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जुलाई में जमकर बरसेगा मॉनसून! किसानों के माथे पर चिंता के बादल, फसलों की बुवाई पर असर पड़ने की आशंका

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इस बार अल नीनो (El Nino) के कारण मॉनसून (Monsoon) के आने में देरी हुई और उसकी शुरुआत थोड़ी कमजोर रही. मगर उसके बाद मानसून ने तेजी से रफ्तार कड़ी और तय समय से करीब एक हफ्ते पहले ही पूरे देश को कवर कर लिया है. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक खबर के मुताबिक देश भर में होने वाली बारिश (Rainfall) की कमी गुरुवार तक घटकर महज 5 फीसदी हो गई है, जो बमुश्किल केवल 12 दिन पहले 30 फीसदी थी. इस तरह से देखा जाए तो पिछले कुछ दिनों में देश में जमकर बारिश हुई है. इंद्र देवता की इस कुछ ज्यादा ही मेहरबानी से देश के किसानों के माथे पर परेशानी के घने बादल छा गए हैं.

किसानों के लिए मॉनसून का आना फसलों की बुवाई करने का संदेश लेकर आता है. देश के सिंचाई के मामले में समृद्ध इलाकों को छोड़कर अब भी खरीफ की फसलों की बुवाई मॉनसून पर ही निर्भर है. धान जैसी ज्यादा पानी चाहने वाली फसलों को छोड़कर सोयाबीन और बाजरा जैसी फसलों के लिए बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. आमतौर पर समय से आनेवाला मॉनसून जुलाई के पहले हफ्ते के आसपास थोड़ा ठहर जाता है, जिससे किसानों को फसलों की बुवाई का वक्त मिल जाता है. मगर भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) के अधिकारियों के मुताबिक अगले कुछ हफ्तों तक बारिश का दौर लगातार जारी रहने की संभावना है. इससे फसलों की बुवाई पर असर पड़ने या उसमें देरी होने की आशंका लगातार बढ़ती जा रही है.

मॉनसून का अभी लंबा समय बाकी है. 1 जून को मॉनसून सीजन की शुरुआत के बाद से देश के 36 मौसम उपविभागों में से 16 में कम बारिश हुई थी. इनमें केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र (तटीय बेल्ट को छोड़कर), तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, बिहार और बंगाल के मैदानी इलाके शामिल हैं. हालांकि पिछले दो हफ्तों में इन सभी उपविभागों में बारिश की कमी घट गई है और आने वाले दिनों में कई इलाकों में और अधिक बारिश होने की संभावना है. मौजूदा संकेतों के मुताबिक जुलाई में बारिश सामान्य सीमा से ज्यादा होने की संभावना है. इससे बड़े इलाकों के डूब में आने या बने रहने का खतरा है

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