शहर की सडक़ों में आवारा कुत्ते व मवेशियों की जमघट… निगम बेसुध
राजनांदगांव(दावा)। बल्देव बाग रोड में दैनिक दावा एवं सबेरा संकेत के समीप डेरा जमाए कुत्तों ने मासूम बछड़े को नोच खाया। शनिवार की देर शाम हुई उक्त घटना में मासूम बछड़े की तत्काल मौत हो गई। देर तक सडक़ में पड़े रहे खूंखार कुत्तों का निवाला बन गया। इस दौरान हल्की बारिश हो रही थी। लोगों ने बछड़े पर पिल पड़े आठ-दस कुत्तों को भगाने का प्रयास भी किया लेकिन थोड़ी दूर जाकर उक्त कुत्ते बूरी तरह जख्मी बछड़े के समीप लौट आते और अंतत: उसे निवाला बना ही लिया। उक्त दृश्य देखकर लोगों का दिल पसीज गया लेकिन बारिश होने के चलते वे कुछ भी नहीं कर पाए।
कुत्ते व मवेशियों का जमघट
शहर की सडक़ों में कुत्ते व मवेशियों का जमघट देखा जा सकता है। शहर की गलियों से लेकर मुख्य मार्गों में मवेशियों व कुत्तों का जमावड़ा सुबह से लेकर रात तक बनी रहती है। जिससे न सिर्फ लोगों को राह चलना दुष्कर होता है, बल्कि दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। शहर के मुख्य मार्गों से लेकर हाइवे तक इन जानवरों की उपस्थिति देखी जा सकती है। सडक़ में बैठे अलमस्त इन जानवरों को पकडऩे की दिशा में नगर निगम द्वारा ठोस पहल नहीं की जा रही, इससे लोगों को सुलभ आवागमन करने में दिक्कतें आ रही है। खासकर बल्देवबाग इलाके श्रीकृष्ण टाकीज, हलवाई लाइन, मठपारा रोड, लखोली नाका चौक, गुरूद्वारा रोड, दुर्गा चौक, लखोली रोड में कुत्तों का जमावड़ा रहने से लोगों को काटने का भय बना रहता है। इन दिनों स्कूल खुल जाने से बच्चों का आवागमन इन रास्तों से बना रहता है। सडक़ में कुत्तों का जमघट होने से इन बच्चों को खतरा बना हुआ है। शनिवार की रात ही लखोली नाका चौक में एकत्रित कुत्ते एक गाय के पीछे पड़ गये गनीमत है कि गाय के हष्ट-पुष्ट होने से कुत्तों की एक न चली। उन्हें सिंग मार कर भाग दिया नहीं तो उसे भी कुत्तों का निवाला बनने में देर नहीं लगती।
धर-पकड़ अभियान शिथिल
बता दे कि शहर की गलियों व सडक़ों मे एकत्रित रहने वाले ज्यादातर खूंखार हो गये है। न जाने इन्हें क्या चीजे खाने को मिलता है जिससे वे अधिक हिसंक एवं हमलावर हो गये है। इनका सिर्फ बंध्याकरण किया जा सकता। निगम द्वारा इसकी न तो धरपकड़ की जाती है और न पागल व खूंखार हो चुके कुत्तों को मारा जाता है। इससे इन हिंसक कुत्तों का डर समाया हुआ है। ठीक इसी तरह की स्थिति सडक़ों में बेलगाम घुमने वाले मवेशियों की भी है। नेशनल हाइवे हो या शहर की मुख्य सडक़ें इन बेजुबान जानवरों का कब्जा कहता है। नंदई रोड, चिखली, रमन बाजार, लखोली रोड, मोतीपुर, बसंतपुर व अन्य वार्डों की सडक़ों में इनका कब्जा देखा जा सकता है। इन इलाकों की सडक़े मवेशियों के गोबर मूत्र से सना रहता है। मवेशियों का सडक़ों में डेरे के चलते पूर्व में कई दुर्घटनाएं हो चुकी है। इसके बाद भी निगम की नींद नहीं खुली। खासकर रात के समय हलवाई लाइन, गोलबाजार, गुड़ाखू लाइन क्षेत्र में मवेशियों का नजारा देखते ही बनता है। पूर्व में सडक़ों में घुमने वाले मवेशियों के खिलाफ धर-पकड़ अभियान चलाया गया था। इसके बाद यह अभियान शिथिल पड़ गया। इसी तरह कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने निगम द्वारा किसी प्रकार ठोस पहल नहीं की गई। इससे आवारा कुत्तों की बाढ़ आई हुई है। जिससे लोगों को इनके काट लेने तथा मासूम बच्चों व मवेशियों को नोच खाने का डर समाया हुआ है।