Home समाचार जो अच्छा था, उसकी पे्ररणा क्यों नहीं लेते?

जो अच्छा था, उसकी पे्ररणा क्यों नहीं लेते?

35
0
image description


प्रत्येक व्यक्ति तीन प्रकार के चरित्र वाला होता है– एक वह जो प्रदर्शित करता है, दूसरा वह जो चरित्र रखता है और तीसरा जो चरित्र अपना होने की मान्यता रखता है, बाबूलाल ने कहा। बात तो तुमने ठीक कही है डीयर, चम्पक ने इस पर कहा। राजनीतिज्ञों वह भी चुने हुवे राजनीतिज्ञ बाबत तुम्हारा क्या कहना है? तब बाबूलाल ने हंसी बिखरते हुवे कहा कि अधिकांश राजनीतिज्ञों की कथाएं ‘‘हरि अनंता, हरि कथा अनंता’’ जैसी होती हैं। जिन पार्लियामेंट सदस्यों के पास मस्तिष्क और समझदानी होती है, वे बंट जाते हैं। वे अपना मस्तिष्क बाहर रखकर उनके नेता जैसा कहते हैं, उसके अनुसार ही संसद गृह में अपना मत देनें विवश होते हैं, लोकतंत्र की खुबियां असीमित हैं। उसकी मर्यादा भी कम नहीं है। लोकतंत्र की दो गति होती हैं-एक ढीलतंत्र और दूसरी मुस्तैद तंत्र। देश की जनता ने दोनों ही ‘‘तंत्रों’’ का अनुभव किया है। अपनी पार्टी और पार्टी के प्रति निष्ठा नेता को अप्रमाणिक और कभी कभी जनविरोधी भी बनाती है। ताजा उदाहरण, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा और उनके अपराधी बेटे अजय मिश्रा का है। यहां नैतिकता व चरित्र अदृश्य हैं। आदमी का महत्व व प्रभाव उसके लिबास से नहीं किन्तु उसके चरित्र से आंका जाता है।
शहरवासी ने कहा चरित्र की गिरावट के कारण ही देश भ्रष्टाचार से खदबद रहा है। भ्रष्टाचार ब्रेक बगैर की कार जैसा है। देश के नागरिकों को समझ में आ गया है कि प्रधानमंत्री ड्राइविंग सीट पर बैठे तो हैं, परन्तु स्टियरिंग किसी दूसरे के हाथों मेें हैं। अब ये हाथ किसके हैं? इसका गैस तुम्ही को करना है। लोकतंत्र सदैव जागृत जागरूक होना चाहिए। कब बोलना है, क्या बोलना है? क्या नहीं बोलना है? इसका ‘‘मन की बात’’ में खास ख्याल रखा जाता है। अभी आतंकवाद ‘‘हाट इशु’’ है। थोड़ा फ्लेश पर जाएं। 1999 में काठमंडू से उड़ान भरे भारतीय विमान का अपहरण हुआ था। वह विमान कंधार पहुंचा था और हमारे तत्कालिन विदेश मंत्री ने कंधार जाकर हमारी ही जेल में कैद मसूद जैसे चार खूनी आतंकवादियों को छोड़ा था। ये आतंकवादी पिछले 1994 से कश्मीर की जेल में थे। पूरे पांच साल जेल में रहे, तब तक तत्कालिन सरकार ने क्या किया?
एक समय ललित मोदी काण्ड बहुत उग्र चर्चा में था। उसमें लिप्त तत्कालिन विदेशमंत्री स्व. सुषमा स्वराज और राजस्थान की तत्कालिन सी.एम. वसुंधरा राजे ने भगोड़े गुनहगार की मदद की थी। जिसमें किसी को कोई शंका भी नहीं थी। किन्तु, पी.एम. मोदी ने इस बाबत में पूरा मौन धारण किया हुआ था। गंभीर आरोपों के बावजुद न सुषमा ने स्तिफा दिया था और न ही वसुंधरा ने। यहां स्मरण रखने योग्य यह कि भाजपा के वरिष्ठतम नेता लालकृष्ण अडवाणी पर भी ‘‘जैन हवाला काण्ड’’ को लेकर आरोप लगे थे तब उन्होंने भाजपा के अध्यक्ष पद से स्तिफा दे दिया था। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने भी जब वे रेल मंत्री थे, तब एक ट्रेन दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुवे अपने मंत्री पद से स्तिफा दिया था। दुर्भाग्य यह कि अडवाणी और शास्त्री जी से आज के नेता प्रेरणा नहीं लेते।


क्या बंद हो पाएगा नशे का कारोबार ?

