छत्तीसगढ़ में सिलगेर गोलीकांड को 2 साल पूरे हो गए हैं। पिछले 2 सालों से इलाके के लोग मृतक के परिजनों को मुआवजा देने और मामले की जांच करने की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस मामले को लेकर अपना बयान दिया है। उनका कहना है कि, इलाके के ग्रामीणों से हमारी बात हो गई है। अगर हम मुआवजा की राशि उन्हें देते हैं तो नक्सली ले लेंगे, और अगर नौकरी देते हैं तो उन्हें मार देंगे। कुछ और भी बातें हमारे बीच हुई है लेकिन वह गोपनीय है।
मुख्यमंत्री के मुताबिक उस घटना के बाद सांसद दीपक बैज, विधायक विक्रम मंडावी समेत अन्य नेताओं की एक जांच टीम को मैंने मौके पर भेजा था। वहां के लोगों से बातचीत भी किए थे। उन्होंने अपनी सारी मांगे हमारे सामने रखी। जिसके बाद सिलगेर आंदोलन का जो लोग नेतृत्व कर रहे हैं उन्हें मैंने कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री निवास बुलाया था। बीजापुर के विधायक विक्रम मंडावी, आबकारी मंत्री कवासी लखमा की मौजूदगी में मैंने तीन 3 घंटे तक बैठक ली थी।
उनसे बात की। मुआवजा की भी बात हुई और नौकरी की भी बात हुई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नौकरी देंगे तो उन्हें जान का खतरा है। वे लोग दबाव में आकर विरोध कर रहे हैं। हमारे बीच कई बातें ऐसी भी हुईं जिसे हम मीडिया के सामने नहीं कह सकते हैं। उनकी जो-जो मांग थी वह सब हमने पूरी की। हालांकि, वहां की परिस्थिति से हर कोई वाकिफ है।
बनवाए जाएंगे राशन कार्ड
मैंने उनसे पूछा कि आपके गांव में कुल कितने घर हैं और कितनों के पास राशन कार्ड है? उन्होंने मुझे जवाब दिया 100 घर हैं और करीब 20 परिवार वालों के पास ही राशन कार्ड है। बाकी 80 परिवार के पास राशन कार्ड नहीं है। उनसे राशन कार्ड बनवाने के लिए कहा तो सभी ने हामी भरी थी। सब के राशन कार्ड बनवाए जाएंगे। उन्हें राशन दिया जाएगा। दरअसल ग्रामीण मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए देने की मांग कर रहे हैं।
यह था मामला
सुकमा और बीजापुर जिले की सरहद पर स्थित सिलगेर में 12 मई 2021 को सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया गया था। वहीं 13 मई की सुबह से ही यहां कैंप को हटाने के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण जुट गए थे। इसी बीच सुरक्षाबलों और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी। जिसमें जवानों ने फायर खोल दिया था। पुलिस की गोली लगने से 3 लोगों की मौत और भगदड़ में एक गर्भवती महिला की जान चली गई थी।