बता दें कि इस मिशन का बजट लगभग 615 करोड़ रुपये है. ये चंद्रयान 2 का अपडेटेड वर्जन है. इसने 22 दिनों तक पृथ्वी की धुरी यानी इलिप्टिकल ऑर्बिट में चक्कर लगाया है. ऑर्बिट के चक्कर लगाने के समय को पूरा करने के बाद यह अब मून ऑर्बिट में दाखिल होने के लिए तैयार है.
मून ऑर्बिट में दाखिल होने के बाद यह 13 दिन तक चंद्रमा के चक्कर लगाएगा. फिर यह 100 किमी ऊपर लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा. दरअसल प्रोपल्शन मॉड्यूल ही लैंडर और रोवर को इंजेक्शन ऑर्बिट से 100*100 किमी लूनर ऑर्बिट तक ले जाता है.
लैंडर 100 *30 किमी के ऑर्बिट में अपनी स्पीड को कम करना शुरू कर देता है. मून ऑर्बिट में अपने चक्कर के बाद चंद्रयान-3 23 अगस्त की शाम 5.47 बजे चंद्रमा पर लैंड कर सकता है. मून पर लैंडिंग के बाद रोवर रैंप से बाहर निकल जाएगा. इसके बाद यह 14 दिनों चांद पर रहेगा. साथ ही यह 14 दिन तक एक्सपेरिमेंट करेगा.
प्रोपल्शन मॉड्यूल के अलावा विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर भी अहम हिस्सा है. मालूम हो कि इसरो के चंद्र अभियान का लक्ष्य चांद के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करने का है. इसरो ने सितंबर 2019 में चंद्रयान- 2 को चांद पर उतारने का प्रयास किया था लेकिन तब उसका विक्रम लैंडर क्षतिग्रस्त हो गया था.
गौरतलब है कि चंद्रयान-3 पर स्पेक्ट्रो-पोलारिमेट्री ऑफ विजेटेबल प्लेनेट अर्थ (SHAPI) भी लगा है. इससे हमारे वैज्ञानिकों को चंद्रमा की कक्षा के छोटे ग्रहों और हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित ऐसे अन्य ग्रहों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए महत्वपूर्ण डेटा हासिल हो सकेगा जहां जीवन संभव है.