राजनांदगांव (दावा)। गाडिय़ों का नवीनीकरण कराना हो या फिर ड्राईविंग लाईसेंस बनवाना हो परिवहन विभाग में दलालों या बाबूओं की जमकर मनमानी चल रही है। बाबूओं की कुर्सियों में बैठे लोग दरअसल, परिवहन विभाग के दलाल होते हैं और वे ही सारा काम करते हैं और जरुरतमंद लोगों को लूट रहे हैं। यह सिलसिला काफी लंबे समय से चल रहा है, लेकिन इस पर लगाम लगाने जिला प्रशासन से लेकर परिवहन विभाग के उच्च अधिकारी भी गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। वर्तमान में परिवहन विभाग में नए अधकारी यशवंत यादव की पोस्टिंग हुई है। इससे आम लोगों को अब विभाग में दलालों से छुटकारा मिलने की आस है।
जिले में संचालित आरटीओ दफ्तर में जमकर अंधेरगर्दी चल रहा है। दफ्तर में बाबूओं व दलालों की चांदी है। वाहन संबंधित किसी काम के लिए दफ्तर पहुंच रहे लोगों किसी भी काम के लिए दलालों व बाबूओं को अधिक रकम चुकाना पड़ रहा है।
दफ्तर के कर्मचारी नहीं देते सहीं जवाब
अपने काम के लिए आरटीओ दफ्तर पहुंचे सिंघोला के नरेश सोनवानी ने बताया कि वह लर्निंग लाइसेंस बनाने लंबे समय से दफ्तर का चक्कर कांट रहे हैं। टेबल में बैठे कर्मचारियों के पास जाने पर वे सही तरीके से जवाब नहीं देते। उन्होंने बताया कि वहां पर उसे दलाल मिला और उसने दो दिन में लर्निंग लाइसेस बनाने की बात कहकर इसके लिए हजार रुपए खर्च की बात कही। जबकि तीन सौ रुपए में लर्निंग लाइसेंस बन जाता है। बार-बार विभाग का चक्कर लगाने से बचने लोग दलालों के पास ही काम कराने मजबूर हैं। कुल मिलाकर आरटीओ दफ्तर में काम के लिए पहुंच रहे लोगों को या तो अधिक रकम चुकाना पड़ रहा है या फिर भटकना पड़ रहा है।
सीधे दफ्तर पहुंचने वाले भटकने मजबूर
मिली जानकारी के अनुसार लाइसेंस बनवाने व नवीनीकरण कराने सहित कोई भी काम के लिए दफ्तर पहुंच रहे लोगों का काम कई चक्कर लगाने के बाद भी नहीं हो रहा है। मुढ़ीपार निवासी हरिचन्द्र देशमुख ने बताया कि वह नया लाइसेंस बनवाने दफ्तर का कई चक्कर लगा चुका है, लेकिन अधिकारी नहीं होने का बहाना बनाकर उनका लाइसेंस नहीं बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लाइसेंस बनाने दो माह पहले आवेदन जमा किया है, लेकिन आज तक लाइसेंस नहीं बना है। दफ्तर में सीधे काम को लेकर पहुंच रहे लोग भटक रहे हैं। वहीं दलालों के माध्यम से काम जल्दी हो रहा है।
दफ्तर में ऐसे चलता है काम
शहर के कुनाल कुमार अपने ड्राईविंग लाईसेंस को चिप वाला बनवाने परिवहन विभाग पहुंचा था। वहां कोई अधिकारी या कर्मचारी नहीं मिला। उन्होंने बताया कि वहां दलालों का कब्जा था और दलालों ने आपस में काम बांट लिया है। उन्हें जिस दलाल का नाम बताया गया, वे दो घंटे से उसे ढूंढ रहा हैं, पर वह नहीं मिल रहा। कुनाल ने कहा कि उनका काम विभाग के कर्मचारी भी कर सकते हैं, उन्हें अपने काम के लिए दलाल को ढूंढना पड़ रहा है और बाद में ज्यादा खर्च भी करना पड़ेगा।
दो साल से अनफिट वाहनों की जांच नहीं
वहीं शहर सहित जिले भर में कंडम हो चुके अनफिट वाहनों बेखौफ दौड़ रही है। ऐसे वाहनों से हमेशा दुर्घटना की संभावना बनी रहीती है। बावजूद इसके परिवहन विभाग को ऐसे वाहनों की जांच व कार्रवाई करने गंभीरता नहीं दिखा रहे है। विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को दफ्तर में होने वाले कार्यों से दलालों के माध्यम से रुपए कमाने से फूर्सत नहीं मिल रहा है। जिले में हजारों वाहन फिटनेस का मानक पूरा नहीं करते हैं। सडक़ों पर दौड़ रही अनफिट वाहनों में सबसे ज्यादा संख्या ट्रैक्टर-ट्राली, निजी बस, मालवाहक की है। मिली जानकारी के अनुसार गत दो वर्ष से वाहनों की जांच नहीं हो पाई है, जिसका फायदा वाहन चालक उठा रहे हैं। अनफिट वाहनों के चलते जिले में आए दिन सडक़ दुर्घटनाएं हो रही है। कइयों की जान भी जा चुकी है।