छत्तीसगढ़ के जगदलपुर के लालबाग मैदान में 2 जून को कांग्रेस ने कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया है। बस्तर की सारी 12 विधानसभा सीटों से विधायक और संभाग के कार्यकर्ता यहां जुटेंगे। सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कुमारी सैलजा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, आबकारी मंत्री कवासी लखमा और PCC चीफ मोहन मरकाम भी मौजूद रहेंगे। सरकार के साढ़े चार साल के काम की कामयाबी और कमियों की समीक्षा करेंगे। साथ ही इस साल होने साले चुनाव की स्ट्रेटजी भी तैयार करेंगे।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में कहा जाता है कि अगर बस्तर की सारी 12 विधानसभा सीटों को कोई भी राजनीतिक पार्टी जीत ले, तो उस पार्टी की सरकार बनाने का रास्ता खुल जाता है। वर्तमान में इन सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। सरकार भी कांग्रेस की ही है।
अब कांग्रेस अपनी सीटों को बचाने और जीत बरकरार रखने की कोशिश कर रही है। तो वहीं भाजपा इस सीटों पर जीत हासिल करने पर जोर लगा रही है। पिछले 4 दिनों से BJP के CG प्रदेश प्रभारी ओम माथुर भी बस्तर में ही डेरा जमाए बैठे हैं। चुनावी रणनीतियां बना रहे हैं।
कार्यकर्ता सम्मेलन में यह होगा
सरकार बने साढ़े चार साल का वक्त हो गया है। कामयाबी और कमियों की समीक्षा की जाएगी।
सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर पहुंचाने में योगदान और ज्यादा से ज्यादा जनसंपर्क करने की प्लानिंग।
हर विधानसभा क्षेत्र से विधायक के कामों को खंगाला जाएगा।
कुमारी सैलजा और CM भूपेश बघेल कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे।
12 विधानसभा सीटों पर फतह हासिल करने बनेगी प्लानिंग। कई नए चेहरों को सौंपी जाएगी जिम्मेदारी।
जानिए कब किसका था राज
साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बस्तर की 12 विधानसभा सीटों में से 11 सीटों पर BJP का कब्जा था। जबकि, कांग्रेस के पास सिर्फ एक ही सीट थी। यही सिलसिला साल 2008 के चुनाव में ही थी। हालांकि, साल 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने बस्तर की 4 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा के पास कुल 8 सीटें बची। लेकिन, 2018 के चुनाव में ऐसा परिवर्तन आया कि, 12 में से 11 सीटों पर कांग्रेस ने परचम लहराया। सिर्फ दंतेवाड़ा सीट से BJP के भीमा मंडावी चुनाव जीते थे। हालांकि, नक्सलियों ने इनकी हत्या कर दी थी। उपचुनाव में कांग्रेस की देवती कर्मा विजय रहीं और 12वीं सीट भी कांग्रेस ने अपने कब्जे में ले ली।
बस्तर से ही शुरू हुआ था भाजपा का चिंतन शिविर
भाजपा के लिए बस्तर की सारी 12 विधानसभा सीटों में जीत हासिल करना कितना जरूरी है, यह इस बात से साबित होता है कि, कुछ दिन पहले भाजपा ने अपने चिंतन शिविर की शुरुआत बस्तर से ही की थी। भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं से लेकर प्रदेश स्तर के मुख्य नेता पार्टी के कार्यों की समीक्षा किए थे। साथ ही चुनावी मैदान में किस तरह से अब ध्यान देना है। इस पर भी चर्चा की गई थी। भाजपा के चिंतन शिविर से कांग्रेस की चिंता जरूर बढ़ी थी।