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विभागीय लापरवाही से शिवनाथ ने बदली दिशा

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दर्री एनीकट के समीप कई किसानों की खड़ी फसल के साथ जमीन तबाह, 5 एकड़ से अधिक जमीन बहने का अनुमान
डोंगरगांव (दावा)।
शिवनाथ नदी पर निर्मित दर्री एनीकट के समीप एक बार फिर तबाही का दृश्य देखने मिला. लगातार बारिश के चलते शिवनाथ नदी ऊफान पर है और अधिकारियों व विभागीय लापरवाही के चलते एनीकट के समीप पुराना कटाव लगातार बढ़ रहा है. एनीकट के समीप शिवनाथ नदी ने अपना रास्ता ही बदल लिया है और एनीकट के समीप लगे खेतों में लगातार कटाव जारी है यह स्थिति और भी भयावह इसलिए हो चुकी है चूंकि बारिश के मौसम के बावजूद एनीकट के गेट ही नहीं खोले गए हैं. पिछले एक माह पूर्व भी इस स्थल पर यही स्थिति थी जब नदी का पानी करोड़ों के एनीकट को नुकसान पहुंचते हुए एनीकट के बाहर से अपना रास्ता बनाकर बहना प्रारंभ कर दिया था और इस स्थिति को देखते हुए अधिकारियों ने कोई सीख नहीं ली और मौके पर पानी कम होने के बाद बोरियों में रेत भरकर पानी को साधने की कोशिश में लगे रहे और बाढ़ की स्थिति एक बार फिर आने पर स्थिति भयावह हो गई है जबकि पानी कम होने की स्थिति में एनीकट का गेट खोल दिया जाता तो पूरा पानी गेट से निकल जाता और इतनी गंभीर स्थिति का सामना किसानों को नहीं करना पड़ता.

बीते दिनों से लगातार चल रही बारिश के चलते शिवनाथ नदी पर बने दर्री मटिया एनीकट का एपरोच रोड पूरी तरह बह गया था लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इस ओर बिलकुल भी गंभीरता नहीं दिखाई और अबकी बार का नुकसान पूर्व के नुकसान से कहीं अधिक हो गया है. जिसमें अनेक किसानों की खड़ी फसल के साथ जमीन बहने की खबर है. इस मामले में प्रभावित किसानों ने चर्चा के दौरान अपनी पीड़ा बतायी है जबकि इनके अलाव भी और भी अनेक किसान प्रभावित हैं.

हरिशंकर पिता रामगुलाल
26 डिसमिल खेत में धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गया है और फसल के साथ पूरा खेत ही बह गया है. विभागीय लापरवाही की वजह से हुए नुकसान का सरकार को शीघ्र ही उचित मुआवजा देना चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सरकार को कार्यवाही भी करनी चाहिए.

लखन पटेल पिता फगनू
लगभग एक एकड़ की जमीन इस कटाव में बह गई है, जिसमें धान का फसल लगाया गया था. किसान ने शासन से अपने खेत का पटाव और मुआवजे की मांग की है.

घनश्याम पटेल पिता तेमूक
अपने 35 डिस्मिल जमीन में सब्जी की फसल लेकर अपने परिवार का भरण पोषण करता हूं लेकिन इस वर्ष की बाढ़ के चलते फसल सहित पूरा खेत ही बह गया है और अब भरण पोषण की समस्या हो जायेगी.

महेन्द्र साहू पिता सखाराम
मेरा 25 डिसमिल खेत नदी के बाढ़ की चपेट में आया है और नदी किनारे वर्षों से मैं किसानी कर रहा हूँ लेकिन इसी वर्ष मेरा बड़ा नुकसान हुआ है यदि एनीकट का गेट खुला होता तो इस वर्ष भी सब सुरक्षित होते और किसानों की जमीन बच जाती.

इस एनीकट में पिछले नुकसान के बाद 3 गेट खोले गए थे और पानी कम होने की वजह गेट बंद किये जाते हैं और समीप ही इंटक वेल में गड्ढे की वजह से बाढ़ परिवर्तित हो गया और कटाव बढ़ गया है. गेट खुलने और बंद होने से इसका कोई संबंध नहीं है और पानी अपना रास्ता स्वयं बना लेता है इसे शीघ्र ही ठीक करवाया जायेगा।

  • जी.डी. रामटेके,
    ईई जल संसाधन विभाग

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