प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने हाल ही में बड़ी अहम् बात कह दी कि प्रदेश में नशे का का कारोबार पूरी तरह बंद होना चाहिए। इस तरह से उन्होंने अब पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। सर्वविदित है कि पड़ौसी राज्य उड़ीसा से गांजा की सप्लाई का कारोबार पूरे छत्तीसगढ़ में लंबे अरसे से चल रहा है। पुलिस कभी-कभार गांजा तस्करों को जरूर पकड़ती आ रही है, लेकिन उसे ठोस कार्यवाही नहीं कहा जा सकता। संभवत: इन बातों को ही संज्ञान में लेकर सीएम बघेल ने एसपी कांफ्रेंस में स्पष्ट रूप से कहा कि गांजा की एक पत्ती भी बाहर से न आने पाए, इस हेतु कार्यवाही करें। अब चूंकि आदेश-निर्देश प्रदेश के मुखिया का है, सो पुलिस को तो उसका पालन करना ही है।
सीएम के आदेश के दूसरे दिन ही जिला पुलिस ने बायपास देवादा स्थित एक हुक्का बार में धावा बोलकर दुर्ग के दो लोगों को धरदबोचा। ऐसी ही खबर बिलासपुर जिले से भी आई है। शहरवासी को याद है मोहारा बायपास स्थित एक हुक्का बार के संचालक को पुलिस ने माह भर के भीतर दो बार पकड़ा और कार्यवाही की, लेकिन इसका आशय यह बिल्कुल नहीं है कि हुक्का बार अथवा नशे का अवैध कारोबार शहर में बंद हो गया है? शहर का हाल तो ऐसा है कि जयस्तंभ चौक, दुर्गा टाकिज रोड सहित होटल, श्रमिक बस्तियों में धड़ल्ले से लंबे समय से अवैध रूप से शराब, गांजा की बिक्री हो रही है, पर पुलिस है कि अपनी मर्जी के हिसाब से कार्यवाही करती आ रही है। अब जबकि सीएम ने सख्त निर्देश दिए हैं तो उम्मीद की जानी चाहिए कि अपने शहर और जिले को भी नशे के कारोबार से निजात मिलने वाली है?
नगर निगम में नामकरण संस्कार !
नगर निगम एक तरह से शहर की प्रयोगशाला है। यहां हमेशा कुछ हटकर होते आया है, चाहे बात जगहों व वार्डों के नामकरण की हो या कचरे के कबाड़ में घोटाले की हो। करीब डेढ़ साल बाद नगर निगम की पहली सामान्य सभा शनिवार को आहूत की गई। वैसे लंबे समय बाद हुई यह बैठक इसलिए भी चर्चा में है कि स्वयं सत्तापक्ष यानि कांग्रेस के कई दिग्गज पार्षद भी नदारद रहे। उनमें से कुछ पार्षदों का यह कहना था कि उन्हें निगम की सामान्य सभा को लेकर कोई विधिवत सूचना ही नहीं दी गई थी, लेकिन अनुपस्थित रहे उन पार्षदों की यह दलील लोगों के गले नहीं उतर रही है। खैर, इससे इतर अहम बात यह रही कि इस बैठक में कुल 19 विषयों पर चर्चा उपरांत निर्णय लिए गए, किंतु दिलचस्प बात यह रही कि सात विषय सिर्फ जगहों और वार्डों के नामकरण को लेकर थे।
शहरवासी को याद आ रहा है, जब पूर्व महापौर स्व. शोभा सोनी के कार्यकाल में साहू समाज की अधिष्ठात्री देवी भक्त माता कर्मा के नाम पर कलेक्टोरेट के सामने (तब नेशनल हाइवे में वहां पर चौक हुआ करता था और अब फ्लाई ओवर के नीचे धरना स्थल) का नामकरण कर कर्मा चौक रखा गया था और अब वर्तमान महापौर हेमा देशमुख के कार्यकाल में कर्मा चौक की जगह लखोली वार्ड का नाम कर्मा वार्ड किया गया है। अहम बात यह रही कि नगर निगम ने एक ऐसे शख्स के नाम पर शैक्षणिक संस्थान का नामकरण कर दिया है, जिनका उस क्षेत्र से दूर-दूर तक कोई नाता ही नहीं रहा है। इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। खैर हमें क्या, शहरवासी तो यही चाहता है कि महापुरूषों की स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए जिनका, जिन क्षेत्रों में योगदान रहा है, उन जगहों का नामकरण अवश्य किया जाना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को भी उन महापुरूषों के योगदान के बारे जानकारी रहे।


