छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन के काम में गड़बड़ी औैर अनियमितता पर रोक लगाने के लिए वेब पोर्टल औैर मोबाइल एप तैयार किया गया है। सीजीजेजेएम नाम से बनाए गए पोर्टल औैर जल क्रिया नाम से बनाए गए मोबाइल एप से अफसरों औैर ठेकेदारों के काम की मॉनिटरिंग भी की जाएगी। काम की प्रगति औैर पूर्णता के लिए पोर्टल औैर एप पर सभी सुविधाएं दी गई हैं।
इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि काम पूर्ण होने की रिपोर्ट मिलने पर ही बिल जनरेट होगा औैर तब ही ठेकेदार को पेमेंट किया जाएगा।दरअसल प्रदेश के 50 लाख घरों तक पीने का साफ पानी पहुंचाने की इस योजना में काम की गुृणवत्ता तथा लेटलतीफी को लेकर लगातार शिकायतें मिलती रही हैं। इन्ही शिकायतों को दूर करने के लिए मिशन संचालक आलोक कटियार ने पोर्टल औैर एप तैयार करवाया है।
बताया गया है कि ठेकेदार द्वारा किए जा रहे कामों की जीपीएस टैगिंग फोटोग्राफी के साथ-साथ प्रोग्रेस रिपोर्ट पता करने के लिए यह एप तैयार किया गया है। इससे फील्ड में चल रहे कार्यों पर नियंत्रण एवं कसावट लाई जाएगी।
ठेकेदारों की तरह ही विभागीय अधिकारियों द्वारा फील्ड विजिट एवं निरीक्षण से संबंधित सभी जानकारी तथा जिओ टैगिंग फोटोग्राफी ली जाएगी तथा काम के प्रत्येक चरण के फोटोग्राफ्स अपलोड करना होगा। यह फोटोग्राफ्स एप से मिशन के सर्वर में अपलोड किया जाएगा। अधिकृत ठेकेदारों औैर अधिकारियों यूजर आईडी औैर पासवर्ड भी दिया जाएगा।
भौतिक सत्यापन करना आसान होगा
एप के माध्यम से ठेकेदार के कार्यों की सही जानकारी मिल जाएगी। योजना से जुड़े सभी कमों का भौतिक सत्यापन सिंगल क्लिक पर उपलब्ध होगी। हितग्राहियों की पहचान भी एप के माध्यम से किया जा सकेगा। काम शुरू होने औैर समाप्त होने की अवधि भी पता चलेगी तथा अफसरों द्वारा फील्ड विजिट एवं निरीक्षण से संबंधित जानकारी भी मिल जाएगी।
22 लाख परिवारों तक पहुंचा नल कनेक्शन
अब तक 22 लाख से ज्यादा घरेलू नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इसके साथ-साथ 43 हजार 942 स्कूलों, 41 हजार 676 आंगनबाड़ी तथा 17289 पंचायत भवनों और उप-स्वास्थ्य केन्द्रों में टेप नल से शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई है। जिसमें जांजगीर-चांपा जिले में सबसे अधिक 1.90 लाख परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन देने में अव्वल है।
बिल अप्रूव होगा तभी मिलेगा पेंमेट
बताया गया है कि योजना के तहत ठेकेदारों को पेमेंट तभी होगा जब काम पूर्णता की तस्वीर जीआईएस मैपिंग के साथ एप पर अपलोड की जाएगी तथा इसका अप्रुवल संबंधित ईई द्वारा किए जाने के बाद ही किया जाएगा।
“पोर्टल औैर एप के माध्यम से काम की प्रगति औैर इसमें होने वाली गड़बड़ी का आसानी से पता चल जाएगा। इससे काम में तेजी के साथ ही गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।” -.आलोक कटियार, संचालक, जल जीवन मिशन