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भारतीय शेयर बाजार से रुठे विदेशी निवेशक! 2 हफ्तों में ही निकाले 9800 करोड़, क्यों मची है यह भागमभाग?

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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालने का सिलसिला जारी है. पिछले महीने शुरू हुआ बिकवाली का दौर अक्‍टूर में और रफ्तार पकड़ चुका है. चालू महीने के दो सप्ताह में ही एफपीआई भारतीय बाजार से 9800 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं. बाजार जानकारों का कहना है कि अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने तथा इजराइल-हमास संघर्ष की वजह से पैदा हुई अनिश्चितता के चलते एफपीआई बिकवाल बने हुए हैं. सितंबर 2023 में भी एफपीआई शुद्ध बिकवाल रहे थे और उन्होंने 14,767 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे.

एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार लिवाल रहे थे. इस दौरान उन्होंने शेयर बाजारों में 1.74 लाख करोड़ रुपये डाले थे. फिडेलफोलियो इन्वेस्टमेंट्स के स्मॉलकेस प्रबंधक और संस्थापक किसलय उपाध्याय ने कहा, ‘‘उस समय एफपीआई का यह प्रवाह अमेरिका में मुद्रास्फीति में गिरावट की वजह से था. अमेरिका में महंगाई दर फरवरी के छह प्रतिशत से गिरकर जुलाई में 3.2 प्रतिशत पर आ गई थी. इसके अलावा मई से अगस्त के दौरान फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करने की वजह से भी एफपीआई का प्रवाह बढ़ा था.’’

एफपीआई प्रवाह को प्रभावित करेंगे कई फैक्‍टर
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक एवं प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘आगे चलकर भारतीय बाजारों में एफपीआई का निवेश न केवल वैश्विक मुद्रास्फीति और ब्याज दरों से, बल्कि इजराइल-हमास संघर्ष से भी प्रभावित होगा.’’ उन्होंने कहा कि भूराजनीतिक तनाव ऐसा जोखिम है जिसकी वजह से भारत जैसे उभरते बाजारों में विदेशी पूंजी का प्रवाह प्रभावित हो सकता है.

अमेरिकी बॉड यील्‍ड निकासी की प्रमुख वजह
डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार, इस महीने 13 अक्टूबर तक एफपीआई ने 9,784 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की बिकवाली की प्रमुख वजह अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल का लगातार बढ़ना है.
समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने देश के बॉन्ड बाजार में 4,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसके साथ ही इस साल अबतक शेयरों में एफपीआई का कुल निवेश 1.1 लाख करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 33,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है.

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