पेट्रोल-डीजल और महंगाई की मार

हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार अब काफी नजदीक है। शहर सहित देश की जनता पेट्रोल-डीजल के रोजाना बढ़ते दाम से त्रस्त है। ऊपर से खाद्य पदार्थ, खाद्य तेलों के बढ़ते दामों के बीच सब्जियों के दाम बढऩे से लोगों का जीना दूभर होने लगा है। पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढऩे से परिवहन व माल भाड़ा भी बढ़ गए, जिसका असर सामानों के दाम पर पड़ रहा है। राशन सामग्रियों के दिनोंदिन बढ़ते दाम ने लोगों की जेबें ढीली कर दी है। महंगाई को लेकर हाहाकार की स्थिति बन रही है। रोजाना पेट्रोलियम पदार्थों के साथ सब्जियों और किराना सामानों के बढ़ते दाम को लेकर लोगों में काफी रोष देखा जा रहा है। अच्छे दिन का वादा करने वाली मोदी सरकार के शासन काल में दिनोंदिन बढ़ रही महंगाई को लेकर लोग अब केन्द्र सरकार को कोसने लगे हैं। वैसे डीजल संकट के समाधान के रूप में प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में भी गांव-गांव में रतनजोत का प्लांटेशन कराकर यह दावा किया गया था कि अब डीजल आएगा बाड़ी से, लेकिन यह योजना भी बुरी तरह फ्लाप रही। करोड़ों रूपए स्वाहा हो गए। बढ़ती महंगाई को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के कामेंट्स भी पढऩे को मिल रहे हैं। लोगों की एक प्रतिक्रिया यह भी है कि महंगाई पहले डायन हुआ करती थी और अब वह डार्लिंग हो गई है। महंगाई को मुद्दा बनाकर केन्द्र में काबिज भाजपा की मोदी सरकार को चाहिए कि महंगाई और बढ़ते दामों पर नियंत्रण कर आम जनता को राहत दिलाए। सामने दीपावली का त्यौहार है, ऐसे में महंगाई के चलते लोगों को अपनी जरूरतों और खर्च में कटौती कर त्यौहार मनाना पड़ेगा, यह भी देश के इतिहास में संभवत: पहली बार होगा, क्योंकि देश में जब अकाल की स्थिति रही, तब भी लोगों को इस कदर महंगाई से जूझना नहीं पड़ा था।
कोरोना वायरस मुक्त हो रहा नांदगांव ?
इस साल अप्रैल-मई में लॉकडाउन के बाद से शहर सहित जिले में कोरोना संक्रमण के केस में तेजी से गिरावट आई है, जो हम सबके लिए सुखद बात है। हालांकि मौसमी बीमारियों- सर्दी, खांसी, जुकाम, सिर दर्द, बदन दर्द के साथ डेंगू, मलेरिया, वायरल फीवर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। दरअसल पहले इन्हीं रोगों को मौसमी रोग-बीमारी मानकर हल्के में ले लिया जाता था। लोग डॉक्टरों से दवाई लेकर स्वस्थ भी हो जाते थे, किंतु मार्च 2020 में कोरोना वायरस ने खांसी, जुकाम, सिर दर्द, बदन दर्द के साथ लोगों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया। शुरूआत में तो लोगों को इसी बात को समझने में काफी समय लगा कि आखिर यह रोग है क्या?


कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में सारे वैज्ञानिक खोज भी बेकार साबित हुए। लेकिन कोरोना महामारी के लक्षण, प्रभाव को अध्ययनकर समझने के बाद वैज्ञानिकों ने कोरोना पीडि़तों की जांच के उपाय आखिरकार खोज ही डाले। शुरू-शुरू में कोरोना होने पर टेस्ट कराना भी बहुत बड़ा हौव्वा और दहशत भरा रहा। लोग टेस्ट कराने से ही बचने की कोशिशें करते रहे। धीरे-धीरे महामारी का प्रकोप बढ़ा और जब स्वस्थ लोगों की भी अकाल मौतें होने लगी, तब कहीं जाकर लोगों को एहसास होने लगा कि कोरोना टेस्ट कराकर ही उसका उपचार करा लेने में ही सबकी भलाई है। इस तरह लोगों में कोरोना टेस्ट कराने को लेकर स्वत: जागरूकता आने लगी। तमाम प्रयासों के बीच आखिरकार कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन भी खोज ली गई। इन सबके बीच अब जबकि कोरोना के केस नाम मात्र के रह गए हैं, बावजूद इसके रोजाना डेढ़ से दो हजार लोग कोरोना टेस्ट करा रहे हैं। अच्छी बात यह है कि अब कोरोना के नए पाजिटिव केस नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि अपना शहर और जिला कोरोना मुक्ति की ओर अग्रसर हो रहा है। हालांकि आज भी उन्हीं सावधानियों का पालन करने की जरूरत है, जो हम सब इसके पहले कोरोना संक्रमण से बचने के लिए करते रहे हैं।


