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PF में ज्यादा लाभ दिला सकता है VPF, जबरदस्त रिटर्न का नहीं कोई तोड़, टैक्स छूट मिलेगी अलग से

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कर्मचारी भविष्य निधि अनिवार्य सेवानिवृत्ति बचत योजना है. इसका मैनेजमेंट कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employee Provident Fund Organization) करता है. कोई भी कंपनी जिनके यहां 20 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं, उसको कर्मचारी का ईपीएफ काटना होता है. कंपनी हर महीने कर्मचारी के मूल वेतन (Basic Salary) का 12 फीसदी काटकर जमा करती है और खुद भी अधिकतम 12 फीसदी उस कर्मचारी के पीएफ खाते में डालती है. इस पूरे पैसे पर सालाना ब्याज (Interest on PF Account) दिया जाता है. कर्मचारी अगर ज्‍यादा निवेश करना चाहता है तो पीएफ खाते के साथ-साथ वह स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) में भी पैसे जमा करा सकता है.

वीपीएफ पर भी पीएफ जितना ब्‍याज मिलता है. जैसे आपके मूल वेतन का कुछ हिस्सा आपके भविष्य निधि खाते में जाता है, वैसे ही आप अपने वेतन का कुछ और हिस्सा स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) में भी अपनी इच्छानुसार जमा कर सकते हैं. वीपीएफ अकाउंट में कर्मचारी अपनी पूरी सैलरी और महंगाई भत्‍ता जमा करा सकता है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि वीपीएफ में केवल नौकरी करने वाला व्‍यक्ति ही पैसे जमा करा सकता है.

वीपीएफ के फायदे
वीपीएफ एक शानदार बचत योजना है. इसमें शानदार रिटर्न तो मिलता ही है, साथ ही टैक्‍स बचत भी होती है. यह ट्रिपल ई श्रेणी की निवेश योजना है. इसका मतलब है कि इसमें किए गए निवेश, कुल जमा राशि और ब्‍याज पर टैक्‍स छूट मिलती है. वीपीएफ एक जोखिम रहित निवेश योजना है. इसमें से कभी भी पैसा निकाला जा सकता है. वीपीएफ अकाउंट आधार से लिंक होता है. नौकरी बदलने पर वीपीएफ अकाउंट को ट्रांसफर करना भी बहुत आसान है. वीपीएफ खाते में कंपनी का कोई योगदान नहीं होता है.

कब करें वीपीएफ में निवेश
अगर आपका सालाना ईपीएफ कंट्रीब्‍यूशन 2.50 लाख रुपये से कम है तो आपको तुरंत वीपीएफ में निवेश शुरू कर देना चाहिए. अगर आप ईपीएफ में हर महीने 12,500 रुपये निवेश करते हैं, तो आपका सालाना निवेश 1.5 लाख रुपये ही होगा. इस तरह आप वीपीएफ में हर महीने 8,333 रुपये निवेश और कर सकते हैं. इस तरह आप सालाना 2.5 लाख रुपये पर 8.1 फीसदी टैक्‍स फ्री रिटर्न पा सकते हैं. साल में दो बार VPF में जमा की जाने वाली राशि में बदलाव कर सकते हैं. हालांकि, इसके लिए आपको अपनी कंपनी के एचआर/वित्त विभाग से ही संपर्क करना होगा.

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