मानसून सत्र के दौरान आज गृह मंत्री अमित शाह संसद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 (दिल्ली सेवा बिल) पेश कर सकते हैं. यह विधेयक केंद्र सरकार के उस अध्यादेश को बदलने के लिए जाया जा रह है, जिसके तहत देश की राजधानी में चुनी हुई सरकार से ज्यादा उपराज्यपाल को शक्तियां दी गई हैं. संसद में आज बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच निर्णायक लड़ाई देखने को मिल सकती है. यह पहला मौका है जब 26 विपक्षी दलों द्वारा एक साथ मिलकर बनाया गया I.N.D.I.A गठबंधन संसद में सरकार के खिलाफ किसी बिल के विरोध में उतरेगा.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय पहले संसद में बयान देंगे. वह यह बताएंगे कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 को तत्काल लाने की जरूरत क्यों पड़ी. मणिपुर हिंसा के विरोध में संसद में विपक्ष हंगामा कर रहा है, जिसके चलते मानसून सत्र में एक भी दिन ठीक से सदन की कार्यवाही नहीं चल पाई है. ऐसे में केंद्र सरकार के लिए भी इस बिल को पास करा पाना आसान साबित नहीं होगा.
क्यों लाया जा रहा है दिल्ली सेवा बिल?
दिल्ली सेवा बिल राजधानी पर केंद्र सरकार को अधिक अधिकार प्रदान करता है. बीती 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में दिल्ली सरकार को राजधानी में काम करने वाले नौकरशाहों पर पूर्ण अधिकार दिया था. कहा गया था कि पुलिस, कानून व्यवस्था और जमीन जैसे तीन विषयों को छोड़कर नौकरशाहों पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का पूर्ण अधिकार होगा. जिसके बाद केंद्र सरकार दिल्ली के संदर्भ में एक अध्यादेश लेकर आई थी. संसद में लाए जा रहे इस सर्विस बिल के माध्यम से केंद्र अपने अध्यादेश को कानूनी रूप देने का प्रयास कर रहा है.
सरकार के सामने क्या है समस्या?
लोकसभा में केंद्र सरकार के पास बहुमत है, लिहाज निचले सदन में बिल को पास कराने में केंद्र सरकार को ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी. हालांकि ऊपरी सदन में सरकार के पास बहुमत नहीं है. वहां, इसपर निर्णायक लड़ाई देखने को मिल सकती है. भले ही I.N.D.I.A गठबंधन संसद में एकजुट होकर इस बिल का विरोध कर रहा हो लेकिन इस गठबंधन से बाहर आंध्र प्रदेश की वॉयएसआर कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार को बिल पर अपना समर्थन दिया है. साथ ही बीएसपी ने भी यह कहा है कि वो इस बिल के पेश होने के दौरान संसद से वॉकआउट करेंगे. ऐसे में सरकार को इसका सीधा फायदा मिलेगा.