नदी सरोवर में स्नान-ध्यान सहित दान-पूण्य का बना रहेगा माहौल- श्रद्धा-भक्ति की बहेगी बयार
राजनांदगांव (दावा)। इन दिनों ठंड का मौसम जारी है। इन्ही दिनों में प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। हिन्दू (सनातन) धर्म में मकर संक्रांति पर्व का बड़ा महत्व है। इस दिन सूर्य अपने राशि से संक्रांति कर मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य के इस उत्तरायण होने के संक्रांत काल को मकर संक्रांति कहा जाता है। इस बार सूर्य शनिवार की रात साढ़े आठ बजे के करीब मकर राशि में प्रवेश करेगा लेकिन इसका पुण्यकाल रविवार को उदित होने वाले सूर्य के साथ मनाया जाएगा। इस दिन 15 जनवरी को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक मकर संक्रांति पर्व की छटां बिखरेगी। नदी-सरोवरों में स्नान-ध्यान से लेकर मंदिरों में पूजा-पाठ व याचकों को दान-पुण्य किये जाने का कार्य दिन भर जारी रहेगा।
भीष्म पितामह ने त्यागे थे प्राण
बता दे कि सूर्य का उत्तरायण होना बहुत शुभ माना गया है। सूर्य धनु राशि से होकर मकर राशि में परिभ्र्रमण करता है। इससे देवताओं का दिन व असूर राक्षसों के रात की शुरूआत होती है। इसे स्वर्ग का द्वार खुल जाने वाला दिन भी माना जाता है। यही वजह है कि महाभारत युद्ध के समय गाड़ी व धारी अर्जुन की वाणी से बिंघे शर सैया में पड़े भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण त्याग थे। इसी दिन सनातन धर्म के अनुयायियों को एक सूत्र में बांधे रखने देश में चार पीठो की स्थापना करने वाले आदि शंकराचार्य ने अपने शिष्यों को खिचड़ी का प्रसादी ग्रहण करवाया था। मकर संक्रांति पर्व की महत्ता को देखते हुए जगह-जगह धार्मिक आयोजन व मंडई मेले की भरमार रहती है। दान-पूण्य के कार्य सम्पन्न किये जाते है व पर्व की एक दूसरे को बधाई दी जाती है तथा तिल गुड से बने लड्डू की प्रसादी देकर उनके सुख-स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
शेर पर जाएगी संक्रांति
ज्योतिषाचार्य पं. सरोज द्विवेदी ने बताया कि मकर संक्रांति पर्व दान-पूण्य के लिए अति उत्तम दिन है। इस दिन नदी-सरोवरों में स्नान का याचकों व ब्राहमणों में दान-पुण्य किया जाता है। संक्रांति से ही सूर्य देव मकर राशि में संक्रांत कर उत्तरायण ही जाएगे। इस दिन से शुभ एवं मांगलिक कार्यों की शुरूआत होगी। सूर्य देव की आराधना वाले इस पर्व में चारो ओर हर्षोल्लास का माहौल बना रहता है। इस दिन से ठंड थोड़ी कम लगनी शुरू होती है। आज शनिवार की रात 8.43 बजे संक्रांति शेर पर सवार होकर चांदी के पात्र में दूध पीते हुए जाएगी। इसका उप वाहन अश्व (घोड़ा) होगा। कुंवारी कन्या के रूप में पत्तियों का श्रृंगार व श्वेत वस्त्र धारण किये संक्रांति ईशान कोण को देखते हुए उत्तर दिशा की ओर जाएगी। उन्होंने बताया कि संक्रांति जिस चीज का उपयोग करती है। वह महंगा हो जाता है। जिस दिशा की ओर गई है उधर आपदा की स्थिति बनती है। उपरोक्त अनुसार उन्होंने उक्त दिशा में युद्ध की स्थिति बनने अप्रिय घटनाएं होने तथा महंगाई बढऩे का अनुसान लगाया है। साथ ही उन्होंने कहा कि चूंकि मकर संक्रांति के साथ देवताओं के दिन शुरू होने के इसलिए सभी ओर शुभ ही शुभ एवं मंगलप्रद होगा। लोग मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे… तिल की लड्डूओं से लोगों का मुंह मीठा होगा।