उच्चतम न्यायालय ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के बहनोई मैनक मेहता को हांगकांग जाने की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका बंबई उच्च न्यायालय को बृहस्पतिवार को वापस भेज दी. न्यायालय ने इस मामले में अदालत से चार सप्ताह में नए सिरे से फैसला सुनाने को कहा.
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा कि सीबीआई और मेहता दो सप्ताह की अवधि के भीतर उच्च न्यायालय में अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल कर सकते हैं और उसके बाद दो सप्ताह के भीतर याचिका पर फैसला किया जाएगा.
नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में आरोपी है. सीबीआई का आरोप है कि मैनक मेहता ने पीएनबी धोखाधड़ी मामले में बड़ी मात्रा में हेराफेरी की राशि को अपने व अपनी पत्नी के बैंक खाते में भेज दिया था.
न्यायालय ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि मेहता की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने सीबीआई को मेहता के दो विदेशी बैंक खातों के विवरण हासिल करने और उनकी जांच करने के लिए ‘अधिकार पत्र’ देने पर सहमति व्यक्त की है.
सीबीआई ने अपने निदेशक, बैंकिंग सुरक्षा धोखाधड़ी शाखा, मुंबई के मार्फत बंबई उच्च न्यायालय के 23 अगस्त 2022 के आदेश को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने मेहता को हांगकांग की यात्रा करने और वहां तीन महीने रहने की अनुमति दी थी.
उच्च न्यायलय ने मुंबई के विशेष सीबीआई न्यायाधीश का आदेश बरकरार रखा था और सीबीआई द्वारा मेहता के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर खारिज कर दिया था और उसे हांगकांग जाने की अनुमति दी थी. मेहता ब्रितानी नागरिक है और वह अपने परिवार के साथ हांगकांग में रहता है. वह मुंबई की अदालत के समक्ष पेश होने के लिए आठ सितंबर, 2021 को भारत आया था.