० कृषि उपकरणों के रूप में पूजे जाएंगे शनि देवता
० गुरू पुष्यामृत योग सहित शनि जयंती की रहेगी धूम
राजनांदगांव (दावा)। सावन मास की अमावस्या को पूरे अंचल भर में लोक पर्व हरेली धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। प्रकृति के चारों ओर बिखरी हरियाली से किसका दिल हरा-भरा नहीं होता, इस हरियाली के उल्लास में अंचल का किसान भाई आज अपने कृषि उपकरणों की पूजा कर हरेली पर्व मनायेंगे। लोगों की स्वास्थ्य की कामना से हरियाली का प्रतीक के रूप में नीम की टहनियां घर-घर में लगाई जाएगी। बदले में वे दान-दक्षिणा के रूप में बख्शीश पाएंगे।
छत्तीसगढ़ का प्रथम पर्व: हरेली का पर्व अच्छी फसल की कामना से मनाए जाने वाला छत्तीसगढ़ का प्रथम त्यौहार है। इस दिन किसान, किसानी कार्य में उपयोग आने वाले हल, बक्खर, रापा, कुदाली, हसियां, टंगिया आदि को धो-पोछ के साफ-सुथरा कर तथा घर के एक निश्चित स्थान पर रख कर उसकी पूजा करता है। इन उपकरणों को देव रूप में मानकर उसे हम-धूप देकर उसमें चिला चढ़ाता है। यह दूसरे अर्थों में कहा जाए तो किसानों द्वारा शनि देवता का पूजन किया जाता है। शनि देव आज के ही दिन सूर्य पत्नी छाया के गर्भ से पैदा हुए थे। आज हरेली अमावस्या पर भगवान शनि जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी। बता दे कि किसान आज के दिन जिन कृषि उपकरणों की पूजा करते है, उस सभी में लोहा लगा होता है। भगवान शनि देव का वास स्थान लोहा है। प्रकारांतर में किसान इन उपकरणों के माध्यम से शनिदेवता की ही पूजा करते है। उनसे ही अपने अच्छी फसल की कामना करते है। न्याय का देवता शनि सब पर अपनी कृपा दर्शाते है।
गेडिय़ों की गूंजेगी रूच-रूच आवाज: हरेली सिर्फ खेती-किसानी करने वालों का त्यौहार नहीं है, पर्यावरण संरक्षण का भी त्यौहार है। इस पर्व में लोग स्थान विशेष में पौधरोपण भी करते है। ताकि चारों ओर वायु प्रदूषण न हो और हरीतिमा की चादर बिछी रहे। इसे प्रयोगात्मक त्यौहार कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। बरसात के मौसम में चारों ओर कीचड़ बना रहता है। चलने पर पांव खराब हो जाते है, इससे बचने के लिए गेड़ी का इजाद हुआ है। हरेली त्यौहार के दिन गेड़ी चढऩे की एक परम्परा निर्मित हुई है। गांव-देहांत के छोटे बच्चे गेड़ी चढक़र मजा पाते है। मनचले युवक गेड़ी चढक़र रूच-रूच की आवाज के साथ-गांव, गली का भ्रमण करते है। गांव में गेड़ी दौड़ व ठिक्की लड़ाने का खेल भी खेला जाता है। किसानों के श्रमशील जीवन में हरियाली के रूप में एक दिवसीय अवकाश लेकर आने वाले हरेली पर्व को खेल पर्व कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस मौके पर गेड़ी दौड़ के अलावा भौरा-बांटी, गिल्ली डंडा, पि_ल, खो-खो फुगड़ी-फूं आदि का खेल खेला जाता है। इससे उल्लास उत्साह का संचरण होता
शनि जयंती की धूम: हरियाली अमावस्या पर आज न्याय के देवता शनि देव का प्राकट्य उत्सव भी धूमधाम से मनाया जाएगा। पं. सरोज द्विवेदी ने बताया कि इस वर्ष का राजा शनि है। उनकी जितनी पूजा-आराधना की जाएगी शनि देवता प्रसन्न होकर सब पर कृपा दर्शायेंगे। उन्होंने बताया कि इस शुभ दिन में गुरू पुष्य अमृत योग भी बन रहा है जो सबके लिए मंगल कारक होगा। इस योग में सोने चांदी की खरीदी व अन्य कीमती धातुएं सहित सब प्रकार की खरीदी शुभ होती है। इसी तरह सभी तरह के धार्मिक आयोजन व पूजा-पाठ के लिए आज का दिन शुभ योग लेकर आया हुआ है।
आज हरेली पर्व के साथ शनि जयंती अवसर पर शहर के कामठी लाइन स्थित शनि मंदिर इंदिरा सरोवर तट स्थित नव ग्रह मंदिर स्टेशन पारा व रानी सागर तालाब तट स्थित शनि धाम में भगवान शनि देव के पूजन के लिए भक्तों का तांता रहेगा।
शनि मंदिर में आज होगी विशेष पूजा: कामठी लाइन स्थित शनि मंदिर में आज प्रात: 5 बजे से 6.30 बजे तक शनि भगवान का तैलाभिषेक, जलाभिषेक श्रृंगारादि किया जाएगा। इसके बाद साढ़े 7 बजे आरती व दोपहर 2 बजे हवन पूजन होगा। इसी तरह शाम 5 बजे सत्यनारायण मंदिर धर्मशाला में महाप्रसादी तथा देर शाम 7 बजे भगवान शनि देव की महाआरती की जाएगी। उक्त आयोजन में श्रद्धालुओं से शामिल होने की अपील की गई है।