Home देश भारत को मिलेगी एक और बाहुबली की ताकत! जानें IAF के ‘राफेल’...

भारत को मिलेगी एक और बाहुबली की ताकत! जानें IAF के ‘राफेल’ से कितना अलग होगा Navy का Rafale-M जेट

34
0

भारत और फ्रांस के बीच एक और बड़े रक्षा सौदे पर मुहर लग सकती है, जिसके तहत भारतीय नौसेना को फ्रेंच कंपनी डसॉल्ट एविएशन से 26 राफेल-मरीन (Rafale-M) फाइटर जेट मिलेंगे. इसकी घोषणा इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान होने की उम्मीद है. हाल के वर्षों में फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी डसॉल्ट एविएशन से यह दूसरी ऐसी फाइटर जेट खरीद होगी. इससे पहले 2016 में, भारत ने अपनी वायुसेना के लिए 36 राफेल लड़ाकू जेट खरीदने के लिए एक सौदा किया था, जिनमें से सभी की डिलीवरी हो चुकी है.

जब डिजाइन और क्षमताओं की बात आती है तो नौसेना के लड़ाकू विमान अपने वायुसेना समकक्षों से भिन्न होते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि लड़ाकू विमान जिस वातावरण में काम करते हैं और उन्हें जो भूमिका सौंपी गई है, दोनों में अंतर होता है. जैसा कि भारत इस बार भारतीय नौसेना और उसके 2 विमान वाहक पोतों के लिए राफेल-M लड़ाकू विमानों का एक नया सेट खरीदने की तैयारी कर रहा है, आइए देखें कि नौसेना के ये फाइटर जेट वायुसेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले राफेल लड़ाकू विमानों से कैसे भिन्न हैं.

लॉन्च और रिकवरी सिस्टम
नौसेना के लड़ाकू जेट विशेष रूप से विमान वाहक-पोत आधारित संचालन की अनूठी चुनौतियों का सामना करने के लिए बनाए गए होते हैं, जिसमें ज्यादा प्रभावी लैंडिंग क्षमता, कैटापल्ट या रैंप लॉन्च और खारे पानी के वातावरण में उड़ान भरना शामिल हैं. विमान वाहक पोतों पर तैनाती और युद्धाभ्यास की सुविधा के लिए राफेल मरीन में लैंडिंग गियर और एयरफ्रेम को अत्यधिक मजबूत बनाया गया है. फोल्डिंग विंग्स को भी मजबूत किया गया है. दूसरी ओर, भूमि-आधारित लड़ाकू विमानों को इन सुविधाओं की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि वे पारंपरिक रनवे से संचालित होते हैं.

उदाहरण के लिए, भारतीय नौसेना द्वारा उपयोग किया जाने वाला मिग-29K, विमान वाहक पोत से संचालित करने के लिए मजबूत लैंडिंग गियर, फोल्डिंग विंग्स और अन्य सुविधाओं के साथ डिजाइन किया गया है. इसमें अरेस्टेड लैंडिंग के लिए एक टेलहुक और एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनाती के लिए जरूरी मांगों का सामना करने के लिए एक मजबूत एयरफ्रेम दिया गया है. दूसरी ओर, सुखोई की Su-30MKI में मिग-29K की एयरक्राफ्ट कैरियर-विशिष्ट विशेषताएं नहीं हैं. यह पारंपरिक भूमि-आधारित रनवे से संचालित होता है और इसमें फोल्डिंग विंग्स या टेलहुक नहीं होता है.

फोल्डिंग विंग्स
एयरक्राफ्ट कैरियर डेक पर जगह की कमी होती है. इसलिए जगह बचाने के लिए, कई नौसैनिक लड़ाकू विमानों में फोल्डिंग विंग्स होते हैं. यह सुविधा वायुसेना के जेट विमानों के लिए अनावश्यक नहीं है, जो विशाल हैंगर में पार्क होते हैं, जैसा कि हमने मिग-29K और सुखोई Su-30MKI के बीच अंतर में समझा है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here