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उत्तराखंड में होगा यूसीसी का पहला परीक्षण… शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है विधेयक

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर के कई स्रोतों से पता चला है कि नरेंद्र मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले इस साल के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में समान नागरिक संहिता विधेयक को संसद में लाना चाहती है. हालांकि, भाजपा उससे पहले स्थिति का परीक्षण करना चाहती है और इसलिए, केंद्र राज्यों की यूसीसी योजना के सभी चरणों यानी मसौदे से लेकर कार्यान्वयन तक हर कदम पर आक्रामक रूप से शामिल है.

अंतिम तिथि – शीतकालीन सत्र?
भाजपा के कई सूत्रों ने न्यूज 18 को इशारा दिया है कि सरकार चाहती है कि इस साल संसद के शीतकालीन सत्र (winter session) में कम से कम समान नागरिक संहिता विधेयक पेश कर दिया जाए. कुछ हफ्तों पहले, 22वें विधि आयोग ने इस मामले पर जनता की राय जानी थी. एक बार सलाह और सुझाव की 30 दिनों की अवधि समाप्त हो जाए उसके बाद आयोग मिले हुए इनपुट का अध्ययन करेगा और संबंधित सिफारिशें करेगा. गौरतलब है कि 21वें विधि आयोग ने यूसीसी के लिए वकालत नहीं की थी, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 22वें के लिए भी इसका अनुसरण करना संभव है?

हालांकि इस मामले में भाजपा के एक पदाधिकारी का कहना है, ‘इस बार हम यूसीसी को लेकर अनुकूल सिफारिशों की उम्मीद कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि इसको लेकर कुछ हितधारकों से भी अलग से बात चल रही है, उनकी भी कुछ जाहिर चिंताए हो सकती हैं. वहीं सूत्र जोर देकर कहते हैं, ‘एक बार सरकार फैसला ले ले इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए पार्टी अपना पूरा जोर लगा देगी.’ वह कहते हैं, ‘अगर सब कुछ ठीक रहा तो इसी शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश हो जाना चाहिए. लेकिन उसके पहले एक अनूकूल माहौल बनाने की जरूरत है.’

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