चिंता बरकरार है।
कुछ स्कूलों में सामान्य तो कुछ में गिनती के बच्चे पहुंचे
बताया जा रहा है कि प्राथमिक स्तर के बच्चों को स्कूल भेजने के लिए पालक कतई राजी नहीं है। बच्चों के बीमार होने के खतरे को देखते हुए परिजनों ने स्कूल भेजने से इन्कार कर दिया है। हालांकि कुछ परिजनों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना जरूरी समझा है। लिहाजा आज कई स्कूलों में परिजन बच्चों को लेकर पहुंचे। बताया जा रहा है कि ऑफलाइन शिक्षा के लिए सरकार ने निर्धारित मापदंड तय किया है, जिसके तहत बच्चों को कोविड-19 के कड़े निर्देशों का पालन करते मास्क अनिवार्य किया गया है। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के तहत भी स्कूल आने की निर्देश दिया गया है। पहले दिन शहर सहित गांवों के स्कूलों में कुछ में बच्चों की संख्या अच्छी रही तो कुछ में गिनती के बच्चे ही पहुंचे थे।
प्रायमरी में 50, मिडिल में 32 और हाईस्कूलों में रही 43 फीसदी बच्चों की उपस्थिति
सोमवार दो अगस्त प्रदेश में सरकारी स्कूलों के खुलने का पहला दिन रहा। इस दौरान सिर्फ पचास फीसदी बच्चों की उपस्थिति रखने के निर्देश दिए गए हैं। पहले दिन दसवीं व 12वीं के बच्चों को उपस्थित होना था। इसी तरह प्रायमरी व मिडिल स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति हेतु उनके पालकों की सहमति जरूरी थी। पहले दिन स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति को लेकर राज्य शासन द्वारा जिलेवार व कक्षावार बच्चों की उपस्थिति की रिपोर्ट जारी की गई है। इसके अनुसार राजनांदगांव जिले में पहले दिन ९३१ प्राथमिक शालाओं में दर्ज संख्या ६३९६१ में से ३२०१९ बच्चे उपस्थित हुए, जो ५०.०६ प्रतिशत रहा। इसी तरह जिले के कुल ५४६ मिडिल स्कूलों में दर्ज २४६८९ बच्चों में से ७९७८ बच्चे ही स्कूल पहुंचे। इस तरह आठवीं कक्षाओं में पहले दिन की उपस्थिति ३२.३० प्रतिशत रही। जिले के ३१७ हाई व हाईस्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या २७७६० है, जिनमें से कुल १२०६७ बच्चे उपस्थित रहे। इस तरह बच्चों की उपस्थिति ४३.४७ प्रतिशत रही।
स्कूलों में शासन के नियमों का कड़ाई पालन करते पहले दिन अध्यापन हुआ। सभी जगह स्थिति सामान्य रही।
-एच.आर. सोम,
जिला शिक्षा अधिकारी