समस्या : दलदल सड़क में फंसा लोड ट्रक, सड़क के दोनों ओर फंसे सैकड़ों वाहन
पत्थलगांव. जशपुर जिले के झारखंड की सीमा शंख से लेकर जिले के अंतिम छोर पत्थलगांव से होकर गुजरी कटनी-गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग ४३ की हालत एक पिछले दशक से खराब है, पर इस राजमार्ग की सुध लेने वाला शायद ही अब कोई जनप्रतिनिधि या विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी शेष बच पाए हों। और इस सड़क की बदहाली को लेकर लोगों के सब्र का बांध अब बस फूटने ही वाला है। शुक्रवार १६ सितम्बर को भाटामुडा से लेकर पत्थलगांव तक की तीनो सड़कों तक लगभग एक हजार बड़ी वाहनो की लंबी कतार लग गई। इस ८ किलोमीटर से भी अधिक का लंबी जाम को देखकर शहर के लोग सहमे नजर आने लगे। दरअसल इतना लंबा जाम शहर के लोगों ने आज से पूर्व कभी नहीं देखा था, शहर के इतिहास में ऐसा जाम पहली बार लगा जब भाटामुडा से लेकर बी.टी.आई चौक होते हुए शहर के हदय स्थल इंदिरा चौक तक वाहनो की लंबी कतार लग गई। सुबह यह नजारा जब लोगों ने देखा तो वे सहमे नजर आए। 8 बजे तक जाम में वाहनो की कतार बढ़ती चली गई। इंदिरा चौक तक पहुंचा जाम धीरे-धीरे जशपुर एवं रायगढ़ रोड को भी अपनी चपेट में ले लिया, पर उसके बाद भी सड़क मार्ग खुलवाने के लिए एन.एच विभाग के अलावा किसी ने भी कोई पहल नहीं की थी।
बताया जाता है कि पिछले दो दिनो की बारिश के कारण बी.टी.आई चौक के करीब सड़क में कीचड ने दलदल का रूप ले लिया है, जिससे गाडी निकालने की काशिश करते ही फंसने की स्थिति बन जा रही है। गुरूवार को दलदलनुमा इस कीचड़ में अनेक गाडियां फंस गई, पर फंसी गाडियों की किसी ने सुध नहीं ली। इस दौरान कुछ जिददी वाहन चालक कीचड़ में अपनी गाडी निकालने की कोशिश में अपने वाहन फंसा दिए, जिसके कारण गुरूवार की रात से ही अंबिकापुर रोड में वाहनो की कतार लगनी शुरू हो गई थी, शुक्रवार को सुबह होते तक भाटामुडा से लेकर इंदिरा चौक तक ८ किलोमीटर लंबी वाहनो की कतार लग गई, 8 बजते तक यह कतार रायगढ एवं जशपुर रोड को भी जाम कर दी थी। शहर के लोग वाहन तो दूर पैदल चलने मे भी खुद को असमर्थ समझने लगे, रह रहकर उनके द्वारा सरकारी सिस्टम एवं नेताओं के वादों को याद किया जा रहा था।
चिता की लकड़ी भी फंसी जाम में : सड़कों की बुरी स्थिति से शायद ही कोई वर्ग अछूता रह गया हो। आए दिन लगने वाले एन.एच. सड़क के जाम ने गंभीर मरीजों की एंबुलेंस वाहन फंसने के अलावा शव ले जाने वाली मुक्तांजलि एक्सप्रेस का फंसना भी अब आम हो गया है। सड़कों की खराब हालत के कारण जब मृत आत्मा को भी शांति ना मिले तो उससे अधिक विडंबना शायद ही किसी परिवार की हो सकती है। आज लगे जाम मे एक ऐसा ही वाक्या देखने को मिला जब भाटामुडा के करीब पुरानी बस्ती में एक वृद्ध महिला की मौत के बाद परिजन शहर से लकड़ी खरीदकर गांव जा रहे थे, पर लंबे जाम में उनकी वाहन भी फंस गई, जिसके बाद मृतक के परिजन घंटो खड़े रहकर जाम खुलने का इंतजार करते रहे।
स्कूल, न्यायालय नहीं पहुंच पाए कर्मचारी : कटनी-गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग के अंबिकापुर रोड में शहर से कुछ दूरी पर लगभग एक दर्जन शासकीय एवं निजी स्कूल संचालित होने के अलावा व्यवहार न्यायालय भी मौजूद है। गुरूवार की रात से इस मार्ग में लगे जाम के कारण आज अनेक स्कूलों के शिक्षक स्कूली बच्चे एवं न्यायालय में कार्यरत अनेक वर्ग के कर्मचारी अपने कार्य स्थल पर पहुंच नहीं सके, जिन्होंने जर्जर सड़कों को जिदद कर पार करने की कोशिश की वे बेचारे मजधार में ही फंसे रहकर जाम खुलने का इंतजार करते दिखाई दिए।
जाम में फंसे, सड़क पर ही बनाने लगे खाना : राष्ट्रीय राजमार्ग ४३ की बदहाली से परेशान जाम में फंसे वाहन चालकों की विडंबना आज एक बार फिर देखने को मिली। देर रात से भूखे प्यासे जाम में फंसे वाहन चालकों को जब खाने की कोई और व्यवस्था पास में दिखाई नहीं दी तो वे मजबूरन सड़क पर ही चूल्हा जलाकर भोजन का जुगाड़ करने लगे। रह रहकर वाहन चालक जिले की व्यवस्था एवं सड़कों की हालत को कोसते दिखाई दे रहे थे।