कांग्रेस नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई
प्रदेश में कांग्रेस सत्तासीन है। शहर सहित जिले में कई लालबत्तीधारी नेता भी हैं। जिले में कांग्रेस के पांच विधायक भी हैं। शहर और जिला कांग्रेस कमेटी का अपना संगठन है, जिसमें कई पदाधिकारी हैं, किंतु उनमें कभी इस तरह की खींचतान देखने को नहीं मिली, जिस तरह से शहर के उत्तर ब्लाक कांग्रेेस कमेटी में देखने को मिल रही है। शहर में उत्तर ब्लाक कांग्रेस की हरकतों को लेकर राजनीतिक महकमे में चर्चा सरगर्म है। इसे लेकर कांग्रेस के आला पदाधिकारी भी परेशान हैं कि यह सब क्या हो रहा है? दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा वाले इस खींचतान पर नजर गड़ाए हुए हैं। दरअसल पूरा मामला चिखली पुलिस चौकी प्रभारी चेतन चंद्राकर को यहां से स्थानांतरित करने को लेकर है।
उत्तर ब्लाक कांगे्रस अध्यक्ष आसिफ अली, सब इंस्पेक्टर श्री चंद्राकर को हटवाने के लिए मोर्चा खोले हुए हैं। इसके लिए उन्होंने 26 अक्टूबर को आंदोलन की चेतावनी भी दे दी है। दूसरी ओर वार्डवासियों सहित चिखली क्षेत्र के गांवों के लोग चौकी प्रभारी चंद्राकर के बचाव के लिए सामने आ गए हैं। इन सबके बीच उत्तर ब्लाक कांग्रेस कमेटी के कुछ पदाधिकारियों को अध्यक्ष आसिफ अली का यह कदम रास नहीं आ रहा है। इस तरह आसिफ अली को अपनी ही पार्टी पदाधिकारियों के साथ-साथ वार्डवासियों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। आज कुछ पदाधिकारी तो अपनी पार्टी संगठन के पद से इस्तीफा देने शहर कांग्रेस अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा के पास जा धमके थे।
वैसे यह मामला काफी गंभीर है। मामले को लेकर लोगों के जेहन में कई सवाल तैर रहे हैं कि आखिर ऐसी कौन सी बात है, जिसके कारण सत्तापक्ष के नेता आसिफ अली को एक पुलिस चौकी प्रभारी के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ रहा है? बेहतर होता कि अली आम जनता की समस्याओं को लेकर उन्हें राहत दिलाने कोई आंदोलन करते। वे चाहते तो इस मामले से अपनी पार्टी के बड़े पदाधिकारियों के अलावा जिले के प्रभारी मंत्री और गृह मंत्री को अवगत करा सकते थे। सवाल यह भी है कि एक नेता जिस सब इंस्पेक्टर को हटाना चाहता है, उसे वार्ड सहित पुलिस चौकी क्षेत्र के लोग नहीं हटाना चाहते। ऐसे में शहरवासी को लगता है कुछ तो गड़बड़ है?
संस्कारधानी की ये है खासियत
मिर्जा गालिब ने कहा है-
न सुनो गर बुरा कहे कोई, न कहो गर बुरा करे कोई,
रोक लो गर गलत करे कोई, बख्स दो गर खता करे कोई।
कितना प्रासंगिक है ये शेर।
वर्तमान का समय कुछ ऐसा ही है। कहते हैं, संयम में रहे तो स्वर्ग और बेकाबू हो जाए तो नर्क। संयम का अभाव होता है वहां बुद्धि और भावना का मेल नहीं होता।
शहरवासी शहर की संस्कारित गतिविधियों और प्रवत्तियों का कायल है। यहां दुर्गा पूजा, दशहरा भी श्रद्धालुओं ने संयम रख उत्साहपूर्वक मनाया। उधर, ईद भी परम्परागत धूमधाम से मनी। इस अवसर पर भव्यातिभव्य जुलूस भी निकाला। जिला प्रशासन ने ‘‘लॉ एण्ड आर्डर’’ पर भी विशेष ध्यान दिया।
किसी ने कहा है-
खुदा को पा गया वाईज मगर,
जरूरत है आदमी को आदमी की।
– शहरवासी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here